Biodata Maker

मोक्ष के 7 मार्ग, क्या आप नहीं चाहते मुक्ति?

अनिरुद्ध जोशी
मोक्ष का अर्थ जन्म और मरण के चक्र से मुक्त होने अलावा सर्वशक्तिमान बन जाना है। सनातन धर्म में मोक्ष तक पहुंचने के सैंकड़ों मार्ग बताए गए हैं। गीता में उन मार्गों को 4 मार्गों में समेटा है। ये 4 मार्ग हैं- कर्मयोग, सांख्ययोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग। हिन्दू धर्म अनुसार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में से मोक्ष प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अंतिम लक्ष्य माना गया है। अधिकतर लोग अर्थ और काम में उलझकर ही मर जाते हैं। कभी जिंदा थे मरते वक्त इसका पता चलता है। आओ जानते हैं मोक्ष प्राप्त करने के प्रमुख 7 मार्गों के बारे में, जिनमें से किसी एक पर चलकर आपको भी मिलेगा मोक्ष।
 
प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की मुक्ति चाहता है। बंधनों से मुक्ति या दुखों से मुक्ति, जेल से मुक्ति या दवाखाने से मुक्ति। आर्थिक परेशान से मुक्ति या दिमागी उलझनों से मुक्ति।... आप मनुष्य बन गए इसीलिए क्योंकि आप किसी अन्य पशु या पक्षी के शरीर में होने से मुक्ति होना चाहते थे। मनुष्य होने का मतलब यह है कि आप पशु या पक्षी की योनी से मुक्त हैं। इस तरह मनुष्य से आगे भी जहां और है। संपूर्ण दुखों से छुटकारा पाकर देवत्व को प्राप्त करना।...यदि आप मुक्ति नहीं चाहते हैं तो आपको दान, पुण्य, तीर्थ, क्रिया-कर्म, श्राद्ध आदि सभी धार्मिक कार्य छोड़ देना चाहिए। 
 
संध्यावंदन : 8 प्रहर की संधि में प्रात: मध्य और संध्या काल की संध्यावंदन महत्वपूर्ण होती है। इसे त्रिकाल संध्या कहते हैं। संध्यावंदन ईश्वर या स्वयं से जुड़ने का वैदिक तरीका है।
 
भक्ति : भक्ति भी मुक्ति का एक मार्ग है। भक्ति भी कई प्रकार ही होती है। इसमें श्रवण, भजन-कीर्तन, नाम जप-स्मरण, मंत्र जप, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य, पूजा-आरती, प्रार्थना आदि शामिल हैं।
 
योग : योग अर्थात मोक्ष के मार्ग की सीढ़ियां। पहली सीढ़ी यम, दूसरी नियम, तीसरी आसन मुद्रा, चौथी प्राणायाम क्रिया, पांचवीं प्रत्याहार, छठी धारणा, सातवीं ध्यान और आठवीं अंतिम सीढ़ी समाधि अर्थात मोक्ष।
 
ध्यान : ध्यान का अर्थ शरीर और मन की तन्द्रा को तोड़कर होशपूर्ण हो जाना। ध्यान कई प्रकार से किया जाता है। इसका उद्देश्य साक्षीभाव में स्थित होकर मोक्ष को प्राप्त करना होता है। ध्यान जैसे-जैसे गहराता है, व्यक्ति साक्षीभाव में स्थित होने लगता है।
 
तंत्र : मोक्ष प्राप्ति का तांत्रिक मार्ग भी है। इसका अर्थ है कि किसी वस्तु को बलपूर्वक हासिल करना। तंत्र भोग से मोक्ष की ओर गमन है। इस मार्ग में कई तरह की साधनाओं का उल्लेख मिलता है। तंत्र मार्ग को वाममार्ग भी कहते हैं। तंत्र को गलत अर्थों में नहीं लेना चाहिए।
 
ज्ञान : साक्षीभाव द्वारा विशुद्ध आत्मा का ज्ञान प्राप्त करना ही ज्ञान मार्ग है। ईश्वर, ब्रह्मांड, जीवन, आत्मा, जन्म और मरण आदि के प्रश्नों से उपजे मानसिक द्वंद्व को एक तरफ रखकर निर्विचार को ही महत्व देंगे, तो साक्षीभाव उत्पन्न होगा। वेद, उपनिषद और गीता के श्लोकों का अर्थ समझे बगैर यह संभव नहीं।
 
