क्या नजर लगने से बिगड़ने लगते हैं काम? जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्या बताई सच्चाई

WD Feature Desk
सोमवार, 23 जून 2025 (15:50 IST)
premanand maharaj ekanki vartalap: क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि कोई अच्छा-खासा काम बन रहा हो और अचानक बिगड़ जाए? या आप किसी नई शुरुआत के लिए उत्साहित हों और फिर बाधाएं आने लगें? ऐसे में कई बार लोग कहने लगते हैं, "लगता है तुम्हें किसी की नजर लग गई!" भारतीय समाज में नजर लगना (Buri Nazar) या दृष्टि दोष एक बहुत पुरानी और गहरी मान्यता है। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है? क्या किसी की बुरी नजर हमारे बनते कामों को बिगाड़ सकती है? इस विषय पर जब एक भक्त ने वृंदावन में प्रेमानंद महाराज से इस बारे में प्रश्न किया तो उन्होंने एक गहरा और विचारोत्तेजक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।

प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा:
प्रेमानंद महाराज जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नजर लगना एक भ्रम है। उनके अनुसार, यह सिर्फ हमारी मान्यताओं और विश्वासों का खेल है। जब हमारा मन किसी बात को मान लेता है, तो हमारा अवचेतन मन (Subconscious Mind) उसी के अनुसार कार्य करने लगता है। यदि हम यह मान लेते हैं कि हमें नजर लग गई है, तो हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लगता है और हम नकारात्मक सोचने लगते हैं। यही नकारात्मकता हमारे कार्यों में बाधा उत्पन्न करती है, न कि कोई बाहरी बुरी शक्ति।
महाराज जी बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति हमारे प्रति ईर्ष्या या द्वेष की भावना रखता है, तो यह उसकी अपनी नकारात्मकता है, जो उसी के भीतर रहती है। इसका सीधा प्रभाव हम पर तब तक नहीं पड़ता, जब तक हम उसे अपने ऊपर हावी न होने दें। हमारी असली शक्ति हमारी सोच और भावना में है। यदि हमारी सोच सकारात्मक है, हमारा आत्मविश्वास मजबूत है और हम अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ हैं, तो कोई भी नकारात्मक ऊर्जा हमें प्रभावित नहीं कर सकती।

नजर उतारने पर क्या कहा महाराज ने
महाराज जी ने नजर उतारने की क्रिया पर भी अपनी बात रखी है। वे कहते हैं कि नजर उतारना प्रेम और चिंता की अभिव्यक्ति है। जब माता-पिता अपने बच्चों की नजर उतारते हैं, तो यह उनकी चिंता, स्नेह और बच्चे के प्रति मंगल कामना का प्रदर्शन होता है। यह एक मनोवैज्ञानिक संतुष्टि प्रदान करता है कि हमने बच्चे की सुरक्षा के लिए कुछ किया है। इसमें कोई जादुई शक्ति नहीं होती, बल्कि यह परिवार के सदस्यों के बीच के भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है। यह एक प्रकार का संस्कार है जो रिश्तों को मजबूत करता है।

आजकल लोग हर छोटी-मोटी असफलता के लिए बुरी नजर को दोषी ठहराने लगते हैं। महाराज जी हमें इस प्रवृत्ति से बचने की सलाह देते हैं। वे कहते हैं कि हमें अपनी असफलताओं का विश्लेषण करना चाहिए, उनसे सीखना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। यदि हम हर चीज़ के लिए बाहरी शक्तियों को दोषी ठहराएंगे, तो हम कभी अपनी गलतियों को सुधार नहीं पाएंगे और अपनी वास्तविक क्षमता को पहचान नहीं पाएंगे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shradh 2025: घर में पितरों की फोटो लगाते समय न करें ये गलतियां, जानिए क्या हैं वास्तु शास्त्र के नियम

Solar eclipse 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या किसी बड़ी तबाही का है संकेत?

Sarvapitri amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण, क्या होगा भारत पर इसका असर?

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि: 9 दिनों का महत्व और महिषासुर मर्दिनी की कथा

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर घर पर कैसे करें घट स्थापना और दुर्गा पूजा

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (20 सितंबर, 2025)

20 September Birthday: आपको 20 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

20 Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 20 सितंबर, 2025: शनिवार का पंचांग और शुभ समय

Navratri 2025: मां वैष्णो देवी गुफा में आद‌ि कुंवारी से लेकर भैरव शरीर तक छुपे हैं कई चमत्कारी रहस्य, जानकर हैरान रह जाएंगे आप

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में दुर्गासप्तशती पाठ करने के नियम और विधि

अगला लेख