राजगीर : बिहार का पौराणिक तीर्थस्थल

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पटना से 100 किमी उत्तर में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल के रूप में दुनियाभर में लोकप्रिय है। ये एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। ये जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्मावलंबियों का तीर्थ है। खासकर बौद्ध धर्म से इसका प्राचीन संबंध है। 


 
पांच पहाड़ियों से घिरा राजगीर आज उम्मीदों के नए पहाड़ पर खड़ा है। पहले यहां सरस्वती नदी भी बहती थी। बिहार में प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर प्राचीन पौराणिक और ऐतिहासिक स्थलों की लंबी श्रृंखला है। 
 
राजगीर और इसके आसपास के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों में सप्तपर्णि गुफा, विश्व शांति स्तूप, सोन भंडार गुफा, मणियार मठ, जरासंध का अखाड़ा, बिम्बिसार की जेल, नौलखा मंदिर, जापानी मंदिर, रोपवे, बाबा सिद्धनाथ का मंदिर, घोड़ाकटोरा डैम, तपोवन, जेठियन बुद्ध पथ, वेनुवन, वेनुवन विहार, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, जैन मंदिर, श्रीकृष्ण भगवान के रथ के चक्कों के निशान, सुरक्षा दीवार, सामस स्थित तालाब और तेल्हार आदि देख सकते हैं। 
 
बिहार का एक छोटा-सा शहर है राजगीर, जो कि नालंदा जिले में स्थित है। राजगीर में सोन भंडार गुफा भी है ‍जिसके बारे में यह किंवदंती है कि इसमें बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है। 
 
 

 


देवनगरी राजगीर कई धर्मों की संगमस्थली है। यह राजगीर जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्मावलंबियों का तीर्थ है। जैन धर्म में 11 गंधर्व हुए और उन सभी का निर्वाण राजगीर में हुआ। यहां की 5 पहाड़ियां मसलन विपुलगिरि, रत्नागिरि, उदयगिरि, सोनगिरि, वैभारगिरि हैं। इन सभी पहाड़ियों पर जैन धर्म के मंदिर हैं। भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश विपुलगिरि पर्वत पर दिया था। इसके अलावा राजगीर के आस-पास की पहाड़‍ियों पर 26 जैन मंदिर बने हुए हैं, पर वहां पहुंचना आसान नहीं है, क्योंकि वहां पहुंचने का रास्ता अत्यंत दुर्गम है। 
 
भगवान बुद्ध भी रत्नागिरि पर्वत के ठीक बगल में स्थित गृद्धकूट पहाड़ी पर उपदेश देते थे। इस पहाड़ी पर उस स्थल के अवशेष मौजूद हैं। बुद्ध के निर्वाण के बाद बौद्ध धर्मावलंबियों का पहला सम्मेलन वैभारगिरि पहाड़ी की गुफा में हुआ था। इसी सम्मेलन में पालि साहित्य का उम्दा ग्रंथ 'त्रिपिटक' तैयार हुआ था।
 
बोधगया से राजगीर भगवान बुद्ध जिस मार्ग से आए थे उसमें भी अनेक स्थल हैं। नालंदा, पावापुरी, राजगीर और बोधगया एक कड़ी में हैं। जापानी बुद्ध संघ ने विश्व शांति स्तूप भी बनवाया हुआ है। 
 
विपुलगिरि पर्वत जरासंध की राजधानी थी। भीम और जरासंध के बीच 18 दिनों का मल्लयुद्ध यहीं हुआ था। जरासंध इसमें भगवान श्रीकृष्ण की कूटनीति से मारा गया था। राजगीर में हर 3 साल के बाद मलमास मेला लगता है। देश-दुनिया के श्रद्धालु यहां प्रवास करते हैं और गर्म कुंडों में स्नान कर पाप से मुक्ति की कामना करते हैं। 
 
 

पौराणिक नगरी राजगीर तीर्थ के बारे में भारतीय ग्रंथ 'वायु पुराण' के अनुसार मगध सम्राट बसु द्वारा राजगीर में 'वाजपेय यज्ञ' कराया गया था। उस यज्ञ में राजा बसु के पितामह ब्रह्मा सहित सभी देवी- देवता राजगीर पधारे थे।


 
यज्ञ में पवित्र नदियों और तीर्थों के जल की जरूरत पड़ी थी। कहा जाता है कि ब्रह्मा के आह्वान पर ही अग्निकुंड से विभिन्न तीर्थों का जल प्रकट हुआ था। उस यज्ञ का अग्निकुंड ही आज का ब्रह्मकुंड है। उस यज्ञ में बड़ी संख्या में ऋषि-महर्षि भी आते हैं। पुरुषोत्तम मास, सर्वोत्तम मास में यहां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति की महिमा है। 
 
किंवदंती है कि भगवान ब्रह्मा से राजा हिरण्यकश्यप ने वरदान मांगा था कि रात-दिन, सुबह-शाम और उनके द्वारा बनाए गए 12 मास में से किसी भी मास में उसकी मौत न हो। इस वरदान को देने के बाद जब ब्रह्मा को अपनी भूल का अहसास हुआ, तब वे भगवान विष्णु के पास गए। 
 
भगवान विष्णु ने विचारोपरांत हिरण्यकश्यप के अंत के लिए 13वें महीने का निर्माण किया। धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त 1 महीने को मलमास या अधिकमास कहा जाता है। वायु पुराण एवं अग्नि पुराण के अनुसार इस अवधि में सभी देवी-देवता यहां आकर वास करते हैं। इसी अधिकमास में मगध की पौराणिक नगरी राजगीर में प्रत्येक ढाई से तीन साल पर विराट मलमास मेला लगता है।
 
यहां आने वाले लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों प्राची, सरस्वती और वैतरणी के अलावा गर्म जलकुंडों यथा ब्रह्मकुंड, सप्तधारा, न्यासकुंड, मार्कंडेय कुंड, गंगा-यमुना कुंड, काशीधारा कुंड, अनंत ऋषि कुंड, सूर्य कुंड, राम-लक्ष्मण कुंड, सीता कुंड, गौरी कुंड और नानक कुंड में स्नान कर भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर में आराधना करते हैं।
 
प्राचीन धरोहरों की राजधानी राजगीर में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक के अलावा श्रीलंका, थाईलैंड, कोरिया, जापान, चीन, बर्मा, नेपाल, भूटान और अमेरिका और इंग्लैंड से भी पर्यटकों का आना होता है।
 
 

कैसे पहुंचें राजगीर?


 
सड़क मार्ग- सड़क परिवहन द्वारा राजगीर जाने के लिए पटना, गया, दिल्ली से बस सेवा उपलब्ध है। इसमें बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम अपने पटना स्थित कार्यालय से नालंदा एवं राजगीर के लिए टूरिस्ट बस एवं टैक्सी सेवा भी उपलब्ध करवाता है। इसके जरिए आप आसानी से राज‍गीर पहुंच सकते हैं।
 
रेल मार्ग- रेलमार्ग के लिए पटना एवं दिल्ली से सीधी रेल सेवा यात्रियों के लिए उपलब्ध है, जहां यात्री आसानी से राजगीर पहुंच सकते हैं।
 
हवाई मार्ग- यहां पर वायुमार्ग से पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा पटना है, जो करीब 107 किमी की दूरी पर है।

 
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