माता कालिका के प्रसिद्ध तीन मंदिर

इन मंदिरों में जाने से खुलता है भाग्य

अनिरुद्ध जोशी
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हिन्दू धर्म में सबसे जागृत देवी है मां कालिका। मां कालिका को खासतौर पर बंगाल और असम में पूजा जाता है। काली शब्द का अर्थ काल और काले रंग से है। काल का अर्थ समय। मां काली को देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है। मां काली के चार रूप है- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली।

कालिका के दरबार में जो एक बार चला जाता है उसका नाम-पता दर्ज हो जाता है। यहां यदि दान मिलता है तो दंड भी। माता के नाम से एक अलग ही पुराण है, जिसमें उनकी महिमा का वर्णन है।

1. कोलकाता का काली मंदिर : रामकृष्ण परमहंस की आराध्या देवी मां कालिका का कोलकाता में विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास स्थित इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर कहते हैं। इस पूरे क्षेत्र को कालीघाट कहते हैं। इस स्थान पर सती देह की दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थी। इसलिए यह सती के 52 शक्तिपीठों में शामिल है।

यह स्थान प्राचीन समय से ही शक्तिपीठ माना जाता था, लेकिन इस स्थान पर 1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने मंदिर का निर्माण करवाया था। 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1855 पूरा हुआ।

 

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2. मां गढ़ कालिका : उज्जैन के कालीघाट स्थित कालिका माता का प्राचीन मंदिर हैं, जिसे गढ़ कालिका के नाम से जाना जाता है। कालजयी कवि कालिदास गढ़ कालिका देवी के उपासक थे। यहां प्रत्येक वर्ष कालिदास समारोह के आयोजन के पूर्व मां कालिका की आराधना की जाती है।

गढ़ कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है। तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारिक मंदिर की प्राचीनता के विषय में कोई नहीं जानता, फिर भी माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की है। बाद में इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा किए जाने का उल्लेख मिलता है। स्टेटकाल में ग्वालियर के महाराजा ने इसका पुनर्निर्माण कराया।

वैसे तो गढ़ कालिका का मंदिर शक्तिपीठ में शामिल नहीं है, किंतु उज्जैन क्षेत्र में मां हरसिद्धि ‍शक्तिपीठ होने के कारण इस क्षेत्र का महत्व बढ़ जाता है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में ‍शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर मां भगवती सती के ओष्ठ गिरे थे।

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मां गढ़ कालिका

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3. पावागढ़ शक्तिपीठ : गुजरात की ऊंची पहाड़ी पर बसा पावागढ़ मंदिर। यहां स्थित काली मां को महाकाली कहा जाता है। काली माता का यह प्रसिद्ध मंदिर मां के शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ उन पूजा स्थलों को कहा जाता है, जहां सती मां के अंग गिरे थे।

पावागढ़ में मां के वक्षस्थल गिरे थे। कहते हैं कि यहां माता का जागृत दरबार लगता है और उनकी कई सेविकाएं उनके लिए कार्य करती हैं। यहीं लोगों को दंड या दान मिलता है।

इस पहाड़ी को गुरु विश्वामित्र से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि गुरु विश्वामित्र ने यहां काली मां की तपस्या की थी। यह मंदिर गुजरात की प्राचीन राजधानी चंपारण्य के पास स्थित है, जो वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। पावागढ़ मंदिर ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। रोप-वे से उतरने के बाद आपको लगभग 250 सीढ़ियां चढ़ना होंगी, तब जाकर आप मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचेंगे।

इसके आलावा कालिका के प्राचीन मंदिर, गोवा के नार्थ गोवा में महामाया, कर्नाटक के बेलगाम में, पंजाब के चंडीगढ़ में और कश्मीर में स्थित है।

पावागढ़ की मां महाकाली माता के मंदिर का दर्शन करने के लिए आगे क्लिक करें :-
ऊंची पहाड़ी पर बसा पावागढ़ शक्तिपीठ

प्रस्तुति- अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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