हिन्दू धर्म के 10 महत्वपूर्ण रहस्य

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
हिन्दू धर्म एक रहस्यमयी धर्म है। यह एकेश्‍वरवादी होने के साथ-साथ इस धर्म में देवी-देवता, भगवान, गुरु, पितृ, प्रकृति आदि को भी पूर्ण सम्मान दिया गया है। पाप और पुण्य की विस्तार से चर्चा की गई है। न्याय और अन्याय की भी परिभाषा बताई गई है। कर्मफल को भाग्यफल से महत्वपूर्ण माना गया है। पुनर्जन्म में इस धर्म की गहरी आस्था है। यम और नियम के सिद्धांत इस धर्म के मुख्‍य सिद्धांत हैं। प्रार्थना, व्रत, तीर्थ, दान और... प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है। ज्ञात रूप से इस धर्म के 12 हजार वर्ष प्राचीन इतिहास एक रहस्य ही है। 
 

 
हिन्दू धर्म में ऐसे कई रहस्य छिपे हैं जिसे विज्ञान आज अस्वीकार करता है, लेकिन कुछ ऐसे भी रहस्य हैं जिस पर अब विज्ञान सहमत भी होने लगा है। आओ जानते हैं ऐसे ही 10 रहस्य, जो आज भी रहस्य ही माने जाते हैं। 
 
अगले पन्ने पर पहला रहस्य...
 
 

कल्प वृक्ष : वेद और पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। पौराणिक धर्मग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। यह वृक्ष समुद्र मंथन से निकला था।
 
कहां है चमत्कारिक कल्पवृक्ष, जानिए
 
हिन्दू धर्म के 10 पवित्र वृक्ष, जानिए उनका रहस्य
 
हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि अपरिजात के वृक्ष को ही कल्प वृक्ष माना जाता है। कल्प वृक्ष का अर्थ होता है, जो एक कल्प तक जीवित रहे। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच ऐसा कोई वृक्ष था या है? यदि था तो क्या आज भी वो है? यदि है तो वह कैसा दिखता है और उसके क्या फायदे हैं?
 
अगले पन्ने पर जानिए दूसरा रहस्य...
 

कामधेनु गाय : कामधेनु गाय की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन से हुई थी। यह एक चमत्कारी गाय होती थी जिसके दर्शन मात्र से ही सभी तरह के दु:ख-दर्द दूर हो जाते थे। दैवीय शक्तियों से संपन्न यह गाय जिसके भी पास होती थी उससे चमत्कारिक लाभ मिलता था। इस गाय का दूध अमृत के समान माना जाता था। 
 
श्रीराम के पूर्व परशुराम के समकालीन ऋषि वशिष्ठ के पास कामधेनु गाय होती थी। इस गाय की रक्षा के लिए वशिष्ठ को कई राजाओं से लड़ना पड़ा था। कामधेनु की अलौकिक क्षमता को देखकर विश्वामित्र के मन में भी लोभ उत्पन्न हो गया था। उन्होंने इस गौ को वशिष्ठ से लेने की इच्छा प्रकट की, लेकिन वशिष्ठ ने इंकार कर दिया। दोनों में इसके लिए घोर युद्ध हुआ और विश्‍वामित्र को हार मानना पड़ी।
 
अगले पन्ने पर जानिए तीसरा रहस्य...
 
 

उड़ने वाले सांप : सभी जीव-जंतुओं में गाय के बाद सांप ही एक ऐसा जीव है जिसका हिन्दू धर्म में ऊंचा स्थान है। सांप एक रहस्यमय प्राणी है। देशभर के गांवों में आज भी लोगों के शरीर में नागदेवता की सवारी आती है। शिव के प्रमुख गणों में सांप भी है। भारत में नाग जातियों का लंबा इतिहास रहा है।
 
नागवंश का संक्षिप्त परिचय...
 
कहते हैं कि 100 वर्ष से ज्यादा उम्र होने के बाद सर्प में उड़ने की शक्ति आ जाती है। सर्प कई प्रकार के होते हैं- मणिधारी, इच्‍छाधारी, उड़ने वाले, कएफनी से लेकर दशफनी तक के सांप जिसे शेषनाग कहते हैं। नीलमणिधारी सांप को सबसे उत्तम माना जाता है। 
 
हालांकि वैज्ञानिक अब अपने शोध के आधार पर कहने लगे हैं कि सांप विश्व का सबसे रहस्यमय प्राणी है और दक्षिण एशिया के वर्षा वनों में उड़ने वाले सांप पाए जाते हैं। उड़ने में सक्षम इन सांपों को क्रोसोपेलिया जाति से संबंधित माना है।
 
अगले पन्ने पर, जानिए चौथा रहस्य...
 
