भारत के 10 रहस्यमय मंदिर..

Webdunia
FILE
प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। इसके अलावा राजा-महाराजा अपना खजाना छुपाकर इसके ऊपर मंदिर बना देते थे और खजाने तक पहुंचने के लिए अलग से रास्ते बनाते थे।

इसके अलावा भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो वास्तु से है, न खगोल विज्ञान से और न ही खजाने से इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई जान पाया है। ऐसे ही 10 मंदिरों के बारे में हमने आपके लिए जानकारी जुटाई है।

भारत में वैसे तो हजारों रहस्यमय मंदिर हैं लेकिन यहां प्रस्तुत हैं कुछ खास 10 प्रसिद्ध रहस्यमय मंदिरों की संक्षिप्त जानकारी जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

 

अगले पन्ने पर पहला मंदिर...

 


कैलाश मानसरोवर : यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश पर्वत और आगे मेरू पर्वत स्थित है। यह संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है।


कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है, जो चार धर्मों- तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केंद्र है। कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज व करनाली।

अगले पन्ने पर दूसरा मंदिर...


कन्याकुमारी मंदिर : समुद्री तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है, जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकर बन गए। आश्चर्यजनक रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं।

सूर्योदय और सूर्यास्त : कन्याकुमारी अपने सूर्योदय के दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। सुबह हर होटल की छत पर पर्यटकों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है। उत्तर की ओर करीब 2-3 किलोमीटर दूर एक सनसेट प्वॉइंट भी है।

अगले पन्ने पर तीसरा मंदिर...


करनी माता का मंदिर : करनी माता का यह मंदिर जो बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है, बहुत ही अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में रहते हैं लगभग 20 हजार काले चूहे। लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। करणी देवी, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है, के मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है।

यहां चूहों को काबा कहते हैं और इन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटकर चलना पड़ेगा। अगर एक चूहा भी आपके पैरों के नीचे आ गया तो अपशकुन माना जाता है। कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो आप पर देवी की कृपा हो गई समझो और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण हुई समझो।

अगले पन्ने पर चौथा रहस्यमय मंदिर...


शनि शिंगणापुर : देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्वप्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है।

यहां शिगणापुर शहर में भगवान शनि महाराज का खौफ इतना है कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज सजा स्वयं दे देते हैं। इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण देखे गए हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्वभर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं।

अगले पन्ने पर पांचवां चमत्कारिक मंदिर...


सोमनाथ मंदिर : सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीनकाल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था, लेकिन आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया। माना जाता है कि 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचोबीच था। इन शिवलिंगों में मक्का स्थित काबा का शिवलिंग भी शामिल है। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं।

गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। इस स्थान को सबसे रहस्यमय माना जाता है। यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान था। इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।

यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

अगले पन्ने पर छठा चमत्कारिक मंदिर...


कामाख्या मंदिर : कामाख्या मंदिर को तांत्रिकों का गढ़ कहा गया है। माता के 51 शक्तिपीठों में से एक इस पीठ को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह असम के गुवाहाटी में स्थित है। यहां त्रिपुरासुंदरी, मतांगी और कमला की प्रतिमा मुख्य रूप से स्थापित है। दूसरी ओर 7 अन्य रूपों की प्रतिमा अलग-अलग मंदिरों में स्थापित की गई है, जो मुख्य मंदिर को घेरे हुए है।

पौराणिक मान्यता है कि साल में एक बार अम्बूवाची पर्व के दौरान मां भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भगृह स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से निरंतर 3 दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है। इस मंदिर के चमत्कार और रहस्यों के बारे में किताबें भरी पड़ी हैं। हजारों ऐसे किस्से हैं जिससे इस मंदिर के चमत्कारिक और रहस्यमय होने का पता चलता है।

अगले पन्ने पर सातवां चमत्कारिक मंदिर...


अजंता-एलोरा के मंदिर : अजंता-एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित‍ हैं। ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है। इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है। यहां ऋषि-मुनि और भुक्षि गहन तपस्या और ध्यान करते थे।

सह्याद्रि की पहाड़ियों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाएं अत्यंत ही प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व की हैं। इनमें 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा पश्चात तक के बौद्ध धर्म का चित्रण किया गया है। इन गुफाओं में हिन्दू, जैन और बौद्ध 3 धर्मों के प्रति दर्शाई गई आस्था के त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। दक्षिण की ओर 12 गुफाएं बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय पर आधारित), मध्य की 17 गुफाएं हिन्दू धर्म और उत्तर की 5 गुफाएं जैन धर्म पर आधारित हैं।

अगले पन्ने पर आठवां मंदिर का रहस्य...


खजुराहो का मंदिर : आखिर क्या कारण थे कि उस काल के राजा ने सेक्स को समर्पित मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला बनवाई? यह रहस्य आज भी बरकरार है। खजुराहो वैसे तो भारत के मध्यप्रदेश प्रांत के छतरपुर जिले में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है लेकिन फिर भी भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा देखे और घूमे जाने वाले पर्यटन स्थलों में अगर कोई दूसरा नाम आता है तो वह है खजुराहो। खजुराहो भारतीय आर्य स्थापत्य और वास्तुकला की एक नायाब मिसाल है।

चंदेल शासकों ने इन मंदिरों का निर्माण सन् 900 से 1130 ईसवीं के बीच करवाया था। इतिहास में इन मंदिरों का सबसे पहला जो उल्लेख मिलता है, वह अबू रिहान अल बरुनी (1022 ईसवीं) तथा अरब मुसाफिर इब्न बतूता का है। कला पारखी चंदेल राजाओं ने करीब 84 बेजोड़ व लाजवाब मंदिरों का निर्माण करवाया था, लेकिन उनमें से अभी तक सिर्फ 22 मंदिरों की ही खोज हो पाई है। ये मंदिर शैव, वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से संबंधित हैं

अगले पन्ने पर नौवां मंदिर...


उज्जैन का काल भैरव मंदिर : हालांकि इस मंदिर के बारे में सभी जानते हैं कि यहां की काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब चढ़ाई जाती है। यही शराब यहां प्रसाद के रूप में भी बांटी जाती है। कहा जाता है कि काल भैरव नाथ इस शहर के रक्षक हैं। इस मंदिर के बाहर साल के 12 महीने और 24 घंटे शराब उपलब्ध रहती है।

अंत में दसवां मंदिर...


ज्वाला मंदिर : ज्वालादेवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता की जीभ गिरी थी। हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी।

इस जगह का एक अन्य आकर्षण ताम्बे का पाइप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है। इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग 9 लपटें हैं, जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है।

हजारों साल पुराने मां ज्वालादेवी के मंदिर में जो 9 ज्वालाएं प्रज्वलित हैं, वे 9 देवियों महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, चंडी, विन्ध्यवासिनी, हिंगलाज भवानी, अम्बिका और अंजना देवी की ही स्वरूप हैं। कहते हैं कि सतयुग में महाकाली के परम भक्त राजा भूमिचंद ने स्वप्न से प्रेरित होकर यह भव्य मंदिर बनवाया था। जो भी सच्चे मन से इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन के लिए आया है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

Mahavir jayanti 2024: भगवान महावीर स्वामी अपने पूर्वजन्म में क्या थे?

Hanuman Jayanti : हनुमान जन्मोत्सव पर उन्हें अर्पित करें 5 तरह के भोग

महावीर जयंती 2024 : जानें महावीर स्वामी के बारे में, जीवन परिचय

चैत्र पूर्णिमा 2024: जीवन का हर काम आसान बनाएंगे श्री हनुमान जी के 10 उपाय

Hanuman jayanti 2024: हनुमान जयंती कैसे मनाएं, जानें नियम और पूजा विधि

22 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

22 अप्रैल 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

साप्ताहिक राशिफल 2024: मेष से मीन राशि के लिए क्या लाया है नया सप्ताह (Weekly Forecast 22-28 April)

Shubh Muhurat In April 2024: नए सप्ताह के शुभ एवं मंगलकारी मुहूर्त, (22 से 28 अप्रैल तक)

Aaj Ka Rashifal: अपनी राशिनुसार आजमाएं आज यह शुभ उपाय, पढ़ें 21 अप्रैल का भविष्यफल