मैं ऐसा देश चाहता हूं...पढ़ें 30 काम की बातें

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भारत डोगरा 
 
अपने आप से पूछें कैसा देश चाहते हैं हम...? स्वच्छ, सुंदर, हरा-भरा, खुशहाल और प्रगतिशील, लेकिन चाहने से क्या होता है, पूछें अपने आप से कि क्या करते हैं हम इसके लिए.. आइए पहले तय करें कि हमारा देश कैसा हो.. पढ़ें 30 काम की बातें....  
 
 
(1) हम ऐसा देश चाहते हैं जिसमें सभी लोगों को भरपेट पौष्टिक भोजन मिले, साफ पेयजल मिले। 
 
(2) सभी लोगों को सदी-गर्मी व बरसात से रक्षा करने वाले और सफाई की उचित व्यवस्था वाले घर और वस्त्र मिलें। 
 
(3) सभी बच्चों को शिक्षा के उचित खुशहाल अवसर मिलें। जो अशिक्षित वयस्क लोग साक्षर होना चाहते हैं उन्हें साक्षरता के पर्याप्त अवसर मिलें। 
 
(4) बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं सब लोगों को उपलब्ध हों। दवा उद्योग मुनाफे पर आधारित न होकर जरूरतों पर आधारित हों। रोगों की रोकथाम व दुर्घटनाओं को कम करने को प्राथमिकता मिले। 
 
(5) गरीब से गरीब व कमजोर से कमजोर व्यक्ति को आगे जाने का अवसर मिले। इतिहास के सैकड़ों वर्षों में जिनसे अन्याय हुआ है उन अनुसूचित जातियों व जनजातियों, अन्य बहुत पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं को अधिक अवसर देने की विशेष व्यवस्था की जाए। छुआछूत को जड़ से समाप्त किया जाए। विकलांग व्यक्तियों को विशेष अवसर मिले व समाज उनकी जरूरतों पर ध्यान दे। 
 
(6) गाँवों व कृषि को प्राथमिकता दी जाए। गाँवों के आत्मनिर्भर विकास पर जोर दिया जाए। सूखे, बाढ़ से अधिक प्रभावित रहने वाले या अन्य कारणों से अधिक गरीब गाँवों पर विशेष ध्यान दिया जाए। गाँव के जल, जंगल, जमीन, लघु खनिज आदि संसाधनों पर गाँव का अधिकार हो। ग्रामसभा में सभी वयस्क गाँववासियों की बराबर व सक्रिय जिम्मेदारी हो। गाँव के जल, जंगल, मिट्टी, पत्थर पर आधारित सबको संतोषजनक आजीविका मिले, वे इन सब संसाधनों की रक्षा करें। 
 
(7) समता व सादगी को आर्थिक-सामाजिक विकास का आधार बनाया जाए। 
 
(8) बुनियादी उद्योगों, खाद्य, दवा आदि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में देश की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जाए। 
 
(9) हवा, पानी को साफ रखने व प्रदूषण से बचाने के निष्ठावान प्रयास किए जाएं। 
 
(10) जमीन का उपजाऊपन बचाने, वनों व चारागाहों की रक्षा करने, हरियाली बढ़ाने, पानी का संरक्षण और संग्रह करने के विशेष प्रयास किए जाएं। 
 
(11) जहां तक संभव हो विस्थापन वाली परियोजनाओं के विकल्प खोजे जाएँ। जहाँ विस्थापन डाला न जा सके, वहाँ स्थिापितों से पूर्ण न्याय के बाद ही उन्हें हटाया जाए। 
 
(12) भूमिहीन खेत मजदूरों को जमीन दी जाए। जिन किसानों की जमीन बहुत कम हो गई है, हो सके तो उन्हें भी जमीन दी जाए। ग्रामीण दस्तकारों के रोजगार की रक्षा हो। किसी भी कारखाने को बंद करना हो तो मजदूरों से पूर्ण न्याय हो। किसी को अचानक बेरोजगारी में न धकेला जाए।  
 
(13) किसी को ऐसे कार्य करने के लिए मजबूर न होना पड़े जो उसके स्वास्थ्य व इज्जत पर आघात करे। 
 
(14) छोटे शहरों व कस्बों के विकास पर अधिक ध्यान दिया जाए, जिससे महानगरों की झोपड़ियों व फुटपाथों पर रहने की मजबूरियों से लोग बचें। सभी शहरों के विकास में गरीब लोगों की जरूरतों का ध्यान रखा जाए। विलासिता व चमक-दमक के स्थान पर सफाई और बुनियादी जरूरतों को महत्व दिया जाए। 
 
