12 Mallikarjuna Jyotirlinga: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के 5 रहस्य जो आप नहीं जानते होंगे

WD Feature Desk
सोमवार, 29 जुलाई 2024 (16:50 IST)
Mallikarjuna Jyotirlinga:12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का बहुत महत्व है। यह ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर स्थित श्रीशैलपर्वत पर श्री मल्लिकार्जुन स्थित है। महाभारत, शिवपुराण तथा पद्मपुराण आदि धर्मग्रंथों में इसकी महिमा और महत्ता का विस्तार से वर्णन किया गया है।ALSO READ: जा रहे हैं सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने, तो इन जगहों को भी करें अपनी यात्रा में शामिल
 
1. दक्षिण का कैलाश : आंध्रप्रदेश के कुरनूल जिले में कृष्णा नदी के किनारे नल्लामाला श्रीशैल पर्वत पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें। इसे दक्षिण का कैलाश कहते हैं। 
 
2. शक्तिपीठ के पास स्थित : यहां पर 51 शक्तिपीठों में से एक पीठ है। 51 शक्तिपीठों में से 18 शक्तिपीठों का विशेष महत्व है। इन 18 शक्तिपीठों में से 4 शक्तिपीठ अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। श्रीशैलम उन 4 शक्तिपीठों में से एक है। 
 
3. तुरंत मनोकामना पूर्ति का स्थान : इस मल्लिकार्जुन-शिवलिंग का दर्शन-पूजन एवं अर्चन करने वाले भक्तों की सभी सात्त्विक मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। उनकी भगवान्‌ शिव के चरणों में स्थिर प्रीति हो जाती है। दैहिक, दैविक, भौतिक सभी प्रकार की बाधाओं से वे मुक्त हो जाते हैं।ALSO READ: 12 Jyotirlinga: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के 7 ज्योतिर्लिंगों को छोड़कर करें अन्य 5 के दर्शन की प्लानिंग
 
4. पौराणिक कथा : पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग की कथा इस प्रकार से वर्णन है। एक समय की बात है, भगवान शंकरजी के दोनों पुत्र श्रीगणेश और श्रीकार्त्तिकेय स्वामी विवाह के लिए परस्पर झगड़ने लगे। प्रत्येक का आग्रह था कि पहले मेरा विवाह किया जाए।
mallikarjuna jyotirlinga
उन्हें लड़ते-झगड़ते देखकर भगवान्‌ शंकर और माँ भवानी ने कहा- तुम लोगों में से जो पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर यहाँ वापस लौट आएगा उसी का विवाह पहले किया जाएगा।' माता-पिता की यह बात सुनकर श्रीकार्त्तिकेय स्वामी तो अपने वाहन मयूर पर विराजित हो तुरंत पृथ्वी-प्रदक्षिणा के लिए दौड़ पड़े। लेकन गणेशजी के लिए तो यह कार्य बड़ा ही कठिन था। एक तो उनकी काया स्थूल थी, दूसरे उनका वाहन भी मूषक-चूहा था। भला, वे दौड़ में स्वामी कार्त्तिकेय की बराबरी किस प्रकार कर पाते?ALSO READ: Sawan somwar 2024: इन 3 राज्यों में जाकर आप 7 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करें, जानें प्लान
 
लेकिन उनकी काया जितनी स्थूल थी बुद्धि उसी के अनुपात में सूक्ष्म और तीक्ष्ण थी। उन्होंने अविलंब पृथ्वी की परिक्रमा का एक सुगम उपाय खोज निकाला सामने बैठे माता-पिता का पूजन करने के पश्चात उनकी सात प्रदक्षिणाएँ करके उन्होंने पृथ्वी-प्रदक्षिणा का कार्य पूरा कर लिया। उनका यह कार्य शास्त्रानुमोदित था-
 
पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रान्तिं च करोति यः ।
तस्य वै पृथिवीजन्यं फलं भवति निश्चितम्‌ ॥
 
पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर स्वामी कार्त्तिकेय जब तक लौटे तब तक गणेशजी का 'सिद्धि' और 'बुद्धि' नाम वाली दो कन्याओं के साथ विवाह हो चुका था और उन्हें 'क्षेम' तथा 'लाभ' नामक दो पुत्र भी प्राप्त हो चुके थे। यह सब देखकर स्वामी कार्त्तिकेय अत्यंत रुष्ट होकर क्रौञ्च पर्वत पर चले गए। माता पार्वती वहाँ उन्हें मनाने पहुँचीं। पीछे शंकर भगवान्‌ वहाँ पहुँचकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और तब से मल्लिकार्जुन-ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रख्यात हुए। इनकी अर्चना सर्वप्रथम मल्लिका-पुष्पों से की गई थी। मल्लिकार्जुन नाम पड़ने का यही कारण है।
 
5. दूसरी पौराणिक कथा : एक दूसरी कथा यह भी कही जाती है- इस शैल पर्वत के निकट किसी समय राजा चंद्रगुप्त की राजधानी थी। किसी विपत्ति विशेष के निवारणार्थ उनकी एक कन्या महल से निकलकर इस पर्वतराज के आश्रम में आकर यहाँ के गोपों के साथ रहने लगी। उस कन्या के पास एक बड़ी ही शुभ लक्षरा सुंदर श्यामा गौ थी। उस गौ का दूध रात में कोई चोरी से दुह ले जाता था। एक दिन संयोगवश उस राजकन्या ने चोर को दूध दुहते देख लिया और क्रुद्ध होकर उस चोर की ओर दौड़ी, किंतु गौ के पास पहुँचकर उसने देखा कि वहाँ शिवलिंग के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। राजकुमारी ने कुछ समय पश्चात उस शिवलिंग पर एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया यही शिवलिंग मल्लिकार्जुन के नाम से प्रसिद्ध है। शिवरात्रि के पर्व पर यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है।ALSO READ: Sawan somvar 2024 : सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवलिंगों में सबसे महान शिवलिंग कौनसा है?
 
कैसे पहुंचें : आंध्रप्रदेश में भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन मंदिर के सबसे पास का रेलवे स्टेशन मार्कपुर है, जो मंदिर से 80 किलोमीटर दूर है। देवघर से श्री मल्लिकार्जुन की दूरी करीब 1,655 किलोमीटर है।
 

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