कृष्ण ने कहा था- ऐसा होगा कलियुग

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सतयुग में शिव, त्रेता में राम, द्वापर में श्रीकृष्ण और कलिकाल में भगवान बुद्ध हिन्दू धर्म के केंद्र में हैं, लेकिन श्रीकृष्ण के धर्म को भूत, वर्तमान और भविष्य का धर्म बताया गया है। श्रीकृष्ण का जीवन ही हर तरह से शिक्षा देने वाला है। महाभारत और गीता विश्‍व की अनुपम कृति है। 
 
















 
महाभारत हिन्दुओं का ही नहीं, समस्त मानव जाति का ग्रंथ है। इससे प्रत्येक मानव को एक अच्छी शिक्षा और मार्ग मिल सकता है। प्रत्येक मनुष्‍य को इसे पढ़ना चाहिए। महाभारत में जीवन से जुड़ा ऐसा कोई सा भी विषय नहीं है जिसका वर्णन न किया गया हो और जिसमें जीवन का कोई समाधान न होगा। महाभारत में देश, धर्म, न्याय, राजनीति, समाज, योग, युद्ध, परिवार, ज्ञान, विज्ञान, अध्यात्म, तकनीकी आदि समस्य विषयों का वर्णन मिलेगा।
 
वर्तमान युग में महाभारत के एक प्रसंग से आज का मानव कुछ सीख ले सकता है। यह प्रसंग उस वक्त का है जबकि पांचों पांडवों को वनवास हो गया था। वनवास जाने से पूर्व पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा- 'हे श्रीकृष्ण! अभी यह द्वाप‍र का अंतकाल चल रहा है। आप हमें बताइए कि आने वाले कलियुग में कलिकाल की चाल या गति क्या होगी कैसी होगी?' श्रीकृष्ण कहते हैं- 'तुम पांचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ। मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊंगा।'
 
पांचों भाई वन में चले गए। वन में उन्होंने जो देखा उसको देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए। आखिर उन्होंने वन में क्या देखा? और श्रीकृष्ण ने क्या जवाब दिया? जानिए अगले पन्नों पर एक रोचक प्रसंग...
 
अगले पन्ने पर पांडवों ने वन में क्या देखा...
 

युधिष्ठिर ने क्या देखा? : पांचों भाई जब वन में रहने लगे तो एक बार चारों भाई अलग-अलग दिशाओं में वन भ्रमण को निकले। युधिष्ठिर भ्रमण पर थे तो उन्होंने एक जगह पर देखा कि किसी हाथी की दो सूंड है। यह देखकर युधिष्ठिर के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।
 
अर्जुन ने क्या देखा? : अर्जुन दूसरी दिशा में भ्रमण पर थे। कुछ दूर जंगल में जाने पर उन्होंने जो देखा उसे देखकर वे आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं, पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है।
 
भीम ने क्या देखा? : दोनों भाइयों की तरह भीम भी भ्रमण पर थे। भीम ने जो देखा वह भी आश्चर्यजनक था। उन्होंने देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म दिया है। जन्म के बाद वह बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो गया। 
 
अगले पन्ने पर जानिए नकुल और सहदेव ने क्या देखा...
 

सहदेव ने क्या देखा? : सहदेव जब भ्रमण पर थे तो उन्होंने चौथा आश्चर्य देखा कि 6-7 कुएं हैं और आसपास के कुओं में पानी है किंतु बीच का कुआं खाली है। बीच का कुआं गहरा है फिर भी पानी नहीं है। उन्हें यह देखकर घोर आश्चर्य हुआ कि ऐसा कैसे हो सकता है?
 
नकुल ने क्या देखा? : नकुल भी भ्रमण पर थे और उन्होंने भी एक आश्चर्यजनक घटना देखी। नकुल ने देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी-सी शिला लुढ़कती हुई आती है और कितने ही वृक्षों से टकराकर उनको नीचे गिराते हुए आगे बढ़ जाती है। विशालकाय वृक्षों भी उसे रोक न सके। इसके अलावा वह शिला कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर फिर भी वह रुकी नहीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई।
 
अगले पन्ने पर जानिए तब श्रीकृष्ण ने क्या कहा...
 

