क्या हुआ जब श्री गणेश ने धारण किया स्त्री का रूप, पढ़ें एक ऐसी कथा, जो किसी को नहीं पता

Webdunia
क्या कभी आपने सुना है कि गणेश जी ने भी स्त्री रूप लिया था? जी हां.... भगवान शिव एवं माता पार्वती के पुत्र गणेश जी का स्त्री रूप पुराणों में दर्ज किया गया है। विनायक गणेश जी के इस स्त्री रूप को ‘विनायकी’ के नाम से जाना जाता है।
 
धर्मोत्तर पुराण में विनायकी के इस रूप का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा वन दुर्गा उपनिषद में भी गणेश जी के स्त्री रूप का उल्लेख दर्ज है, जिसे गणेश्वरी का नाम दिया गया है। इतना ही नहीं, मत्स्य पुराण में भी गणेश जी के इसी स्त्री रूप का वर्णन प्राप्त होता है।
 
क्यों किया स्त्री रूप धारण?
लेकिन कैसे गणेश जी ने स्त्री रूप धारण किया? इसके पीछे उद्देश्य क्या था? ऐसा क्या हुआ कि उन्हें स्त्री रूप लेना पड़ा? इसकी कहानी काफी रोचक है, जो माता पार्वती एवं अंधक नामक एक दैत्य से जुड़ी है।
 
कथा के अनुसार एक बार अंधक नामक दैत्य माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाने के लिए इच्छुक हुआ। अपनी इस इच्छा को पूर्ण करने के लिए उसने जबर्दस्ती माता पार्वती को अपनी पत्नी बनाने की कोशिश की, लेकिन मां पार्वती ने मदद के लिए अपने पति शिव जी को बुलाया।
 
अपनी पत्नी को दैत्य से बचाने के लिए भगवान शिव ने अपना त्रिशूल उठाया और राक्षस के आरपार कर दिया। लेकिन वह राक्षस मरा नहीं, बल्कि जैसे ही उसे त्रिशूल लगा तो उसके रक्त की एक-एक बूंद एक राक्षसी ‘अंधका’ में बदलती चली गई। भगवान को लगा कि यदि उसे हमेशा के लिए मारना हो तो उसके खून की बूंद को जमीन पर गिरने से रोकना होगा।
 
 माता पार्वती को एक बात समझ में आई, वे जानती थीं कि हर एक दैवीय शक्ति के दो तत्व होते हैं। पहला पुरुष तत्व जो उसे मानसिक रूप से सक्षम बनाता है और दूसरा स्त्री तत्व, जो उसे शक्ति प्रदान करता है। इसलिए पार्वती जी ने उन सभी देवियों को आमंत्रित किया जो शक्ति का ही रूप हैं।
 
ऐसा करते हुए वहां हर दैवीय ताकत के स्त्री रूप आ गए, जिन्होंने राक्षस के खून को गिरने से पहले ही अपने भीतर समा लिया। फलस्वरूप अंधका का उत्पन्न होना कम हो गया।
 
तब लिया गणेश जी ने स्त्री रूप
लेकिन इस सबसे भी अंधक के रक्त को खत्म करना संभव नहीं हो रहा था। आखिर में गणेश जी अपने स्त्री रूप ‘विनायकी’ में प्रकट हुए और उन्होंने अंधक का सारा रक्त पी लिया।
 
इस प्रकार से देवताओं के लिए अंधका का सर्वनाश करना संभव हो सका। गणेश जी के विनायकी रूप को सबसे पहले 16वीं सदी में पहचाना गया। उनका यह स्वरूप हूबहू माता पार्वती जैसा प्रतीत होता है, अंतर केवल सिर का है जो गणेश जी की तरह ही ‘गज के सिर’ से बना है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Astrology: कब मिलेगा भवन और वाहन सुख, जानें 5 खास बातें और 12 उपाय

अब कब लगने वाले हैं चंद्र और सूर्य ग्रहण, जानिये डेट एवं टाइम

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में क्या होगा देश और दुनिया का भविष्य?

Jupiter Transit 2024 : वृषभ राशि में आएंगे देवगुरु बृहस्पति, जानें 12 राशियों पर क्या होगा प्रभाव

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय और शुभ मुहूर्त जानिए

Aaj Ka Rashifal: आज कैसा गुजरेगा आपका दिन, जानें 29 अप्रैल 2024 का दैनिक राशिफल

29 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

29 अप्रैल 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Forecast 29-05 May: मई माह की शुरुआ‍‍त में किसकी किस्मत का चमकेगा सितारा, जानें 12 राशियां

अगला लेख