क्या यही प्यार है?

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जनकसिंह झाला

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प्यार एक ऎसी दुनिया है जो आपको सपनों की दुनिया का अनुभव कराती है? इस दुनिया में तड़प भी है, अपने साथी को पाने का जूनुन भी है, यहाँ पर दर्द भी है और खुशी भी है। कुछ लोगों का मानना रहता है कि प्यार को जाहिर नहीं किया जाता वह तो सामने वाले की आँखो से छलकता है। सही कहा प्यार का स्वाद तो वही जान सकता है जिसने उसे कभी चखा हो।

आजकल के लड़के-लड़कियों को बहुत जल्दी प्यार हो जाता है। दरअसल उनका यह प्यार कभी-कभी प्यार न होकर एक शारीरिक और मानसिक आकर्षण रहता है जिसका पता उन्हें शादी के कुछ महीनों के बाद ही हो जाता है। आजकल के ज्यादातर लड़के गौरी और अच्छे फिगर वाली लड़कियों को देखकर अपने प्यार का इजहार कर देते हैं।

लड़कियों के गुलाबी गाल और कमल की पंखुड़ियाँ जैसे होंठों में उन्हें प्यार नजर आता है दूसरी तरफ लड़कियाँ भी स्टाइलिश, अच्छी मसल्स वाले और खाते-पीते खानदान के लड़कों को देखकर उनके साथ प्यार के गीत गाने लगती हैं। यह प्यार नहीं है। अगर यही प्यार होता तो फिर आए दिन ऎसे प्रेम विवाह असफल क्यों हो रहे हैं, क्यों तलाक के मामले बढ़ते जा रहे हैं?

मेरा एक दोस्त योग का शिक्षक है। आम लड़कों से ज्यादा स्टाइलिश और हट्‍टे-कट्‍टे दिखने वाले इस दोस्त के पास एक दिन एक लड़की योगा सीखने आई। थोड़े दिनों के बाद ही उस लड़की ने सामने से उसे प्रपोज किया। दोनों ने शादी भी कर ली। आज वही दोस्त कह रहा है कि उसकी पत्नी उसे सच्चा प्यार नहीं कर रही। उसका कहना है कि अब उसकी पत्नी अपने प्रेम की अभिव्यक्ति और लगाव उस तरह जाहिर नहीं करती जैसे शादी से पहले करती थी।

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नो डाउट वह उसे छोड़ के जाने की बात तो नहीं करती लेकिन अब उन दोनों का प्यार का रिश्ता शायद मर चुका है वह न चाहते हुए भी सिर्फ अपने बच्चों की खातिर जिंदगी साथ बिता रहे हैं। आखिर कहाँ गया उनका सच्चा प्यार? आज हर कोई सच्चे प्यार की तलाश में है? हर कोई चाहता है कि उन्हे एक ऎसा जीवनसाथी मिले जो उसे अपने आपसे भी ज्यादा प्यार करे जो जिंदगी की दौड़ में जीवनभर कदम से कदम मिलाकर चले?

उपरोक्त दृष्टांत यह बात सिद्ध करता है कि सिर्फ किसी से आकर्षित होने के बाद जीवन भर के लिए उससे रिश्ता जोड़ लेना महज प्यार नहीं है। जीवन में आकर्षण जरूरी है लेकिन यही आकर्षण प्यार का गहन रिश्ता कभी भी स्थापित नहीं कर सकता। यहाँ पर कुछ कमी है और वह है परस्पर विश्वास की कमी।

दरअसल प्यार और आकर्षण को पैदा करने वाले हार्मोन्स अलग-अलग होते हैं। आकर्षण को कुछ इस प्रकार कह सकते हैं जैसे 'लव एट फस्ट साईट' अर्थात पहली नजर का प्यार जो बाद में वास्तविक 'प्यार' का रूप लेता है। जबकि सच्चा प्यार समय लेता है। इस समय के दौरान दो शख्स एक-दूसरे के साथ परस्पर विश्वास, भरोसा और भावनाओ की डोर से जुड़ते हैं।

यह केवल कल्पना नहीं है बल्कि दिल की बात है। जो कि यह तभी सार्थक होती है जब किसी के मन में जन्म लेने वाले प्यार के रंग इन्द्रधनुष के सातों रंगों की भाँति दूसरे के मन से मिल जाए।

अब तो आप समझ ही गए होंगे कि आकर्षण और वास्तविक प्यार दोनों में अंतर है। हम शारीरिक रिश्तों में आकर्षण को अग्र पहलू के तौर पर जोड़ सकते हैं लेकिन वास्तविक प्यार के लिए शारीरिक रिश्तों के पहले आत्मीय रिश्ता ही सर्वस्व रहता है।
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