26 जनवरी गणतंत्र दिवस : वैदिक और महाभारत काल में गणतंत्र

Webdunia
सोमवार, 24 जनवरी 2022 (05:15 IST)
जब एथेंस का अस्तित्व भी नहीं था तब भारत में लोकतंत्र था। लोकतंत्र की अवधारणा भारत की देन है। वेदों में और महाभारत में इसके सूत्र मिलते हैं। बौद्ध काल में वज्जी, लिच्छवी, वैशाली जैसे गंणतंत्र संघ लोकतांत्रिक व्यवस्था के उदाहरण हैं। वैशाली के पहले राजा विशाल को चुनाव द्वारा चुना गया था। भारत में वैदिक और महाभारत काल में गणराज्य हुआ करते थे।
 
 
भारत में गणतंत्र का विचार वैदिक काल से चला आ रहा है। गणतंत्र शब्द का प्रयोग विश्व की पहली पुस्तक ऋग्वेद में चालीस बार, अथर्ववेद में 9 बार और ब्राह्मण ग्रंथों में अनेक बार किया गया है। वैदिक साहित्य में, विभिन्न स्थानों पर किए गए उल्लेखों से यह जानकारी मिलती है कि उस काल में अधिकांश स्थानों पर हमारे यहां गणतंत्रीय व्यवस्था ही थी। ऋग्वेद में सभा और समिति का जिक्र मिलता है जिसमें राजा मंत्री और विद्वानों से सलाह मशवरा किया करके के बाद ही कोई फैसला लेता था। यह सभा और समीति ही राज्य के लिए इंद्र का चयन करती थी। इंद्र एक पद था। 
 
 
महाभारत काल में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। महाभारत काल में प्रमुखरूप से 16 महाजनपद और लगभग 200 जनपद थे। 16 महाजनपदों के नाम : 1. कुरु, 2. पंचाल, 3. शूरसेन, 4. वत्स, 5. कोशल, 6. मल्ल, 7. काशी, 8. अंग, 9. मगध, 10. वृज्जि, 11. चे‍दि, 12. मत्स्य, 13. अश्मक, 14. अवंति, 15. गांधार और 16. कंबोज। उक्त 16 महाजनपदों के अंतर्गत छोटे जनपद भी होते थे। उक्त में कई में तो राजशाही थी या तानाशाही। मगध जनपद में तानाशाही का ही इतिहास रहा है। परंतु उक्त सभी में शूरसेन जनपद का इतिहास गणराज्य ही रहा है। बीच में कंस के शासन ने इस जनपद की छवि खराब की थी।
 
महाभारत में भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के सूत्र मिलते हैं। महाभारत में जरासंध और उसके सहयोगियों के राज्य को छोड़कर लगभग सभी राज्यों में गणतंत्र को महत्व दिया जाता था। महाभारत काल में सैकड़ों राज्य और उनके राजा थे, जिनमें कुछ बड़े थे तो कुछ छोटे। कुछ सम्राट होने का दावा करते थे, तो कुछ तानाशाह और अत्याचारी थे। कुछ असभ्य लोगों का झुंड भी था, जिसे आमतौर पर राक्षस कहा जाता था। लेकिन जो राज्य महर्षि पराशर, महर्षि वेद व्यास जैसे लोगों की धार्मिक देशनाओं से चलता था वहां गणतांत्रिक व्यवस्था थी। महाभारत काल में अंधकवृष्णियों का संघ गणतंत्रात्मक था।
 
 
'यादवा: कुकुरा भोजा: सर्वे चान्धकवृष्णय:,
त्वय्यासक्ता: महाबाहो लोकालोकेश्वराश्च ये।
'भेदाद् विनाश: संघानां संघमुख्योऽसि केशव' - महाभारत शांतिपर्व 81,25/ 81,29
 
 
वृष्णियों का तथा अंधकों का पुराणों में उल्लेख मिलता है। वृष्णि गणराज्य शूरसेन प्रदेश में स्थित था। इस प्रदेश के अंतर्गत मथुरा और शौरिपुर तो गणराज्य थे। अंधकों के प्रमुख उग्रसेन थे जो आहुक के पुत्र और कंस के पिता थे। दूसरी ओर शूरसेन के पुत्र वसुदेव थे जो वृष्णियों के मुखिया थे। वृष्णि तथा अंधकों दोनों राज्यों का मिलाकर एक संघ बनाया गया था जिसका प्रमुख राजा उग्रसेन को बनाया गया था। इस संघीयराज्य में वंश या परंपरा का शासन ना होकर समयानुसार जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते थे। आपातकाल या युद्धकाल में ही सत्ता में बदलाव होता था।
 
संदर्भ : महाभारत शांतिपर्व

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor के बाद Pakistan ने दी थी न्यूक्लियर अटैक की धमकी, पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी में क्या बोले Vikram Misri, शशि थरूर का भी आया बयान

भारत कोई धर्मशाला नहीं, 140 करोड़ लोगों के साथ पहले से ही संघर्ष कर रहा है, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Manipur Violence : नृशंस हत्या और लूटपाट में शामिल उग्रवादी केरल से गिरफ्तार, एनआईए कोर्ट ने भेजा ट्रांजिट रिमांड पर

ISI एजेंट से अंतरंग संबंध, पाकिस्तान में पार्टी, क्या हवाला में भी शामिल थी गद्दार Jyoti Malhotra, लैपटॉप और मोबाइल से चौंकाने वाले खुलासे

संभल जामा मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका

सभी देखें

नवीनतम

फडणवीस के मंत्रिमंडल का विस्तार, छगन भुजबल बने कैबिनेट मंत्री

भारत के DG आर्मी की पाकिस्तानी को तगडी वॉर्निंग, पूरा पाकिस्तान हमारी रेंज में, कहीं छिप नहीं पाओगे

इंदौर के राजवाड़ा में आज होगी डॉ. मोहन यादव कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक

अमेरिका ने क्यों ठुकराए भारत के आम, 15 जहाज रोके, इतने करोड़ का होगा नुकसान

स्वर्ण मंदिर में पहली बार तैनात होगी एयर डिफेंस गन, पाकिस्तान है इसके पीछे की वजह?

अगला लेख