सुदर्शन चक्र कितने देवताओं के पास रहा, पढ़े अनूठी जानकारी

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सभी शस्त्रों में चक्र को छोटा, लेकिन सबसे अचूक अस्त्र माना जाता था। सभी देवी-देवताओं के पास अपने-अपने अलग-अलग चक्र होते थे। उन सभी के अलग-अलग नाम थे। भोलेनाथ के चक्र का नाम भवरेंदु है। विष्णुजी के चक्र का नाम कांता चक्र और देवी का चक्र मृत्यु मंजरी चक्र है। सुदर्शन चक्र भगवान कृष्ण का चक्र है।
 
दरअसल सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान शंकर ने किया था। निर्माण के बाद  भगवान शिवशंकर ने इसे श्रीविष्णु को सौंप दिया था। जरूरत पड़ने पर श्रीविष्णु ने इसे देवी पार्वती को प्रदान कर दिया। पार्वती ने इसे परशुराम को दे दिया और भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र परशुराम से मिला। श्रीकृष्ण के पास  यह सदा के लिए रहा।  

                                                                        
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हैहय वंश के राजा कार्तविर्यार्जुन सुदर्शन चक्र के अवतार माने गए। आज भी मान्यता है कि इनकी साधना करने से हर प्रकार की गुम वस्तु मिल जाती है।  सुदर्शन चक्र के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि वह किसी भी दिशा अथवा किसी भी लोक में जाकर वांछित सामग्री खोज लाने में सक्षम है। 
 
उनकी साधना के लिए दीपक लगाकर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। अपनी गुम वस्तु की कामना को उच्चारण कर भगवान विष्‍णु के सुदर्शन चक्रधारी रूप का ध्यान करें। चक्र को रक्त वर्ण में ध्याएं एवं इस मंत्र का विश्वासपूर्वक जप करें। 
 
मंत्र :- ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। 
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

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