पांचों भाइयों ने अपने देखे गए दृश्य की चर्चा की और शाम को श्रीकृष्ण को अपने अनुभव सुनाए। सबसे पहले युधिष्ठिर ने कहा कि मैंने तो पहली बार दो सूंड वाला हाथी देखा। यह मेरे लिए बहुत ही आश्चर्यजनक था। 
तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'हे धर्मराज! अब तुम कलिकाल की सुनो। कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा, जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। मन में कुछ और कर्म में कुछ। ऐसे ही लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।'
 
अगले पन्ने पर अर्जुन ने जो देखा उसका जवाब...
 

युधिष्ठिर के बाद अर्जुन ने कहा कि मैंने जो देखा वह तो इससे भी कहीं ज्यादा आश्चर्यजनक था। मैंने देखा कि एक पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं और वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है। 
 
तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे, जो बड़े ज्ञानी और ध्यानी कहलाएंगे। वे ज्ञान की चर्चा तो करेंगे, लेकिन उनके आचरण राक्षसी होंगे। बड़े पंडित और विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाए।' 
 
'हे अर्जुन! 'संस्था' के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाए। हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध हो। कौन, कब, किस पद से हटे और हम उस पर चढ़े। चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किंतु उनकी दृष्टि तो धन और पद के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी। ऐसे लोगों की बहुतायत होगी, कोई कोई विरला ही संत पुरुष होगा।'
 
अगले पन्ने पर भीम ने जो देखा उसका जवाब...
 

अर्जुन के सवाल के जवाब के बाद भीम ने अपना अनुभव सुनाया। भीम ने कहा कि मैंने देखा कि गाय अपने बछड़े को इतना चाटती है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।
 
तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'कलियुग का मनुष्य शिशुपाल हो जाएगा। कलियुग में बालकों के लिए ममता के कारण इतना करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। मोह-माया में ही घर बर्बाद हो जाएगा।
 
किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे, किंतु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोएंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा? इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोह-माया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बेचारा अनाथ होकर मरेगा।
 
वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियां जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है। तुम्हारी आत्मा, परमात्मा की अमानत है। तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस।'
 
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भीम के बाद सहदेव ने पूछा- 'हे श्रीकृष्ण! मैंने जो देखा उसका क्या मतलब है? मैंने यह देखा कि 5-7  भरे कुओं के बीच का कुआं एकदम खाली है, जबकि ऐसा कैसे संभव हो सकता है? 

तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'कलियुग में धनाढ्‍य लोग लड़के-लड़की के विवाह में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रुपए खर्च कर देंगे, परंतु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा-प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। उनका अपना ही सगा भूख से मर जाएगा और वे देखते रहेंगे। दूसरी और मौज, मदिरा, मांस-भक्षण, सुंदरता और व्यसन में पैसे उड़ा देंगे किंतु किसी के दो आंसू पोंछने में उनकी रुचि न होगी।
 
कहने का तात्पर्य यह कि कलियुग में अन्न के भंडार होंगे लेकिन लोग भूख से मरेंगे। सामने महलों, बंगलों में एशोआराम चल रहे होंगे लेकिन पास की झोपड़ी में आदमी भूख से मर जाएगा। एक ही जगह पर असमानता अपने चरम पर होगी।'
 
अगले पन्ने पर अंत में नकुल ने जो देखा उसका जवाब...
 

सहदेव के बाद नकुल ने श्रीकृष्ण को बताया कि मैंने भी एक आश्चर्य देखा। वह यह कि एक बड़ी सी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टानें उसे रोक न पाए किंतु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रुक गई।
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तब श्रीकृष्ण ने कहा- 'कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा। किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा। श्रीमन नारायण, नारायण हरि हरि।
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