Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

यमनोत्री धाम

यमुना के उद्गम स्‍थल की यात्रा

Advertiesment
हमें फॉलो करें यमुनोत्री धाम

नूपुर दीक्षित दुबे

भारत की सर्वाधिक प्राचीन और पवित्र नदियों में गंगा के समकक्ष ही यमुना की गणना की जाती है। भगवान कृष्‍ण की लीलाओं की साक्षी रही यह नदी ब्रज संस्‍कृति की संवाहक है। भारतवासियों के लिए यह सिर्फ एक नदी नहीं है, भारतीय संस्‍कृति में इसे माँ का दर्जा दिया गया है।
 
यमुना नदी का उद्गम हिमालय के पश्चिमी गढ़वाल क्षेत्र में स्थित यमनोत्री से हुआ है। हिन्दू धर्म के चार धामों में यमनोत्री का भी स्‍थान है। आइए, हम अपने शब्‍दों के माध्‍यम से आपको यमनोत्री की सैर करवाते हैं।
 
यमुना नदी की तीर्थस्‍थली यमनोत्री हिमालय की खूबसूरत वादियों में स्थित है। यमुना नदी का उद्गम कालिंद नामक पर्वत से हुआ है। हिमालय में पश्चिम गढ़वाल के बर्फ से ढँके श्रंग बंदरपुच्‍छ जो कि जमीन से 20,731 फुट ऊँचा है, के उत्‍तर-पश्चिम में कालिंद पर्वत है। इसी पर्वत से यमुना नदी का उद्गम हुआ है। कालिंद पर्वत से नदी का उद्गम होने की वजह से ही लोग इसे कालिंदी भी कहते हैं।
 
यमुना नदी का वास्‍तविक स्रोत कालिंद पर्वत के ऊपर बर्फ की एक जमी हुई झील और हिमनद चंपासर ग्‍लेश्यिर है। यह ग्‍लेश्यिर समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसी ग्‍लेश्यिर से यमुना नदी निकलती है और ऊँचे-नीचे, पथरीले रास्‍तों पर इठलाती, बलखाती हुई पर्वत से नीचे उतरती है।
 
यमुना नदी के इस शुद्ध निर्मल जल और स्‍वछंद प्रवाह के दर्शन करने अनेक तीर्थयात्री और पर्यटन हर साल हजारों की संख्‍या में यमनोत्री धाम पहुँचते हैं। भक्तिभाव से यमुना नदी के दर्शन करने आने वालों के साथ-साथ एडवेंचर के शौकीनों और प्रकृतिप्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्‍वर्ग से कम नहीं है।
 
तीर्थयात्री और पर्यटक देवी यमुना के मंदिर तक ही आते हैं। यह मंदिर पहाड़ी पर वास्‍तविक ग्‍लेश्यिर से कुछ नीचे स्थित है। इस मंदिर तक पहुँचने का मार्ग अत्‍यंत खूबसूरत है। इस मंदिर की चढ़ाई करते हुए आस-पास की हिमाच्‍छादित पहाडि़यों के मनोहारी दृश्‍य यात्रियों की सारी थकान को हर लेते हैं। जो लोग पहाड़ी पर चढ़ने में समर्थ नहीं होते उनके लिए यहाँ टट्टू और पालकी की सुविधा उपलब्‍ध है।

अन्‍य आकर्षण : यमुना नदी के मंदिर के अतिरिक्‍त यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण है- सूर्यकुंड। यह गर्म पानी का कुंड है जिसका पानी 80 डिग्री सेल्सियस तक गर्म रहता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस कुंड में आलू और चावल उबालकर उसका भोग यमुना देवी को लगाते हैं।
 
दिव्‍यशिला : सूर्यकुंड के समीप एक शिला है, जिसे दिव्यशिला या ज्‍योतिशिला भी कहा जाता है। श्रद्धालु यमुना मैया की पूजा करने से पहले इस शिला की पूजा करते हैं।
 
कब जाएँ : यमनोत्री के पट हर साल हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। अक्षय तृतीया की तिथि प्रतिवर्ष अप्रैल या मई माह के दौरान आती है। यमनोत्री के पट नवंबर माह तक दर्शनों के लिए खुले रहते है। अप्रैल से सितंबर के मध्‍य यहाँ यात्रा करना मौसम और जलवायु की दृष्टि से सुविधाजनक होता है।
 
सितंबर के बाद यहाँ की जलवायु बहुत अधिक ठंडी हो जाती है। दिसंबर से मार्च तक यह पूरा मार्ग बर्फ से ढँक जाता है इसलिए दर्शनार्थियों को यहाँ जाने की अनुमति नहीं मिलती।
 
कैसे पहुँचें : ऋषिकेश से 220 किमी का सड़क मार्ग तय करने के बाद फूलचट्टी नामक स्‍थान से यमनोत्री की चढ़ाई प्रारंभ होती है। फूलचट्टी तक श्रद्धालु अपनी इच्‍छानुसार बस या निजी वाहन से पहुँच सकते हैं।
 
समीपस्‍थ हवाई अड्डा : देहरादून स्थित जौलीग्रांट सबसे समीप स्थित हवाई अड्डा है।
 
सड़क मार्ग : ऋषिकेश से यहाँ आने के लिए बस एवं जीप आदि वाहनों की सुविधा उपलब्‍ध होती है।
 
कहाँ ठहरें : यात्रियों के ठहरने के लिए यमनोत्री और इसके पूरे मार्ग पर यात्री विश्रामगृह, निजी विश्रामगृह और धर्मशालाएँ उपलब्‍ध हैं।
 
सावधानियाँ :
यमनोत्री की यात्रा पर जाने से पूर्व अपने साथ गर्म कपड़े अवश्‍य रखें।
पैरों में डिजाइनर चप्‍पलों या सैंडल की बजाए स्‍पोर्टस शू पहनें तो चढ़ाई करने में आसानी रहेगी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi