भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कब है, क्या है इसका महत्व?

WD Feature Desk
HIGHLIGHTS
 
• चतुर्थी पर कैसे दें चंद्रमा को अर्घ्य।
• जानें संकष्टी चतुर्थी पूजन और महत्व। 
• चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना जाता है। 

ALSO READ: Bhalachandra sankashti chaturthi 2024: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि और पूजा मुहूर्त
 
bhalchandra sankashti chaturthi : वर्ष 2024 में भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत 28 मार्च, दिन गुरुवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन पड़ता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश को समर्पित है। 
 
महत्व : sankashti chaturthi mahatva : हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रदर्शन का विशेष महत्व होता है। चंद्रदर्शन के साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देने से भी श्री गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और हर मनोकामना पूर्ण होती है। 
 
धार्मिक मान्यतानुसार चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होने वाला यह चतुर्थी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है। इसलिए भगवान श्री गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन जरूरी होते हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से जहां मन के समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना दूर होती है, वहीं स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने सुख-समृद्धि के साथ जीवन में खुशहाली आती है। 
 
चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। अत: इस दिन चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से अखंड सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए चांदी अथवा मिट्टी के पात्र में पानी में थोड़ासा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। इस तरह चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है।

चंद्रमो को अर्घ्य देने के लिए सबसे पहले एक थाली में मखाने, सफेद फूल, खीर, लड्डू और गंगाजल रखें, फिर 'ॐ चं चंद्रमस्ये नम:, ॐ गं गणपतये नम:' का मंत्र बोलकर दूध और जल अर्पित करें। सुगंधित अगरबत्ती जलाएं। भोग लगाएं और फिर प्रसाद के साथ व्रत का पारण करें। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

ALSO READ: Weekly Muhurat in Hindi: 25-31 मार्च 2024, जानें नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख