इन 10 भुतहा सड़कों से रहें बच कर...

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दुनियाभर में सबसे बड़ा रोड नेटवर्क भारत में है। इन सड़कों में से अधिकतर तो कातिलाना हैं, तो कुछ भुतहा। यदि आप लांग रूट पर जा रहे हैं, तो इन भुतहा सड़कों से बचकर रहें या रात होने से पहले ही इन सड़कों को पार कर जाएं अन्यथा हो सकता है कि आपके साथ कोई होनी-अनहोनी की घटना हो जाए।
यदि आप भूत-प्रेत पर विश्वास नहीं करते हैं, तो कोई बात नहीं फिर भी आप सुर‍क्षित घर पहुंचने की कामना तो कर ही सकते हैं। यदि आपको अपनी बहादुरी को परखना है तो निश्चित ही आपको इन 10 मार्गों से गुजरना चाहिए, जहां के बारे में कहा जाता है कि वहां आज भी भटकती हैं प्रेत-आत्माएं। 
 
आगले पन्ने पर जानिए पहला भुतहा मार्ग...
 

बारोग टनल, टनल नंबर 33 (The Barog Tunnels/Tunnel No. 33) : सुरंग नंबर 33, जो 1143.61 मीटर लंबी है। यह टनल कालका-शिमला मार्ग पर बारोग रेलवे स्टेशन के पास स्थ‍ित है। इसका निर्माण 20वीं सदी में हुआ था और यह दुनिया की सबसे सीधी टनल है। इस टनल को पार करने में ट्रेन ढाई मिनट लेती है।
 
इसके बारे में प्रचलित मान्यता है कि यहां कप्तान बारोग का भूत रहता है, जो सुरंग के अंदर आता-जाता रहता है। हालांकि यह भूत किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है तथा यह मित्रवत है। स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि उन्होंने सुरंग के अंदर एक औरत को चीखते हुए भागते देखा है और कप्तान बारोग के भूत द्वारा कई बार लोगों से अपनी सिगरेट के लिए माचिस मांगते हुए सुना गया है। कई लोगों ने तो उसे टनल में टहलते हुए देखा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस टनल में आज भी कप्तान बारोग की आत्मा घूमती है। यही कारण है कि रात के वक्त इस टनल के पास कोई नहीं जाता है।
 
गौरतलब है कि कप्तान बारोग अंग्रेज राज में एक रेलवे इंजीनियर थे जिन्हें इस टनल को बनाने की जिम्मेदारी दी गई। उस दौरान पहाड़ों को काटने के लिए बड़े-बड़े शीशों और एसिटिलीन गैस का इस्तेमाल किया जाता था। कर्नल ने सबसे पहले पहाड़ का निरीक्षण किया और दोनों छोर पर मार्क लगाए और मजदूरों को दोनों छोर से सुरंग खोदने के निर्देश दिए। उसका अनुमान था कि खुदाई करते-करते दोनों सुरंगें बीच में आकर मिल जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कर्नल के काम में थोड़ा अंतर आ गया। सुरंग खोदते वक्त ऐसे अंतर आना वैसे तो आम बात है लेकिन ब्रिटिश सरकार को यह ठीक नहीं लगा। सरकार ने पैसे की बर्बादी करने का कर्नल पर 1 रुपए का जुर्माना ठोक दिया। मजदूर भी निराश हो गए, क्योंकि उनकी मेहनत बेकार चली गई थी। इंजीनियर इस बात को लेकर बेहद परेशान हो गया और एक दिन वे अपने कुत्ते को लेकर सुबह टहलने निकले और खुद को गोली मार ली। 
 
कहते हैं कि इंजीनियर बारोग की मौत के बाद 1900 में टनल पर फिर से काम शुरू हुआ और 1903 में टनल पूरी तरह तैयार हो गई, तब ब्रिटिश सरकार ने इस टनल का नाम इंजीनियर के नाम से ही रखा बारोग टनल। इस टनल को पूरा करने का काम एचएस हर्लिंगटन ने किया। उनकी मदद स्थानीय संत बाबा भालकू ने भी की। इस टनल के निर्माण में 8.4 लाख रुपए का खर्च आया। जिस जगह पर इंजीनियर ने खुद को गोली मारी थी, उस जगह पर आज बारोग पाइनवुड होटल है।
 
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ईस्ट कोस्ट रोड (Two-lane East Coast Road) : ईस्ट कोस्ट रोड चेन्नई का एक सागर तट है। तट के साथ यह चलता है, जो चेन्नई को कुड्डालोर (पुडुचेरी) से जोड़ता है। रात में ड्राइविंग करने वाले कई लोगों का अनुभव रहा है कि इस सड़क पर एक सफेद साड़ी पहने महिला अक्सर नजर आती है जिसके चलते ड्राइवर्स का ध्यान भटकता है और वे दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।

रात में ड्राइविंग करने वाले कई लोगों का अनुभव रहा है कि इस सड़क पर एक सफेद साड़ी पहने महिला अक्सर नजर आती है जिसके चलते ड्राइवर का ध्यान भटकता है और वह दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।
 
बहुतों का अनुभव रहा है कि यहां कभी-कभी अचानक तापमान में बदलाव आ जाता है और बहुत डरावना-सा लगता है। यदि आप इस रोड से गुजरने जा रहे हैं, तो कतई रात में न जाएं।
 
अगे पन्ने पर तीसरा भुतहा मार्ग...
 

छावनी सड़क दिल्ली (Delhi Cantonment Road) : घने वृक्षों से लदा दिल्ली का कैंट इलाका बहुत ही खुबसूत सड़कों के लिए जाना जाता है। यहां की एक सड़क भुतहा मानी जाती है। सफेद साड़ी पहने एक रहस्यमयी महिला को देखे जाने की घटनाओं के कारण यह सड़क काफी चर्चित हो गई है। शाम ढलते हैं कोई भी इस सड़क से गुजरने का साहस नहीं करता है।
कहते हैं कि रात में जब आप ड्राइविंग करते हुए इस सड़क के मध्य में पहुंचते हैं तब आपकी कार या अन्य वाहन की गति बदल जाती है। आपको एक सफेद साड़ी पहने भुतहा महिला नजर आती है। कोई नहीं जानता कि तब आपके साथ क्या हो। 
 
उल्लेखनीय है कि छावनी इलाके की कई सड़कों पर स्ट्रीट लाइटें नहीं जलती थीं। दिल्ली छावनी इलाके की गिनती देश के पांच खूबसूरत छावनी इलाकों में होती है, लेकिन रात होते ही सड़कों पर अंधेरा हो जाता है। हो सकता है कि इस अंधेरे के कारण ही कई लोगों को अजीब किस्म के अनुभव हुए हों।
 
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रांची-जमशेदपुर रोड (National Highway No.33) : झारखंड के रांची- जमशेदपुर नेशनल हाईवे- 33 से यदि आप गुजर रहे हैं तो हनुमान चालीसा पढ़ते हुए जाएं। कहते हैं कि इस सड़क ने बहुतों की जिंदगी ले ली है।

सुरक्षित यात्रा के लिए जमशेदपुर से रांची की तरफ जाने वाले लोग वहां के वनदेवी मंदिर में बड़ी ही श्रद्धा के साथ रुकते हैं फिर आगे बढ़ते हैं, वहीं रांची से जमशेदपुर की ओर जाने वाले लोग बुंडू के पास तैमारा घाटी में बने हनुमान व काली मंदिर के पास रुके बिना आगे नहीं बढ़ते। हालांकि इसके बावजूद आश्चर्यजनक रूप से बड़ी संख्या में लोग बुंडू और तमाड़ के बीच सड़क दुर्घटनाओं में मारे जा चुके हैं।
 
सूर्यास्त के बाद उस रास्ते से गुजरने वाले लोग जल्द-से-जल्द निकल जाना चाहते हैं क्योंकि वहां माओवादियों का खौफ तो सर चढ़कर बोलता ही है साथ ही माना जाता है कि इस घाटी में प्रेतों का बसेरा है और ज्यादातर जानलेवा दुर्घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं इन प्रेतात्मा का ही हाथ है। 
 
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मार्वे और मड आइलैंड रोड मुंबई (Marve & Madh Island Road mumbai) : मार्वे और मड आइलैंड रोड पर यह औरत सड़क पर चलते लोगों को भटकाती है और उसके पास जाते ही चीखते-चिल्लाते भागने लगती है। मुंबई के इस फेमस इलाके में मार्वे रोड पर एक औरत को उसके शादी के जोड़े में कई बार देखा गया है। 
गौरतलब है कि इस औरत को पूर्णिमा की रातों के दौरान अक्सर देखा जाता है, जिसकी वजह से यहां कई सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। अगर आप भी 9 किलोमीटर लंबी इस रोड पर जाने का सोच रहे हैं तो जरा बच के रहें। मात्र 9 किलोमीटर लंबी यह सड़क का असाधारण घटनाओं का इतिहास रहा है। आपको यहां से गुजरते हुए किसी महिला के चिखने की आवाज भी सुनाई दे सकती है जो आपको परेशान कर सकती है।
 
अगले पन्ने पर छटा भुतहा मार्ग...
 

कसारा घाट : (Kasara Ghat, Mumbai-Nashik Highway) : मुंबई-नासिक के बीच पड़ने वाला कसारा घाट भुतहा माना जाता है। खतरनाक सड़कों और मोड़ की वजह से कसारा घाट से कई बसे खाई में गिर चुकी है। इस नाशिक मुंबई घाट भी कहते हैं। अक्सर यहां लोग अपनी कार या ट्रक का नियंत्रण खो बैठते हैं।
इस घाट का रास्ता बड़ा ही डरावना लगता है। खौफनाक पेड़ों और झाड़ियों से लदा यह घाट दिन में देखने से तो खुबसूरत लगता है लेकिन शाम ढ़लते ही यहां अजीब तरहा का डरावना महसूस होता है। कई किलोमीटर लंबे इस घाट पर यदि आप गलती से भी पेशाब करने रुके या मल त्यागने के लिए रुके तो आपके साथ कुछ भी हो सकता है। कहते हैं कि यहां इस सुनसान घाट पर अक्सर एक महिला लोगों को नजर आती है।
 
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सत्यमंगलम वन्यजीव अभयारण्य कॉरिडोर रोड (National Highway 209, Sathyamangalam Wildlife Sanctuary Corridor) : सत्यमंगललम अभ्यारण्य तक पहुंचने के लिए इस कॉरिडोर से गुजरता होता है। कभी यहां चंदन तस्कर वीप्पन का राज हुआ करता था। वीरप्पन की मौत के बाद ऐसा माना जाता है कि यहां उसकी आत्मा भटक रही है। कई लोगों के दावे अनुसार यहां एक आदमी को भटकते हुए देखा गया है तो भूत जैसा नजर आता है।
वीरप्पन का पूरा नाम कूज मुनिस्वामी वीरप्पन (1952-2004) था जो दक्षिण भारत का कुख्‍यात चंदन और हाथी दांत का तस्कर था। कहा जाता है कि उसने कुल 2000 हाथियों को मार डाला था। एक अभियान के तहत उसका एनकाउंटर कर दिया गया।
 
अगले पन्ने पर आठवां भुतहा मार्ग
 

कशेडी घाट मार्ग : (Kashedi Ghat, Mumbai-Goa Highway) मुम्बई गोवा राष्ट्रीय राजमार्ग के बीच पड़ने वाला कशेड़ी घाट भी डरावना माना जाता है। यह भी कसारा घाट की तरह भुतहा माना जाता है। यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है। मौत के आकड़े बताते हैं कि यह कितना खतरनाक मार्ग है। 
यहां अचानक कार या बसों के पलट जाने के किस्से आम है। बहुत मानते हैं कि यह एक रहस्यमी व्यक्ति करता है। रात में कई बार वह कार या बस को रोकने का प्रयास करता है। उसके इस प्रयास के चलते कार या बस का ड्राइवर अपना संतुलन खो देते हैं। 
 
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बेसेंट एवेन्यू सड़क चेन्नई (Besant Avenue Road) चेन्नई की यह सड़क वैसे तो बहुत ही खुबसूरत है। दिन में यहां घुमना अच्छा लगता है लेकिन रात होते ही यह सड़क भुतहा बन जाती है। यहां असाधारण और अजीब महसूस होने लगता है।
कई लोगों के अनुभव और दावे अनुसार एक अदृश्य शक्ति अचानक कहीं से आकर थप्पड़ मार देती है या उन्हें उठा कर फेंक देती है। इसीलिए लोग शाम ढलते ही इस सड़क की ओर नहीं जाते हैं।
 
अगले पन्ने पर दसवां भुतहा मार्ग...
 

मानपुर घाट (mamapur ghat madhya pradesh) : मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र को जोड़ने वाले आगरा-मुंबई सड़क मार्ग के बीच स्थित इस घाट को शापित माना जाता है। इस रास्ते से रोज गुजरने वाले वाहन चालकों का कहना है कि घाट में अतृप्त आत्माएं भटकती रहती हैं, जिसके कारण दुर्घटनाएं होती हैं।
घाटों के मोड़ काफी घुमावदार और खतरनाक है। कई जगह अंधे मोड़ है। यहां घाट जैसे ही शुरू होता है वहां भेरू महाराज का एक मंदिर है। पहले सभी जाने वाले लोग वहां रुककर अगरबत्ती लगाकर फिर आगे बढ़ते हैं। जोभी साथी बाबा के सामने सिर झुकाकर जाते हैं, वे पूरे रास्ते सुरक्षित रहते हैं। इनका अनादर करने वालों का अहित होता है।

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