वेद क्या हैं, आइए सरल रूप में जानें

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
वेद भारतीय आध्यात्मिक चिंतन के मूल आधार हैं। ऋषियों के पवित्र मन में उभरी दिव्य चेतना और आध्यात्मिक प्रेरणा स्वर्गीय संगीत के वे काव्यमय प्रकाशन हैं।

सभ्य मानवता के प्रारंभिक निर्मल उद्गार हैं, जो विभिन्न प्राकृतिक शक्तियों में संसार के रचयिता और नियंत्रक की सत्ता के दर्शन करके उनके अभिवादन, प्रशंसा, स्तुति तथा महिमा-गान के रूप में स्वयं-स्फूर्त हुए। प्रारंभिक होते हुए भी उनका रचना सौष्ठव लुभाता है, चमत्कृत करता है, अविश्वसनीय लगता है। इसीलिए, संपूर्ण वेद साहित्य भारत की अमर गौरवमयी धरोहर है। संक्षेप में, चारों वेदों की रूपरेखा और विषय सामग्री निम्न अनुसार है-
 
ऋग्वेद-
 
अनेक प्रसिद्ध ऋषियों द्वारा रचित विभिन्न छंदों में लगभग 400 स्तुतियां या ऋचाओं से यह वेद सज्जित है। ये स्तुतियां अग्नि, वायु, वरुण, इन्द्र, विश्वदेव, मरुत, प्रजापति, सूर्य, उषा, पूषा, रुद्र, सविता आदि कल्पित देवताओं को समर्पित हैं। पहले तो लक्षित देवता के सामर्थ्य, कार्य तथा सृष्टि में उसकी भूमिका की महत्ता का बखान किया जाता है और फिर उसकी महिमा का गान चुनिंदा शब्दों में किया जाता है। अंत में, विभिन्न प्रकार से अपने सांसारिक कल्याण एवं सुख के साधनों को प्रदान करने की अर्चना की जाती है।
 
सभी छंद/स्तु‍तियों की रचना अत्यंत भाव-विभोर मन:स्थिति में हुई है। उनमें मानवीय उदात्त भावों, कल्पनाओं और संगीतात्मकता का अद्भुत मिश्रण है।
 
यजुर्वेद- 
 
यह वेद गद्य में रचित है। इसमें मुख्यत: यज्ञ के विधान, प्रक्रिया एवं यज्ञ के माध्यम से विभिन्न देवताओं की आराधना का विवरण है। यज्ञ के परिणामस्वरूप अपेक्षित कामनाओं की पूर्ति का भी विस्तृत विवरण है। एक उदाहरण देखिए-
 
'मुझे इस लोक में सुख प्राप्त हो। परलोक में भी सुख मिले। इन्द्रिय संबंधी सब सुखों का उपभोग करूं। मेरा मन स्वस्थ रहे। मेरा अच्छा निवास और यश प्राप्त हो। मैं अपने प्रियजनों के साथ बैठकर भोजन करूं, प्रिय वाणी बोलूं और विजयशील होकर शत्रुओं का दमन करूं। विभिन्न प्रकार के अन्न-धन तथा पुत्र-पौत्रादि से संपन्न होकर सब प्रकार से सुखी रहूं। मेरी सभी कामनाएं देवताओं की कृपा से पूर्ण हों।'
 
सामवेद-
 
इस वेद में यज्ञों के दौरान गाई जाने वाली विविध स्तुतियां संकलित हैं। अधिकांश स्तुतियां अग्नि या इंद्र को संबोधित करने उनकी प्रशंसा करते हुए उनकी कृपा पाने के लिए रचित हैं। 
 
अथर्ववेद-
 
अथर्ववेद में मंत्र शक्ति की प्रभावशीलता दर्शाने वाले अनेक मंत्र हैं। मंत्र रचयिता ने अपनी आत्मशक्ति का परिचय मंत्रों के माध्यम से दिया है और मंत्रों में ऐसे प्रभावशाली शब्दों, वाक्यों, ध्वनियों, उपमाओं, युक्तियों, आदेशों का उपयोग किया गया है कि उनकी प्रभावशीलता में विश्वास किए बिना नहीं रहा जाता। ये मंत्र कई प्रयोजनों की पूर्ति के लिए रचे गए हैं। कुछ उल्लेखनीय प्रयोजन हैं- रोग निवारण या रोगमुक्ति हेतु उपचार मंत्र, विभिन्न खतरों के निवारण मंत्र, स्वास्‍थ्य एवं आयुवर्द्धक मंत्र, स्‍त्रियों के लिए इच्‍छित वर प्राप्ति, बांझपन निवारण, सुगम प्रसव, गर्भरक्षा संबंधी मंत्र हैं। उच्चाटन, वशीकरण, विवाद व मतभेद शामक, मारण एवं मोहन मंत्र भी इस वेद की विषय सामग्री में सम्मिलित हैं। इन मंत्रों के अध्ययन से उस समय की परिस्थितियों, परेशानियों, विकृतियों, मानसिक विकारों और विद्वेषों का सहज पता चल जाता है और सामाजिक जीवन व चिंतन की झलक मिलती है। 


Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख