दुनिया कब खत्म होगी? जानिए धर्मों की भविष्यवाणियां

Webdunia
बुधवार, 19 अप्रैल 2017 (13:03 IST)
ज्योतिष, धार्मिक पंडित या विज्ञान जगत के कुछ लोगों द्वारा पिछले कई वर्षों से दुनिया के खत्म होने का दावा किया जाता रहा है। इसके लिए समय-समय पर बकायदा तारीखें बताई गई हैं। चार से पांच बार बताई गई तारीखें अब तक झूठी साबित हुई हैं।
 
इन भविष्यवाणियों का आधार क्या है यह जानने की जरूरत है। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में सुनामी, बाढ़ भूकंप जैसी प्राकृतिक घटनाओं से होने वाली तबाही ऐसी बातों को और बल देती हैं। प्राकृति की भयावह घटनाओं को देखते हुए जनता को भविष्यवाणियों द्वारा और भयभीत किया जाता रहा है। आखिर इस तरह की भविष्यवाणी करने का उद्देश्य क्या है या कि इन भविष्यवाणियों के पीछे कोई सच छुपा है? जानिए...
 
ऐसे होगा धरती का विनाश, जानिए पुराणों की भविष्यवाणी
 
माया सभ्यता में : माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। कैलेंडर अनुसार उसके बाद पृथ्वी का अंत है। इस पर यकीन करने वाले कहते हैं कि हजारों साल पहले ही अनुमान लगा लिया गया था कि 21 दिसंबर, 2012 पृथ्वी पर प्रलय का दिन होगा। गणित और खगोल विज्ञान के मामले में बेहद उन्नत मानी गई इस सभ्यता के कैलेंडर में पृथ्वी की उम्र 5126 वर्ष आंकी गई है। 
 
माया सभ्यता के जानकारों का कहना है कि 26 हजार साल में इस दिन पहली बार सूर्य अपनी आकाशगंगा ‘मिल्की वे’ के केंद्र की सीध में आ जाएगा। इसकी वजह से पृथ्वी बेहद ठंडी हो जाएगी। इससे सूरज की किरणें पृथ्वी पर पहुंचना बंद हो जाएगी और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा छा जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हां धरती पर बाढ़, तूफान और भूकंप की घटनाएं जरूर बढ़ गई।
 
अलगे पन्ने पर क्या कहते हैं नास्त्रेदमस...

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी : नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के विश्लेषकों अनुसार नास्त्रेदमस ने प्रलय के बारे में बहुत स्पष्ट लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है जो धरती से मानव की विलुप्ति का कारण बन सकता है। 
ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार घोषणा करते हैं कि ऐसा तब होगा जबकि तृतीय विश्व युद्ध चल रहा होगा तब आकाश से एक उल्का पिंड हिंद महासागर में गिरेगा और समुद्र का सारा पानी धरती पर फैल जाएगा जिसके कारण धरती के अधिकांश राष्ट्र डूब जाएंगे या यह भी हो सकता है कि इस भयानक टक्कर के कारण धरती अपनी धूरी से ही हट जाए और अंधकार में समा जाए।

ईसाई धर्म : बाइबिल के जानकारों का मानना है कि प्रभु यीशु का पुन: अवतरण होने वाला है, लेकिन इसके पहले दुनिया का खतम होना तय है और वह दिन बहुत ही निकट है। बस कुछ लोग ही बच जाएंगे। इस दिन प्रभु न्याय करेगा। कुछ ईसाई जानकारों के अनुसार प्रलय 2012 के आसपास ही कही गई है। बाइबिल का वर्षों तक अध्ययन करने के बाद हेराल्ड कैंपिन ने कहा है कि प्रलय का दिन 21 मई 2011 है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
ईसाई धर्म के जानकार लोग समय समय पर प्रलय आने की घोषणा करते रहते हैं। इसके पीछे यह भी कारण हो सकता है कि वे लोगों को धर्म से जोड़ना चाहते हों। यह भी हो सकता है कि इसके पीछे उनका कोई ओर मकदस हो। हालांकि यह सच है कि ईसाई धर्म में एक दिन प्रलय का नियुक्त है, जब ईश्‍वर न्याय करेगा।

इस्लाम : इस्लाम में भी प्रलय का दिन माना जाता है, जिसे कयामत कहा गया है। इसके अनुसार अल्लाह एक दिन संसार को समाप्त कर देगा। यह दिन कब आएगा यह केवल अल्लाह ही जानता है। इस्लाम के अनुसार शारीरिक रूप से सभी मरे हुए लोग उस दिन जी उठेंगे और उस दिन हर मनुष्य को उसके अच्छे और बुरे कर्मों का फल दिया जाएगा। इस्लाम के अनुसार प्रलय के दिन के बाद दोबारा संसार की रचना नहीं होगी।
कयामत के दिन हर किसी को अल्लाह तआला का समक्ष उपस्थित होना होगा और उनके समक्ष उसका हिसाब किताब होगा। हालांकि ऐसी ही मान्यता यहूदी और ईसाई धर्म में भी मिलती है, क्योंकि उक्त सभी धर्मों का मूल एक ही है।

हिन्दू धर्म : प्रलय के संबंध में हिंदू धर्म की धारणा मूल रूप से वेदों से प्रेरित है। प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना। प्रलय चार प्रकार की होती है- नित्य, नैमित्तिक, द्विपार्थ और प्राकृत। प्राकृत ही महाप्रलय है, जो कल्प के अंत में होगी। एक कल्प में कई युग होते हैं। यह युग के अंत में प्राकृत प्रलय को छोड़कर कोई सी भी प्रलय होती है। हिन्दू धर्म मानता है कि जो जन्मा है वह मरेगा। सभी की उम्र निश्चित है फिर चाहे वह सूर्य हो या अन्य ग्रह।
सवाल यह उठता है कि प्रलय की धार्मिक मान्यता में कितनी सच्चाई है या यह सिर्फ कल्पना मात्र है जिसके माध्यम से लोगों को भयभीत करते हुए धर्म और ईश्वर में पुन: आस्था को जगाया जाता है। जहां तक सवाल वैज्ञानिक दृष्टिकोण का है तो वह भी विरोधाभासी है।

वैज्ञानिक मान्यता : कई बड़े वैज्ञानिकों को आशंका है कि एक्स नाम का ग्रह धरती के काफी पास से गुजरेगा और अगर इस दौरान इसकी पृथ्वी से टक्कर हो गई तो पृथ्वी को कोई नहीं बचा सकता। हालांकि कुछ वैज्ञानिक ऐसी किसी भी आशंका से इनकार करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड में ऐसे हजारों ग्रह और उल्का पिंड हैं, जो कई बार धरती के नजदीक से गुजर ‍चुके हैं। 1994 में एक ऐसी ही घटना घटी थी। पृथ्वी के बराबर के 10-12 उल्का पिंड बृहस्पति ग्रह से टकरा गए थे जहां का नजारा महाप्रलय से कम नहीं था। आज तक उस ग्रह पर उनकी आग और तबाही शांत नहीं हुई है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि यदि बृहस्पति ग्रह के साथ जो हुआ वह भविष्य में कभी पृथ्वी के साथ हुआ तो तबाही तय हैं, लेकिन यह सिर्फ आशंका है। आज वैज्ञानिकों के पास इतने तकनीकी साधन हैं कि इस तरह की किसी भी उल्का पिंड की मिसाइल द्वारा दिशा बदल दी जाएगी। इसके बावजूद फिर भी जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग तबाही का एक कारण बने हुए हैं।
 
कुछ महीनों पहले अमेरिका के खगोल वैज्ञानिकों ने भी घोषणा की थी कि 13 अप्रैल 2036 को पृथ्वी पर प्रलय हो सकता है। उनके अनुसार अंतरिक्ष में घूमने वाला एक ग्रह एपोफिस 37014.91 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा सकता है। इस प्रलयंकारी भिडंत में हजारों लोगों की जान जा सकती है। हालांकि नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

महाभारत : महाभारत में कलियुग के अंत में प्रलय होने का जिक्र है, लेकिन यह किसी जल प्रलय से नहीं बल्कि धरती पर लगातार बढ़ रही गर्मी से होगा। महाभारत के वनपर्व में उल्लेख मिलता है कि कलियुग के अंत में सूर्य का तेज इतना बढ़ जाएगा कि सातों समुद्र और नदियां सूख जाएंगी।
संवर्तक नाम की अग्रि धरती को पाताल तक भस्म कर देगी। वर्षा पूरी तरह बंद हो जाएगी। सब कुछ जल जाएगा, इसके बाद फिर बारह वर्षों तक लगातार बारिश होगी। जिससे सारी धरती जलमग्र हो जाएगी।...जल में फिर से जीव उत्पत्ति की शुरुआत होगी।
Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा

अगला लेख