चेन्नई से लगभग 60 किलोमीटर दूर एक तीर्थस्थल है जिसे 'पक्षी तीर्थ' कहा जाता है। यह तीर्थस्थल वेदगिरि पर्वत के ऊपर है। दक्षिण रेलवे के मद्रास एगमोर-रामेश्वरम् रेलमार्ग पर मद्रास से करीब 56 किमी दूरी पर आता है चेंगलपट्ट स्टेशन, यहां से 14 किमी दूरी पर है 'पक्षी तीर्थ'।
मान्यता : यहां दिन में 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच पक्षियों के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि ये हजारों पक्षी कैलाश पर्वत से आते हैं। कई सदियों से दोपहर के वक्त यहां गरूड़ का एक जोड़ा सुदूर आकाश से उतर आता है और फिर मंदिर के पुजारी द्वारा दिए गए खाद्यान्न को ग्रहण करके आकाश में लौट जाता है। लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है। इन्हें स्थानीय लोग चमरगिद्धा, मलगिद्धा के नाम से पुकारते हैं।
सैकड़ों लोग उनका दर्शन करने के लिए वहां पहले से ही उपस्थित रहते हैं। वहां के पुजारी के मुताबिक सतयुग में ब्रह्मा के 8 मानसपुत्र शिव के शाप से गरूड़ बन गए थे। उनमें से 2 सतयुग के अंत में, 2 त्रेता के अंत में, 2 द्वापर के अंत में शाप से मुक्त हो चुके हैं। कहा जाता है कि अब जो 2 बचे हैं, वे कलयुग के अंत में मुक्त होंगे।
पक्षी तीर्थ में ही रुद्रकोटि शिव मंदिर स्थित है। मंदिर में ही शंकरतीर्थ नाम का सरोवर है। पक्षीतीर्थ के नजदीक ही एक पहाड़ी वेदगिरि पर एक शिव मंदिर है। लगभग 500 सीढ़ियां चढ़कर इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।