कर्म और आचरण : कर्मों में कुशलता लाना सहज योग है। भगवान श्रीकृष्ण ने 20 आचरणों का वर्णन किया है जिसका पालन करके कोई भी मनुष्य जीवन में पूर्ण सुख और जीवन के बाद मोक्ष प्राप्त कर सकता है। 20 आचरणों को पढ़ने के लिए गीता पढ़ें। भाग्यवादी नहीं कर्मवादी बनें।
 
ये है 20 आचरण : 1.अमानित्वं: अर्थात नम्रता, 2.अदम्भितम: अर्थात श्रेष्ठता का अभिमान न रखना, 3.अहिंसा: अर्थात किसी जीव को पीड़ा न देना, 4.क्षान्ति: अर्थात क्षमाभाव, 5.आर्जव: अर्थात मन, वाणी एवं व्यव्हार में सरलता, 6.आचार्योपासना: अर्थात सच्चे गुरु अथवा आचार्य का आदर एवं निस्वार्थ सेवा, 7.शौच: अर्थात आतंरिक एवं बाह्य शुद्धता, 8.स्थैर्य: अर्थात धर्म के मार्ग में सदा स्थिर रहना, 9.आत्मविनिग्रह: अर्थात इन्द्रियों वश में करके अंतःकरण कों शुद्ध करना, 10. वैराग्य इन्द्रियार्थ: अर्थात लोक परलोक के सम्पूर्ण भोगों में आसक्ति न रखना, 11.अहंकारहीनता: झूठे भौतिक उपलब्धियों का अहंकार न रखना, 12. दुःखदोषानुदर्शनम्‌: अर्थात जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दुःख में दोषारोपण न करना, 13. असक्ति: अर्थात सभी मनुष्यों से समान भाव रखना, 14.अनभिष्वङ्गश: अर्थात सांसारिक रिश्तों एवं पदार्थों से मोह न रखना, 15.सम चितः अर्थात सुख-दुःख, लाभ-हानि में समान भाव रखना, 16.अव्यभिचारिणी भक्ति : अर्थात परमात्मा में अटूट भक्ति रखना एवं सभी जीवों में ब्रम्ह के दर्शन करना, 17. विविक्तदेशसेवित्वम: अर्थात देश के प्रति समर्पण एवं त्याग का भाव रखना, 18. अरतिर्जनसंसदि: अर्थात निरर्थक वार्तालाप अथवा विषयों में लिप्त न होना, 19.अध्यात्मज्ञाननित्यत्वं : अर्थात आध्यात्मिक ज्ञान के लिए हमेश प्रयत्नशील रहना, 20.आत्मतत्व: अर्थात आत्मा का ज्ञान होना, यह जानना की शरीर के अंदर स्थित मैं आत्मा हूं शरीर नहीं।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

November 2025 Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 24-30 नवंबर, इस सप्ताह किन राशियों को मिलेगी बड़ी सफलता, जानें अपना भाग्य

Mulank 5: मूलांक 5 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Lal Kitab Kanya Rashifal 2026: कन्या राशि (Virgo)- राहु करेगा संकट दूर, गुरु करेगा मनोकामना पूर्ण

Shani Margi 2025: 28 नवंबर 2025 को शनि चलेंगे मार्गी चाल, 3 राशियों को कर देंगे मालामाल

Baba Vanga Prediction 2026: बाबा वेंगा की वर्ष 2026 के लिए 5 प्रमुख भविष्यवाणियां

सभी देखें

धर्म संसार

28 November Birthday: आपको 28 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 28 नवंबर, 2025: शुक्रवार का पंचांग और शुभ समय

Lal Kitab mesh rashi upay 2026: मेष राशि के जातकों के लिए लाल किताब के अचूक उपाय, पूरा वर्ष रहेगा शनि से सुरक्षित

Shukra tara asta: शुक्र तारा होने वाला है अस्त, जानिए कौनसे कार्य करना है वर्जित

Gita Jayanti 2025: गीता जयंती 2025: श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में 10 दिलचस्प बातें

अगला लेख