(15) अर्थव्यवस्था में हम गरीब देशों व विकासशील देशों में हो रहे बहुतरफा अन्याय का विरोध करें व विश्व शांति के लिए प्रयास करें। पड़ोसी देशों से संबंध अच्छे रखने का पूरा प्रयास करें, पर साथ ही किसी हमले या किसी आतंकवाद का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयारी में रहें। 
 
(16) सभी तरह के हथियारों को कम करने व नाभिकीय हथियारों को पूरे विश्व में समाप्त करने के प्रयास करें। 
 
(17) सभी धर्मों के अनुयायी अपने धर्म को मानने को स्वतंत्र हों पर किसी अन्य धर्म के विरुद्ध कुछ न कहें। 
 
(18) सभी जीव-जंतुओं के प्रति करुणा की भावना विकसित हो। लोगों के सहयोग से लुप्त हो रहे जीव-जंतुओं की रक्षा की जाए। कृषि पशुओं व डेयरी पशुओं के प्रति कोई क्रूरता न हो। जहरीली दवाओं से पशु-पक्षी न मारे जाएं। शाकाहारिता को प्रोत्साहित किया जाए। 
 
(19) सब तरह के नशे व धूम्रपान के विरुद्ध जन जागृति उत्पन्ना की जाए। 
 
(20) ऐसी नीतियां अपनाई जाएं जिनसे गांव-मोहल्ले के स्तर पर आपसी भाईचारा, परिवारों की एकता व प्यार बढ़े, बच्चों तथा वृद्धों का विशेष ख्याल रखा जाए। महिलाओं को गरिमामय स्थान मिले। 
 
(21) एक सांस्कृतिक अभियान चले, जिससे अपशब्दों, गाली-गलौच, अश्लील साहित्य व फिल्म की लत छूटे व लोगों को अच्छी पुस्तकें, टीवी कार्यक्रम, फिल्म, आसानी से उपलब्ध हों। 
 
(22) अपराधों के बुनियादी कारण दूर करने का प्रयास हो व अपराधियों को सुधरने का मौका मिले। साथ ही कट्टर अपराधियों से सख्ती हो। 
 
(23) ठगी व बहुत ऊंची ब्याज की दर के आधार पर जिन गरीब लोगों को कर्ज के जाल में फँसाया गया है, उनको तुरंत राहत मिले। सभी बंधुआ मजदूरों की रिहाई और संतोषजनक पुनर्वास हो। 
 
(24) सरकारी कर्मचारियों को कर्मठ व लोगों के प्रति जिम्मेदार बनाया जाए। जहां कर्मचारियों की अधिकता है वहाँ से हटाकर उन्हें नए सार्थक कार्यों में लगाया जाए। महत्वपूर्ण क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग चलते रहें पर उन्हें कार्यकुशल, जिम्मेदार व जवाबदेह बनना पड़ेगा। 
 
(25) भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ा अभियान चले। सरकारी व जनहित के पदों पर आसीन सभी व्यक्तियों को अपनी आय व संपत्ति का विस्तृत ब्योरा प्रतिवर्ष देने को कहा जाए। 
 
(26) सूचना का अधिकार सभी नागरिकों को मिले ताकि वे सरकार, स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं, निजी कंपनियों व स्वैच्छिक संगठनों से अपने जीवन को प्रभावित करने वाली सूचना प्राप्त कर सकें। 
 
(27) सभी निजी व सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग व कंपनियाँ श्रम, पर्यावरण व उपभोक्ता कानूनों का सख्ती से पालन करें। 
 
(28) श्रमिकों के लिए न्यायसंगत न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षा व स्वास्थ्य के कानून बनाए जाएं व उनका सख्ती से पालन हो। 
 
(29) उपभोक्ताओं को असुरक्षित वस्तुओं व ठगी से बचाने के लिए सख्त कानून बने व उनका सख्ती से पालन हो। 
 
(30) पुलिस व्यवस्था में बुनियादी सुधार हो, जिससे पुलिस अपराध रोकने की जिम्मेदारी निभाए, मानवाधिकार सुरक्षित हों। 
 
इस तरह का देश बनाने के लिए एक ओर तो हमें विषमता व शोषण वाली ताकतों से संघर्ष करना होगा तथा साथ ही अपने जीवन को इन आदर्शों के अनुकूल बनाना होगा।

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