निरोगी रहकर दीर्घकाल तक जीना चाहते हैं तो...

Webdunia
बुधवार, 8 अप्रैल 2015 (10:44 IST)
आरोहणं गवां पृष्ठे प्रेतधूमं सरित्तटम् 
बालतपं दिवास्वापं त्यजेद्दीर्घं जिजीविषु:।। -स्कंद पुराण
 
आज के युग में लंबे काल तक जीने के बारे में कौन सोचता है? अधिकतर लोग अपनी अनियमित जीवनशैली के चलते वक्त के पहले ही बूढ़े हो गए हैं। कुछ तो किसी न किसी नशे या बुरी आदत से ग्रस्त हैं।

जीना सब चाहते हैं, निरोगी भी रहना चाहते हैं, लेकिन वे अपनी आदतें नहीं बदल सकते। वे योगासन या एक्सरसाइज नहीं करना चाहते। वे खाने पर भी कंट्रोल नहीं करना चाहते। वे किसी भी प्रकार की दवा नहीं लेना चाहते फिर भी वे निरोगी रहकर लंबे जीवन की कामना करते हैं! ठीक है, हम ऐसे ही लोगों के लिए कुछ ऐसी बातें खोजकर लाए हैं जिनका पालन करने से वे निरोगी रहकर दीर्घायु बने रह सकते हैं।
 
अगले पन्ने पर पहला नियम...
 

* गाय पालें : दीर्घकाल तक जीवित रहना चाहते हैं तो गाय या बैल की पीठ पर न बैठें, बल्कि हमेशा गाय और बैल के संपर्क में जरूर रहें। गाय और बैल को पवित्र माना जाता है इसलिए ऐसा नहीं कहा गया है। दरअसल, इसके कई दूसरे वैज्ञानिक कारण भी हैं।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, ‍जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं। उसमें सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है। 
 
गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित 'सूर्यकेतु स्नायु' हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है। दूसरी ओर, सूर्यकेतु नाड़ी सूर्य के संपर्क में आने पर यह स्वर्ण का उत्पादन करती है। गाय के शरीर से उत्पन्न यह सोना गाय के दूध, मूत्र व गोबर में मिलता है। यह स्वर्ण दूध या मूत्र पीने से शरीर में जाता है और गोबर के माध्यम से खेतों में। कई रोगियों को स्वर्ण भस्म दी जाती है।
 
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चिता का धुआं अपने शरीर को न लगने दें। चिता के धुएं में कई हानिकारक तत्व हो सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
 
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नदी के तट : गंगा नदी को छोड़कर अन्य किसी नदी के तट पर न बैठें। गंगा नदी को सात्विक तरंगों वाली नदी माना गया है। गंगा तट का वायुमंडल शुद्ध और चैतन्यमय माना गया है। इसके अलावा नदी पर कपड़े धोना, लघुशंका करना, दाह-संस्कार करना आदि भी वर्जित है।
 
अगले पन्ने पर चौथा नियम...
 

सोने के नियम और वास्तु बनाएं : दिन के समय सोना छोड़ दें। दिन के समय सोने से शारीरिक ऊर्जा का क्षरण होता है और शरीर का तापमान भी असामान्य हो जाता है। इसके अलावा भूलकर भी दक्षिण दिशा में पैर करके न सोएं।
 
रात्रि के पहले प्रहर में सो जाना चाहिए और ब्रह्म मुहूर्त में उठकर संध्यावंदन करना चाहिए। लेकिन आधुनिक जीवनशैली के चलते यह संभव नहीं है, तब क्या करें? हमें शवासन में सोना चाहिए। इससे आराम मिलता है। कभी करवट भी लेना हो तो बाईं करवट लें। बहुत आवश्यक हो तभी दाईं करवट लें। सिर को हमेशा पूर्व या दक्षिण दिशा में रखकर ही सोना चाहिए। पूर्व या दक्षिण दिशा में सिर रखकर सोने से लंबी उम्र एवं अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। सोने के 3  से 4 घंटे पूर्व जल और अन्य का त्याग कर देना चाहिए। शास्त्र अनुसार संध्याकाल बीतने के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
 
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संधिकाल में मौन रहें : संधिकाल में अनिष्ट शक्तियां प्रबल होने के कारण इस काल में निम्नलिखित बातें निषिद्ध बताई गई हैं- सोना, खाना, पीना, गालियां देना, झगड़े करना, अभद्र एवं असत्य बोलना, क्रोध करना, शाप देना, यात्रा के लिए निकलना, शपथ लेना, धन लेना या देना, अश्रुमोचन रोना, वेद मंत्रों का पाठ, शुभ कार्य करना, चौखट पर खड़े होना।
 
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जल और वायु : स्वच्छ जल और स्वच्छ वायु ही मनुष्‍य को निरोगी रखकर दीर्घकाल तक जिंदा बनाए रखने में सक्षम हैं। आजकल स्वच्छ जल मिलना संभव है, लेकिन वायु का मिलना असंभव। यदि आप स्वच्छ जल के साथ स्वच्छ वायु का भी सेवन कर रहे हैं तो सबसे उत्तम और बेहतर जीवन जी सकते हैं। जैन और हिन्दू धर्म में उक्त दोनों का बहुत महत्व बताया गया है।
 
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दीर्घ प्राणायाम और ध्यान : मात्र 5 मिनट का दीर्घ प्राणायाम होता है और 5 मिनट आप आंखें बंद करके बैठ जाएं। इस प्राणायाम से छाती, फेफड़े और मांसपेशियां मजबूत तथा स्वस्थ होती हैं। शरीर तनावमुक्त रहकर फुर्तीला बनता है।
 
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बेहतर स्नान करें : हिन्दू धर्म में वैसे तो स्नान के कई प्रकार बताए गए हैं, लेकिन उनमें से कुछ आध्यात्मिक और कुछ शारीरिक हैं, जैसे तीर्थ स्नान, मंत्र स्नान, भौम स्नान, मानसिक स्नान आदि। लेकिन कुछ शारीरिक हैं, जैसे जल स्नान, अग्नि स्नान, वायव्य स्नान, सौर स्नान, करुष स्नान (वर्षा जल स्नान), गौण स्नान आदि। इसके अलावा पंचकर्म क्रिया और मालिश कर्म भी होता है।
 
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पेड़ और पौधे लगाएं : तुलसी, नीम, केला, आंवला, पीपल, बरगद, अशोक, गुड़हल, हरसिंगार, रातरानी, अर्जुन, नारियल, सूरजमुखी, मोगरा, ब्राह्मी, पलाश, नागकेशर, अश्वगंधा, कदम्ब, आंकड़ा, अनार, जामफल, कड़ी पत्ता, चमेली, शंखपुष्पी आदि सुंदर और सुगंधित वृक्षों को घर के आसपास लगाएं तो दीर्घ जीवन की प्राप्ति होगी।
 
अंत में अगले पन्ने पर दसवां नियम...

पैदल चले : दूर तक पैदल नहीं चल सकते तो छत पर ही चहलकदमी करें। वजन कम करने के लिए परफेक्ट एक्सरसाइज है। कैलोरी बर्न करने का और फैट बर्न करने की जिस्म की क्षमता को बढ़ाने का यह सबसे अच्छा तरीका है। यह आपको लंबे समय तक वर्कआउट करने देती है और अन्य कठिन कसरतों की तुलना में अधिक कैलोरी बर्न करती है।
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