जीवन में रहती हैं ये चार बाधाएं, जानिए मुक्ति का उपाय

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कर्म और भाग्य कभी-कभी इसलिए साथ नहीं दे पाते हैं, क्योंकि राह में किसी और का भी रोड़ा आ जाता है। अधिक परिश्रम करने के बावजूद किसी भी प्रकार का कोई शुभ परिणाम या मनचाहा परिणाम नहीं निकल पाता है। ऐसे में 4 में से किसी एक तरह की बाधा हो सकती है या चारों- 1. ग्रह बाधा, 2. गृह बाधा, 3. पितृ बाधा और 4. देव बाधा। हम यहां चारों तरह की बाधाओं के कारण और निवारण बताएंगे।
 

 
ग्रह से ज्यादा प्रभाव गृह का होता है अर्थात ग्रह-नक्षत्र से ज्यादा घर के वास्तु का प्रभाव होता है। यदि दोनों सही हैं तो फिर पितृ बाधा पर विचार किया जा सकता है। यदि यें तीनों भी सही हैं और फिर भी कर्म असफल हो रहा है, तो अंत में देव बाधा मानी जा सकती है। आओ जानते हैं उक्त बाधाओं के कारण और निवारण...
 
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ग्रह-नक्षत्र बाधा : पहली प्राथमिक बाधा को ग्रह नक्षत्रों या कुंडली की बाधा माना जाता है। किसी को राहु परेशान करता है तो कोई शनि से पीड़ित है, जबकि असल में कुंडली बनती है पूर्व जन्म के कर्मों अनुसार। फिर उसका संचालन होता है इस जन्म के कर्मों अनुसार। कर्म के सिद्धांत को समझना बहुत ही कठिन होता है।
कोई ग्रह या नक्षत्र किसी व्यक्ति विशेष पर उतना प्रभाव नहीं डालता जितना कि वह स्थान विशेष पर डालता है। हालांकि व्यक्ति 27 में से जिस नक्षत्र में जन्म लेता है, उसकी वैसी प्रकृति होती है। कोई व्यक्ति क्यों किसी विशेष और कोई क्यों किसी निम्नतम नक्षत्र में जन्म लेता है? इसका कारण है व्यक्ति के पूर्व जन्मों की गति इसीलिए नक्षत्रों का समाधान जरूरी है। 
 
निवारण : इसके लिए आप किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से मिलकर इस बाधा को दूर कर सकते हैं। इसका सिम्पल सा उपाय यह भी है कि आप अपने शरीर और कर्म को पवित्र बनाकर रखें। पांचों इंद्रियां साफ-सुथरी और पवित्र रखें। आहार और विहार के नियम समझें। ग्रहों का सबसे पहला प्रभाव शरीर और मन पर ही पड़ता है। अपना आहार, आचरण और चलन बदलें। उचित भोजन का सेवन करें और भोजन के हिन्दू नियमों को मानेंगे तो ग्रह बाधा से दूर रहेंगे।
 
रिश्ते और ग्रह-नक्षत्र
 
जिस तरह वास्तु अनुरूप घर ही उत्तम फलदायी होता है, उसी तरह योग या व्यायाम से शरीर का वास्तु भी सुधारें। शरीर को हमेशा सुगंधित और साफ-सुथरा बनाए रखें। व्यवहार भी शरीर की प्रकृति है, उसे उत्तम बनाएं। अनुचित व्यवहार से दूर रहें। इसके अलावा एक छोटा-सा स्टोन, नग या मणि आपके जीवन से ग्रह बाधा को दूर कर सकता है या नहीं, इसका निर्णय कुंडली देखकर ही होता है। हालांकि पंचस्नान से भी यह बाधा दूर होती है और घर का वास्तु सुधारने से भी।
 
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वास्तु दोष : घर के स्थान और दिशा का जीवन पर सबसे ज्यादा असर होता है। यदि ग्रह-नक्षत्र सही न भी हों तो भी यदि घर का वास्तु सही है तो सब कुछ सही होने लगेगा। अक्सर यह देखने में आया है कि उत्तर, ईशान और पश्चिम एवं वायव्य दिशा का घर ही उचित और शुभ फल देने वाला होता है। घर के अंदर शौचायल, स्नानघर और किचन को उचित दिशा में ही बनवाएं।
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निवारण : घर का वास्तु बिगड़ा हो तो प्रतिदिन कर्पूर जलाएं। जिस दिशा का वास्तु बिगड़ा हो वहां कर्पूर की एक डली रख दें। घर सदा साफ-सुथरा रखें। घर के भीतर अनावश्यक वस्तुएं नहीं रखें। घर में ढेर सारे देवी और देवताओं के चित्र या मूर्तियां न रखें। घर का ईशान कोण हमेशा खाली रखें या उसे जल का स्थान बनाएं। दरवाजे के ऊपर भगवान गणेश का चित्र और दाएं-बाएं स्वस्तिक के साथ लाभ-शुभ लिखा हो। घर में मधुर सुगंध और संगीत से वातावरण को अच्छा बनाएं। रात्रि में सोने से पहले घी में तर किया हुआ कपूर जला दें।
 
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पितृ बाधा : यदि आपके ग्रह-नक्षत्र भी सही हैं, घर का वास्तु भी सही है तब भी किसी प्रकार का कोई आकस्मिक दुख या धन का अभाव बना रहता है, तो फिर पितृ बाधा पर विचार करना चाहिए। 
पितृ बाधा का मतलब क्या? पितृ बाधा का मतलब यह होता है कि आपके पूर्वज आपसे कुछ अपेक्षा रखते हैं, दूसरा यह कि आपके पूर्वजों के कर्म का आप भुगतान कर रहे हैं, तीसरा यह कि आपके किसी पूर्वज या कुल के किसी सदस्य का रोग आपको लगा है, चौथा कारण यह कि कोई अदृश्य शक्ति आपको परेशान करती है।
 
निवारण : इसका सरल-सा निवारण है कि प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ना। श्राद्ध पक्ष के दिनों में तर्पण आदि कर्म करना और पूर्वजों के प्रति मन में श्रद्धा रखना भी जरूरी है।
 
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देव बाधा : देव बाधा से बचना मुश्किल है। अधिकतर लोगों पर देव बाधा नहीं होती। देव बाधा उन पर होती है, जो नास्तिक है, सदा झूठ बोलते रहते हैं। किसी भी प्रकार का व्यसन करते हैं और देवी-देवता, धर्म या किसी साधु का मजाक उड़ाते या उनके प्रति असम्मान व्यक्त करते रहते हैं।
देवी या देवता आपके हर गुप्त कार्य या बातों को सुनने और देखने की क्षमता रखते हैं। छली, कपटी, कामी, दंभी और हिंसक व्यक्ति के संबंध में देवता अधिक जानकारी रखते हैं। वे जानते हैं कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं। आप मनुष्य के भेष में असुर हैं या मानव, देव हैं या दानव।
 
निवारण : देव बाधा से बचने का एक मात्र उपाय है ‍कि सभी तरह का व्यसन छोड़कर सत्य वचन बोलना। सत्यवादी रहकर एकनिष्ठ बनें। प्रतिदिन मंदिर जाकर हनुमानजी से क्षमा-याचना करें। चतुर्थी, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या के अलावा किसी त्योहार विशेष पर पवित्र बने रहने का संकल्प लें।
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