 

मणि : मणि एक प्रकार का चमकता हुआ पत्थर होता है। मणि को हीरे की श्रेणी में रखा जा सकता है। मणि होती थी यह भी अपने आप में एक रहस्य है। जिसके भी पास मणि होती थी वह कुछ भी कर सकता था। ज्ञात हो कि अश्वत्थामा के पास मणि थी जिसके बल पर वह शक्तिशाली और अमर हो गया था। रावण ने कुबेर से चंद्रकांत नाम की मणि छीन ली थी।
 
मान्यता है कि मणियां कई प्रकार की होती थीं। नीलमणि, चंद्रकांत मणि, शेष मणि, कौस्तुभ मणि, पारस मणि, लाल मणि आदि। पारस मणि से लोहे की किसी भी चीज को छुआ देने से वह सोने की बन जाती थी। कहते हैं कि कौवों को इसकी पहचान होती है और यह हिमालय के पास पास ही पाई जाती है।
 
मणियों के महत्व के कारण ही तो भारत के एक राज्य का नाम मणिपुर है। शरीर में स्थित 7चक्रों में से एक मणिपुर चक्र भी होता है। मणि से संबंधित कई कहानी और कथाएं समाज में प्रचलित हैं। इसके अलावा पौराणिक ग्रंथों में भी ‍मणि के किस्से भरे पड़े हैं।
 
अगले पन्ने पर जानिए पांचवां रहस्य...
 

शंख : क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? भूत-प्रेत और राक्षस भगा सकता है? क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है। शंख की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।
 
शंख को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। शंख कई प्रकार के होते हैं। इनके 3 प्रमुख प्रकार है- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। इन शंखों के कई उप प्रकार होते हैं। शंखों की शक्ति का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है।
 
लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख आदि प्रकार के होते हैं।
 
महाभारत में कृष्ण के पास पाञ्चजन्य, अर्जुन के पास देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंतविजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक था। सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी। शंख के चमत्का‍रों और रहस्य के बारे में पुराणों में विस्तार से लिखा गया है।
 
अगले पन्ने पर जानिए छठा रहस्य...
 

पुनर्जन्म : पुनर्जन्म का सिद्धांत सिर्फ हिन्दू धर्म में ही है। यहूदी और इस धर्म से निकलने वाले धर्म (ईसाई, इस्लाम) इस सिद्धांत को नहीं मानते, लेकिन अब विज्ञान इस पर सहमत होने लगा है। हिन्दू धर्म के अनुसार आत्मा अजर-अमर है।
 
स्थूल शरीर की उम्र 120 वर्ष है और इस शरीर के आसपास स्थित सूक्ष्म शरीर कभी नहीं मरता। यह परिवर्तित होता रहता है। सूक्ष्म शरीर के बीचोबीच स्थित कारण शरीर होता है जिसमें आत्मा का वास होता है। ये दोनों ही शरीर अपना रंग, रूप और आकार-प्रकार बदलते रहते हैं। इनकी क्षमता घटती-बढ़ती रहती है।
 
हिन्दू धर्म के अनुसार आत्मा एक शरीर छोड़कर दूसरा शरीर धारण करती रहती है और यह चक्र तब तक चलता रहता है, जब तक कि मोक्ष नहीं मिल जाता। 'मोक्ष' का अर्थ है खुद के मूल स्वरूप को पहचानना। यह जानना कि मैं शरीर नहीं हूं।
 
मुण्डकोपनिषद् के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माओं का एक संघ है। इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड में स्थित है। इसे देवात्मा हिमालय कहा जाता है। इन दुर्गम क्षेत्रों में स्थूल-शरीरधारी व्यक्ति सामान्यतया नहीं पहुंच पाते हैं।
 
अगले पन्ने पर सातवां रहस्य...
 
 

जड़ी-बूटी रहस्य : एक ऐसी जड़ी है जिसको खाने से उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। एक ऐसी बूटी है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को भूत-भविष्‍य का ज्ञान हो जाता है। क्या सचमुच ऐसा है? क्या संजीवनी बूटी होती है? आजकल वैज्ञानिक पारे, गंधक और आयुर्वेद में उल्लेखित कई प्रकार की जड़ी-बूटियों पर शोध कर रहे हैं और इसके चमत्कारिक परिणाम भी निकले हैं।
 
आयुर्वेद और अथर्ववेद में उल्लेख है कि इस तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं जिसके प्रयोग से स्वर्ण बनाया जा सकता है। सोने के निर्माण में तेलिया कंद-जड़ी बूटी का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। ऐसी भी औषधियां होती हैं, जो व्यक्ति को फिर से जवान बना देती हैं। औषधियों के बल पर व्यक्ति 500 वर्षों तक निरोगी रहकर जिंदा रह सकता है।
 
माना जाता है कि जड़ी-बूटियों के बल पर जहां सभी तरह के दुख-दर्द दूर किए जा सकते हैं, वहीं धनवान भी बना जा सकता है। जड़ी-बूटियों से 'सम्मोहन टीका' भी बनाया जाता है। जड़ी-बूटियों के माध्यम से धन, यश, कीर्ति, सम्मान आदि सभी कुछ पाया जा सकता है।
 
अगले पन्ने पर आठवां रहस्य...
 
