Hanuman Chalisa

जब जंगल में पांडवों को दिखा अजीब दृश्य तब कृष्ण ने की ये भविष्यवाणी

अनिरुद्ध जोशी
*वनवास जाने से पूर्व पांडवों ने श्रीकृष्ण से कहा- 'अभी यह द्वाप‍र का अंतकाल चल रहा है। आप हमें बताइए कि आने वाले कलियुग में कलिकाल की गति क्या और कैसी होगी?' श्रीकृष्ण कहते हैं- 'तुम पांचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ। मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊंगा।'
 
 
*पांचों भाई जब वन में रहने लगे तो एक बार चारों भाई अलग-अलग दिशाओं में वन भ्रमण को निकले। पांचों भाईयों ने वन में जो देखा उसको देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए।
 
*युधिष्ठिर ने ये देखा : युधिष्ठिर भ्रमण पर थे तो उन्होंने एक जगह पर देखा कि किसी हाथी की दो सूंड है।
 
*अर्जुन ने ये देखा : अर्जुन दूसरी दिशा में भ्रमण पर थे। जंगल में उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं, पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है।
 
 
*भीम ने ये देखा : भीम ने जंगल में जो देखा वह भी आश्चर्यजनक था। उन्होंने देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म दिया है। जन्म के बाद वह बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो गया।
 
*सहदेव ने ये देखा? : सहदेव जब भ्रमण पर थे तो उन्होंने चौथा आश्चर्य देखा कि छह-सात कुएं हैं और आसपास के कुओं में पानी है किंतु बीच का कुआं खाली है। बीच का कुआं गहरा है फिर भी पानी नहीं है।
 
 
*नकुल ने ये देखा : नकुल ने भी एक आश्चर्यजनक घटना देखी। नकुल ने देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी-सी शिला लुढ़कती हुई आती है और कितने ही विशालकाय वृक्ष एवं शिलाओं से टकराकर उनको नीचे गिराते हुए आगे बढ़ जाती है। विशालकाय वृक्ष और शिलाएं भी उसे रोक न सके। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही वह शिला स्थिर हो गई।
 
*पांचों भाइयों ने जंगल से लौटकर श्रीकृष्ण को अपने अनुभव सुनाए। सबसे पहले युधिष्ठिर ने कहा कि मैंने तो पहली बार दो सूंड वाला हाथी देखा। यह मेरे लिए बहुत ही आश्चर्यजनक था।
 
 
*तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'हे धर्मराज! अब तुम कलिकाल की सुनो। कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा, जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। मन में कुछ और कर्म में कुछ। ऐसे ही लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।'
 
*युधिष्ठिर के बाद अर्जुन ने कहा कि मैंने जो देखा वह तो इससे भी कहीं ज्यादा आश्चर्यजनक था। मैंने देखा कि एक पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं और वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है। 
 
*तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे, जो बड़े ज्ञानी और ध्यानी कहलाएंगे। वे ज्ञान की चर्चा तो करेंगे, लेकिन उनके आचरण राक्षसी होंगे। बड़े पंडित और विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाए।' 
 
*'हे अर्जुन! 'संस्था' के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाए। हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध हो। कौन, कब, किस पद से हटे और हम उस पर चढ़े। चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किंतु उनकी दृष्टि तो धन और पद के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी। ऐसे लोगों की बहुतायत होगी, कोई कोई विरला ही संत पुरुष होगा।'
 
 
*अर्जुन के सवाल के जवाब के बाद भीम ने अपना अनुभव सुनाया। भीम ने कहा कि मैंने देखा कि गाय अपने बछड़े को इतना चाटती है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है।
 
*तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'कलियुग का मनुष्य शिशुपाल हो जाएगा। कलियुग में बालकों के लिए ममता के कारण इतना करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। मोह-माया में ही घर बर्बाद हो जाएगा।
 
किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे, किंतु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोएंगे कि मेरे बेटे का क्या होगा? इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोह-माया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बेचारा अनाथ होकर मरेगा।
 
 
वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियां जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है। तुम्हारी आत्मा, परमात्मा की अमानत है। तुम अपने शाश्वत संबंध को जान लो बस।'
 
*भीम के बाद सहदेव ने पूछा- 'हे श्रीकृष्ण! मैंने जो देखा उसका क्या मतलब है? मैंने यह देखा कि 5-7 भरे कुओं के बीच का कुआं एकदम खाली है, जबकि ऐसा कैसे संभव हो सकता है? 
 
*तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'कलियुग में धनाढ्‍य लोग लड़के-लड़की के विवाह में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रुपए खर्च कर देंगे, परंतु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा-प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। उनका अपना ही सगा भूख से मर जाएगा और वे देखते रहेंगे। दूसरी और मौज, मदिरा, मांस-भक्षण, सुंदरता और व्यसन में पैसे उड़ा देंगे किंतु किसी के दो आंसू पोंछने में उनकी रुचि न होगी।
 
 
कहने का तात्पर्य यह कि कलियुग में अन्न के भंडार होंगे लेकिन लोग भूख से मरेंगे। सामने महलों, बंगलों में एशोआराम चल रहे होंगे लेकिन पास की झोपड़ी में आदमी भूख से मर जाएगा। एक ही जगह पर असमानता अपने चरम पर होगी।'
 
*सहदेव के बाद नकुल ने श्रीकृष्ण को बताया कि मैंने भी एक आश्चर्य देखा। वह यह कि एक बड़ी सी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टानें उसे रोक न पाए किंतु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रुक गई।
 
 
*तब श्रीकृष्ण ने कहा- 'कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रुकेगा, न ही सत्ता के वृक्षों से रुकेगा। किंतु हरि नाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रुक जाएगा।
 
*श्रीमन नारायण, नारायण हरि हरि।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Shukra tara asta: शुक्र तारा होने वाला है अस्त, जानिए कौनसे कार्य करना है वर्जित

Tadpatri bhavishya: ताड़पत्री पर लिखा है आपका अतीत और भविष्य, कब होगी मौत यह जानने के लिए जाएं इस मंदिर में

Margashirsha Month: मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रारंभ: इन 7 खास कार्यों से चमकेगी आपकी किस्मत

Panchak November 2025: नवंबर 2025 में कब से कब तक है पंचक, जानें समय और प्रभाव

Kovidar: कोविदार का वृक्ष कहां पाया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

Trigrahi yog: वृश्चिक राशि में बना त्रिग्रही योग, 5 राशियों के लिए है बहुत ही शुभ समय

Gita Jayanti 2025: गीता जयंती आज, जानिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं करें

Mokshada Ekadashi 2025 : मार्गशीर्ष माह की मोक्षदा एकादशी कब है, कब होगा पारण

Mokshada Ekadashi Katha: मोक्षदा एकादशी व्रत क्यों है इतना महत्वपूर्ण? जानें पौराणिक कथा

Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे रखें?

अगला लेख