ये 10 पकवान देवताओं को हैं पसंद

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
गुरुवार, 24 नवंबर 2016 (00:02 IST)
एक तो होता है वेजीटेरियन और दूसरा होता है नॉन वेजीटेरियन। लेकिन हम यहां बात करेंगे हिन्दूटेरियन की। हिन्दूटेरियन अर्थात ऐसे भोजन जो देवताओं को प्रिय है और जिसे भोग लगाने के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है। अन्न से ही शरीर और मन को पोषण मिलता है। अन्न का उत्तम और सात्विक होना जरूरी है। देवताओं को नमक, मिर्च और तेल पसंद नहीं है। देवताओं को 56 भोग लगाने की बात कही जाती है उसमें पंचामृत सहित मलाई, सुखे मेवा आदि कई तरह के भोग शामिल है।
हिन्दू धर्म में भोजन के करते वक्त भोजन की सात्विकता के अलावा अच्छी भावना और अच्छे वातावरण और आसन का बहुत महत्व माना गया है। यदि भोजन के सभी नियमों का पालन किया जाए तो व्यक्ति के जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। हिन्दू धर्म अनुसार भोजन शुद्ध होना चाहिए, उससे भी शुद्ध जल होना चाहिए और सबसे शुद्ध वायु होना चाहिए। यदि यह तीनों शुद्ध है तो व्यक्ति कम से कम 100 वर्ष तो जिंदा रहेगा। देवताओं को 56 तरह का भोग लगाया जाता है। लेकिन हम यहां बता रहे हैं मात्र 10 तरह के भोग। आओ जानते हैं ऐसे भोजन जो देवताओं को पसंद है।

1.मालपुआ : अपूप वैसे तो एक औषधि का नाम है, लेकिन मालपुए को भी 'अपूप' कहते हैं। 'अपूप' भारत की सबसे प्राचीन मिठाई है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। ऋग्वेद में घृतवंत अपूपों का वर्णन है। पाणिनी के काल में पूरनभरे अपूप ब्‍याह-बारात, तीज-त्‍योहार पर खूब बनाए जाते थे। आज भी इसका प्रचलन है। जहां तक सवाल हलवे का है तो पहले इसे 'संयाव' कहा जाता था। मालपुए अक्सर होली और दीपावली के दिन बनाए जाते हैं। माता दुर्गा को मालपुए बहुत पंसद है।
2.खीर : खीर कई प्रकार से बनाई जाती है। खीर में किशमिश, बारीक कतरे हुए बादाम, बहुत थोड़ी-सी नारियल की कतरन, काजू, पिस्ता, चारौली, थोड़े से पिसे हुए मखाने, सुगंध के लिए एक इलायची, कुछ केसर और अंत में तुलसी जरूर डालें। उसे उत्तम प्रकार से बनाएं और फिर विष्णुजी को भोग लगाने के बाद वितरित करें। खीर का भोग कई देवताओं को लगता है। खासकर भगवान विष्णु और दुर्गा माता को यह पसंद है। चावल और सेवईयां की खीर बहुत पसंद की जाती है।

3.मीठा हलुआ : भारतीय समाज में हलवे का बहुत महत्व है। जैसे सूजी का हलुवा, आटे का हलुआ, गाजर का हलुआ, मूंग का हलुआ, कद्दू का हलुआ, लोकी का हलुआ आदि। इसमें से सूजी के हलुवे का भोग लगाया जाता है। सूजी के हलवे में भी लगभग सभी तरह के सूखे मेवे मिलाकर उसे भी उत्तम प्रकार से बनाएं और भगवान को भोग लगाएं। हनुमानजी को हलुआ, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू या रोठ, डंठल वाला पान और केसर- भात बहुत पसंद हैं।
4.केसर भात : इसे केसरिया भात। अच्छी प्रकार बनाई गई केसर भात बहुत ही स्वादिष्ट और मन को भाने वाली होती है। केसरिया भात को बनाने के लिए बासमती चावल, केसर और सूखे मेवे आदि की आवश्यकता होती है। अक्सर माता लक्ष्मी को केसर भात का भोग लगाया जाता है।
 
लक्ष्मीजी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात बहुत पसंद हैं। कम से कम 11 शुक्रवार को जो कोई भी व्यक्ति एक लाल फूल अर्पित कर लक्ष्मीजी के मंदिर में उन्हें यह भोग लगाता है तो उसके घर में हर तरह की शांति और समृद्धि रहती है। किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं रहती।
 
