Festival Posters

पीपल की पूजा का क्या है धार्मिक कारण?

Webdunia
पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म में बड़ा पवित्र माना जाता है। इस पेड़ को पूजे जाने का कारण पौराणिक कथाओं में मिलता है। 
 
एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी और उसकी छोटी बहन दरिद्रा विष्णु के पास गई और प्रार्थना करने लगी कि हे प्रभो! हम कहां रहें? इस पर विष्णु भगवान ने दरिद्रा और लक्ष्मी को पीपल के वृक्ष पर रहने की अनुमति प्रदान कर दी। इस तरह वे दोनों पीपल के वृक्ष में रहने लगीं।
 
सूर्योदय से पहले कभी भी पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस समय धन की देवी लक्ष्मी की बहन  दरिद्रा यानी अलक्ष्मी का वास होता है। अलक्ष्मी दरिद्रता की देवी मानी जाती हैं और हमेशा गरीबी व जीवन में परेशानी लाती हैं। इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस वृक्ष के पास जाना चाहिए, ऐसा करने से घर में दरिद्रता चली आती है। हमेशा सूर्योदय के बाद ही पीपल की पूजा करें।
 
विष्णु भगवान की ओर से यह वरदान मिला कि जो व्यक्ति शनिवार को पीपल की पूजा करेगा, उसे शनि ग्रह के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। उस पर लक्ष्मी की अपार कृपा रहेगी। शनि के कोप से ही घर का ऐश्वर्य नष्ट होता है, मगर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करने वाले पर लक्ष्मी और शनि की कृपा हमेशा बनी रहेगी। धर्मशास्त्रों में पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना गया है।
 
पद्मपुराण के अनुसार पीपल की परिक्रमा करके प्रणाम करने से आयु में वृद्धि होती है। शनि की साढ़े साती और ढैया काल में पीपल की परिक्रमा और पूजन करने से साढ़े साती और ढैया का प्रकोप कम होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार पीपल में पितरों का वास होने के साथ ही देवताओं का भी वास होता है।
 
 स्कंद पुराण के अनुसार पीपल की जड़ में श्री विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फल में सब देवताओं से युक्त भगवान का अच्युत निवास है। इसीलिए पीपल के वृक्ष का पूजन किया जाता है।
 
इसी लोक विश्वास के आधार पर लोग पीपल के वृक्ष को काटने से आज भी डरते हैं, लेकिन यह भी बताया गया है कि यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जा सकता है।

गीता में पीपल की उपमा शरीर से की गई है।
 
'अश्वत्थम् प्राहुख्‍ययम्' अर्थात अश्वत्‍थ (पीपल) का काटना शरीर-घात के समान है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल प्राणवायु का केंद्र है। यानी पीपल का वृक्ष पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है।
 
संस्कृत में  को 'चलदलतरु' कहते हैं। हवा न भी हो तो पीपल के पत्ते हिलते नजर आते हैं। ' पात सरिस मन डोला'- शायद थोड़ी-सी हवा के हिलने की वजह से तुलसीदास ने मन की चंचलता की तुलना पीपल के पत्ते के हिलने की गति से की गई है।
 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर रोज पीपल के वृक्ष के पूजा करनी चाहिए, क्योंकि अलग-अलग दिन अलग देवी-देवताओं का वास होता है। इससे न केवल सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। पीपल की पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से सभी तरह के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
 
पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल की पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है। साथ ही उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल के पौधे लगाने चाहिए, ऐसा करने से चारों तरह सकारात्मक वातावरण बना रहता है। गीता में भगवान कृष्ण ने पेड़ों में खुद को पीपल बताया है इसलिए पीपल के पेड़ लगाने से पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है और पीपल की हर रोज पूजा करने पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।

पीपल का पेड़ बृहस्पति ग्रह से जुड़ा है और बृहस्पति को सकारात्मक ग्रह माना जाता है। इसलिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ALSO READ: मधुकामिनी का प्लांट घर में क्यों लगाएं? orange jasmine क्यों कहते हैं इसे?

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Budh gochar 2025: बुध का वृश्चिक राशि में गोचर, 3 राशियों को संभलकर रहना होगा

Mangal gochar 2025: मंगल का वृश्चिक राशि में प्रवेश, 3 राशियों के लिए है अशुभ संकेत

Kushmanda Jayanti: कूष्मांडा जयंती के दिन करें माता की खास पूजा, मिलेगा सुख संपत्ति का आशीर्वाद

Kartik Month 2025: कार्तिक मास में कीजिए तुलसी के महाउपाय, मिलेंगे चमत्कारी परिणाम बदल जाएगी किस्मत

October Horoscope 2025: अक्टूबर के अंतिम सप्ताह का राशिफल: जानें किन राशियों पर होगी धन की वर्षा, आएगा करियर में बड़ा उछाल!

सभी देखें

धर्म संसार

29 October Birthday: आपको 29 अक्टूबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Tulsi vivah 2025: देव उठनी एकादशी पर क्यों करते हैं तुलसी विवाह?

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 29 अक्टूबर, 2025: बुधवार का पंचांग और शुभ समय

Gopashtami: गोपाष्टमी (गौ अष्टमी): महत्व, पूजा विधि और श्रीकृष्ण से जुड़ी कथा

Amla Navami: आंवला नवमी के संबंध में 9 रोचक तथ्‍य

अगला लेख