प्रणय गीत : अतरंगाभूति

आत्माराम यादव 'पीव'
प्रणय बंधन का अलौकिक आनन्द
प्रिय स्मृति हर पल आता है
है गणना में बीते हुए पल चन्द
मूर्छा बिरह में कर जाता है
हटने पर मूर्छा है कोमलांगी
दिल हर बार ये पुकार लगाता है
अपनी बांहों को फैलाएं प्रिय
आलिंगन हेतु कटिबद्ध रहो
अधरपान हेतु अधरों को 
मम अधरों से आबद्ध करो
तेरी झुकी नजरों से हम ये जान गए
लज्जा है तेरा श्रृंगार बना 
संगनी मेरी से व्यक्तित्व तेरा
राग-रागनी सा खिल उठा।
अर्द्धांगिनी से तब रग-रग में
'पीव' जैसे हो मधुमास सना।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

7 दिन शक्कर ना खाने से क्या होता है? क्या सच में कम होगा वजन?

हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं... Friendship Day पर अपने जिगरी दोस्तों को भेजें ये अनमोल शायरी

क्या है अखंड भारत? किन देशों तक था विस्तार?, इतिहास की दृष्टि से समझिए इसके अस्तित्व की पूरी कहानी

इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है इस तरह की फ्रेंड्स थ्योरी, क्या आपके फ्रेंड सर्कल में हैं ये 7 तरह के लोग

इस वजह से हर साल अगस्त में मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे, क्या है इस खास दिन का इतिहास?

सभी देखें

नवीनतम

3 हफ्ते बालों में प्याज का रस लगाने से क्या होगा? जानिए आफ्टर इफेक्ट्स

रसोई में मौजूद इन 4 चीजों को खाने से बढ़ता है फैटी लिवर का खतरा

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस एंकरिंग/मंच संचालन स्क्रिप्ट हिंदी में

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध: ऐसे लिखिए आजादी की गाथा जिसे पढ़कर हर दिल में जाग उठे देशभक्ति

स्वतंत्रता दिवस पर जोरदार भाषण, यह सुन हर कोई तालियों से करेगा आपका स्वागत

अगला लेख