भारत के दक्षिण भारत में 2000 हजार वर्ष पुराना एक ऐसा मंदिर है जिसकी चमक अंतरिक्ष तक जाती है। निश्चित ही यदि कोई एलियन अंतरिक्ष से गुजरेगा तो उसे गिजा के पिरामिड, कैलाश पर्वत, कैलाश मंदिर के अलावा दक्षिण भारत का यह मंदिर भी निश्चित ही ध्यान आकर्षण करेगा।
दरअसल, वर्षों पूर्व एक सैटेलाइट इसके उपर से घुमा तो उसने एक स्थान पर अप्रत्याशित रूप से चमक देखी। इस चमक का कारण जानना चाहा तो पता चला कि यह तो दक्षिण भारत के केरल के अलाप्पुझा जिले के चेंगन्नूर के पास मुथावज़ी, पंडनाड में स्थापित स्थित एक मंदिर के गुंबद की चमक है जो दूर तक फैल रही है। आखिर क्या है इस गुंबद में?
कहते हैं कि इस मंदिर का गुंबद विश्व की सर्वाधिक अमूल्य धातु 'इरेडीयम' से बनाया गया। इस मंदिर को पंदानाद श्रीकुमारमंगलम सुब्रमण्यम स्वामी का मंदिर कहा जाता है।
कहते हैं कि मंदिर के गुंबद को कुछ विदेशियों ने जब इसे करोड़ों रूपए में खरीदने की इच्छा जताई तब मंदिर प्रशासन और गांव के लोगों को पहली दफा पता चला की यह मंदिर कितना महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से निवेदन कर इसकी सुरक्षा बढ़ाई।
स्थानीय लोगों ने इस मंदिर के बारे में कहा कि मंदिर का पवित्र पावन गर्भ गृह स्टोन और लकड़ी से बनाया गया है, लेकिन इसकी छत तांबे (कॉपर) की है लेकिन गुंबद विश्व की सर्वाधिक अमूल्य धातु इरेडियम का बना है यह कोई नहीं जानता था। इस धातु के कारण ही इस मंदिर के चारों और प्रकाश पुंज निर्मित हो जाता है जो अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है। हालांकि अब भी यह रहस्य बरकरार है कि क्या यह खबर सही है? सही है तो उस गुबंद की धातु क्या अब भी सुरक्षित है?