 

ज्योतिष और वास्तु : क्या ज्योतिष ‍का ज्ञान सही है? नकली ज्योतिषियों के कारण ज्योतिष की प्रतिष्ठा ‍गिर गई है, लेकिन ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा गया है। यह एक ऐसी विद्या है जिसके माध्यम से प्राचीनकालीन ऋषि भूत, वर्तमान और भविष्य को जान लेते थे। साथ ही वे ब्रह्मांड की हर हरकत पर नजर रखते थे। 
 
ज्योतिष को अद्वैत का विज्ञान कहा गया है। पुराणों और अन्य ग्रंथों में ज्योतिष और वास्तु के कई चमत्कारों का उल्लेख मिलता है। आज का आधुनिक मन इस ज्ञान को मानने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक अब भारतीय वास्तुशास्त्र और ज्योतिष की प्रशंसा करने लगे हैं। हालांकि अभी इस ज्ञान पर और शोध किए जाने की जरूरत है।
 
अगले पन्ने पर नौवां रहस्य...
 

संस्कृत : 'संस्कृत' का शाब्दिक अर्थ है परिपूर्ण भाषा। सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत। वैदिक काल में संभ्रांत लोग संस्कृत बोलते थे। संस्कृत को देवों भी भाषा माना जाता है जिसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।
 
संस्कृत क्यों देव भाषा, जानिए...
 
संस्कृत भाषा के व्याकरण में विश्वभर के भाषा विशेषज्ञों का ध्यानाकर्षण किया है। उसके व्याकरण को देखकर ही अन्य भाषाओं के व्याकरण विकसित हुए हैं। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाषा कम्प्यूटर के उपयोग के लिए सर्वोत्तम भाषा है। 
 
मात्र 3,000 वर्ष पूर्व तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिणी ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रंथ लिखा था, जो संस्कृत का था। इसका नाम 'अष्टाध्यायी' है। यदि संस्कृत व्यापक पैमाने पर नहीं बोली जाती तो व्याकरण लिखने की आवश्यकता ही नहीं होती। 
 
संस्कृत ऐसी भाषा नहीं है जिसकी रचना की गई हो। इस भाषा की खोज की गई है। संस्कृत विद्वानों के अनुसार सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियां निकलती हैं और ये चारों ओर से अलग-अलग निकलती हैं। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गईं। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब 9 रश्मियां पृथ्वी पर आती हैं तो उनकी पृथ्वी के 8 वसुओं से टक्कर होती है। सूर्य की 9 रश्मियां और पृथ्वी के 8 वसुओं के आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुईं, वे संस्कृत के 72 व्यंजन बन गईं। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है।
 
अगले पन्ने पर दसवां रहस्य...
 

ध्यान : हिन्दू धर्म का दसवां रहस्य है ध्यान। ध्यान योग का सातवां अंग है। वैदिक ऋषियों की यह खोज आज वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण खोज मानी जाती है। ध्यान पर कई शोध हुए और यह पता चला कि ध्यान हर तरह के रोग को दूर कर मस्तिष्क को शांत करने की क्षमता ही नहीं रखता, यह हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता भी बढ़ाता है।
 
स्पेन, फ्रांस और अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में सामने आया है कि ध्यान की मदद से इंसान के शरीर में उन जीन्स को दबाया जा सकता है, जो उत्तेजना पैदा करते हैं। ये जीन्स हैं RIPK2 और COX2। इनके अलावा हिस्टोन डीएक्टिलेज जीन्स भी हैं जिनकी सक्रियता पर ध्यान करने से असर पड़ता है।
 
इस शोध में पता चलता है कि लोग ध्यान की मदद से अपने शरीर में जेनेटिक गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं जिसमें गुस्से को काबू करना, सोच, आदतें या सेहत को सुधारना भी शामिल है। इस शोध का मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र 'एपिजेनेटिक्स' से भी सीधा संबंध है जिसके अनुसार आसपास के माहौल का जीन के मॉलिक्यूलर स्तर पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।
 
'साइकोन्यूरोएंडोक्राइनोलॉजी' पत्रिका ने इस विषय पर एक विस्तृत लेख प्रकाशित किया था। इससे कैंसर और एड्स जैसी बीमारियां भी दूर ‍की जा सकती हैं। दरअसल, ध्यान करते रहने से सूक्ष्म शरीर मजबूत होता है। सूक्ष्म शरीर के ताकतवर होने से व्यक्ति को अपने स्थूल शरीर के प्रति आसक्ति खत्म हो जाती है। 
 
प्रस्तुति : AJ
 
Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Aaj Ka Rashifal: किसे मिलेगा आज भाग्य का साथ, पढ़ें अपना राशिफल (14 मई 2024)

14 मई 2024 : आपका जन्मदिन

14 मई 2024, मंगलवार के शुभ मुहूर्त

Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी के दिन क्या करना चाहिए?

Budh in mesh : बुध का मेष राशि में गोचर 5 राशियों का सोने जैसा चमकेगा भाग्य