5.पूरणपोळी : गुढ़ और चने की दाल को मिलाकर बनाई जाती है पूरणपोली। जैसे आलू के पराठे में आलू भरकर पराठे बनाये जाते हैं उसी तरह गुढ़ और चले के मिश्रण को भरकर पराठे बनाये जाते हैं। इसमें तेल के बजाय घी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें इलायची और जायफल भी मिलाया जाता है।
 
तिज-त्योहार और नवरात्रि के मौके पर यह बनायी जाती है। मां दुर्गा को प्रतिदिन इसका भोग लगाने से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। माताजी को हलुआ के साथ पूरणपोली भी पसंद है।
 
6.मीठी बूंदी : बेसन, कश्कर, इलाइची और घी का इस्तेमाल करके मीठी बूंदी बनाई जाती है। एक दूसरी नमकीन, चर्की और फीकी बूंदी भी होती है जो रायते में डाली जाती है।

7.लड्डू : लड्डू कई तरह और कई प्रकार से बनाये जाते हैं। मोदक के लड्डू, बेसन के लड्डू, सूजी के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, नारियल के लड्डू, बूंदी के लड्डू, गेंहू के लड्डू,, मलाई के लड्डू, चूरमा के लड्डू आदि। देवताओं को मोदक के लड्डू पसंद है। गणेशजी को मोदक या लड्डू का नैवेद्य अच्छा लगता है। मोदक भी कई तरह के बनते हैं। महाराष्ट्र में खासतौर पर गणेश पूजा के अवसर पर घर-घर में तरह-तरह के मोदक बनाए जाते हैं।
मोदक के अलावा गणेशजी को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं। इसके अलावा आप उन्हें बूंदी के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं। नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी उनको अर्पित किए जाते हैं। 
 
8.फल और मिठाई : देश में प्रमुख रूप से कलाकंद, बर्फी, पीले पेड़े, पेठा, इमरती, रसगुल्ला, खोया, बताशे, गुलाबजामुन, रबड़ी, बालु मिठाई, रसमलाई आदि का भगवान को भाग लगाया जाता है। इसमें कलाकंद, पेठा, इमरती, खोया, सूखे मेवे और बताशे सबसे का भोग ज्यादा लगाया जाता है। भातर में नारियल, केला, पपीता, सेवफल, अमरूद, अनार, आंवला, सीताफल, सिंघाड़े, नासपाती, अंगूर, शहतूत, चूकी, नारंगी, मौसंबी और आम अधिक प्रचलित हैं। इसमें से सेवफल, नारियल, केला, पपीता, सीताफल, आम, अमरूद और आंवला भगवान को पसंद है।
 
9.साग, कढ़ी और पूरी : पूरी और कढ़ी के बारे में सभी जानते हैं अब सवाल उठता है कि कौन-सी साग का भोग लगाया जाता है या कौन-सी साग लोगों को पसंद है। 
 
10. छप्पन भोग ने नाम इस प्रकार है:-
1. भक्त (भात),
2. सूप (दाल),
3. प्रलेह (चटनी),
4. सदिका (कढ़ी),
5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी),
6. सिखरिणी (सिखरन),
7. अवलेह (शरबत),
8. बालका (बाटी),
9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा),
10. त्रिकोण (शर्करा युक्त),
11. बटक (बड़ा),
12. मधु शीर्षक (मठरी),
13. फेणिका (फेनी),
14. परिष्टश्च (पूरी),
15. शतपत्र (खजला),
16. सधिद्रक (घेवर),
17. चक्राम (मालपुआ),
18. चिल्डिका (चोला),
19. सुधाकुंडलिका (जलेबी),
20. धृतपूर (मेसू),
21. वायुपूर (रसगुल्ला),
22. चन्द्रकला (पगी हुई),
23. दधि (महारायता),
24. स्थूली (थूली),
25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी),
26. खंड मंडल (खुरमा),
27. गोधूम (दलिया),
28. परिखा,
29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त),
30. दधिरूप (बिलसारू),
31. मोदक (लड्डू),
32. शाक (साग),
33. सौधान (अधानौ अचार),
34. मंडका (मोठ),
35. पायस (खीर),
36. दधि (दही),
37. गोघृत,
38. हैयंगपीनम (मक्खन),
39. मंडूरी (मलाई),
40. कूपिका (रबड़ी),
41. पर्पट (पापड़),
42. शक्तिका (सीरा),
43. लसिका (लस्सी),
44. सुवत,
45. संघाय (मोहन),
46. सुफला (सुपारी),
47. सिता (इलायची),
48. फल,
49. तांबूल,
50. मोहन भोग,
51. लवण,
52. कषाय,
53. मधुर,
54. तिक्त,
55. कटु,
56. अम्ल।
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