बाबरी विध्वंस के बाद अब तक क्या हुआ अयोध्या मामले में, जानिए

Webdunia
गुरुवार, 10 जनवरी 2019 (08:00 IST)
बाबरी मस्जिद या ढांचा विध्वंस के बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे हुए। देश के अधिकांश क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया। बाद में अयोध्या में भूमि विवाद के अलावा बाबरी विध्वंस का केस भी चला। आओ जानते हैं इसी मामले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्‍य।
 
 
1990 से 2000 के बीच क्या हुआ? 
 
-30 अक्टूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुलायम सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खड़ी की गईं अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया।
 
-02 नवम्बर, 1990 को मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया, जिसमें कोलकाता के राम कोठारी और शरद कोठारी (दोनों भाई) सहित सैंकड़ों रामभक्तों ने अपने जीवन की आहुतियां दे दीं।
 
 
- मुलायम सिंह के इस कत्लेआम पर 4 अप्रैल, 1991 को दिल्ली के वोट क्लब पर अभूतपूर्व रैली हुई। इसी दिन सैंकड़ों रामभक्त कारसेवकों की हत्या के आरोप में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को इस्तीफा देना पड़ा।
 
- सितम्बर, 1992 में भारत के गांव-गांव में श्रीराम पादुका पूजन का आयोजन किया गया और गीता जयंती (6 दिसंबर, 1992) के दिन रामभक्तों से अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया गया।
 
 
- 6 दिसंबर, 1992 : हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी ढांचे को ढाह दिया, और जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया। प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया। ढांचा ढहाए जाने के परिणामस्वरूप देश भर में हिन्दू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।
 
- 16 दिसंबर, 1992 को मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।
 
 
- भक्तों द्वारा श्री रामलला की दैनिक सेवा-पूजा की अनुमति दिए जाने के संबंध में अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दायर की। 1 जनवरी, 1993 को अनुमति दे दी गई। तब से दर्शन-पूजन का क्रम लगातार जारी है।
 
-पी.वी. नरसिंह राव के नेतृत्व वाली तत्कालीन केन्द्र सरकार के एक अध्यादेश द्वारा श्री रामलला की सुरक्षा के नाम पर लगभग 67 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई। यह अध्यादेश संसद ने 7 जनवरी, 1993 को एक कानून के जरिए पारित किया था।
 
 
- 1993 : भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने संविधान की धारा 143 (ए) के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को एक प्रश्न 'रेफर' किया। प्रश्न था, 'क्या जिस स्थान पर ढांचा खड़ा था वहां राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले कोई हिन्दू मंदिर या हिन्दू धार्मिक इमारत थी? इसके जवाब में कोर्ट की पांच जजों की पीठ में से दो जजों ने कहा था कि इस सवाल का जवाब तभी दिया जा सकता है जब पुरातत्व और इतिहासकारों के विशिष्ट साक्ष्य हों और उन्हें जिरह के दौरान परखा जाए।
 
 
- इस रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे को लेकर सरकार से और रुख स्पष्ट करने को कहा था जिसके जवाब में तत्कालीन सालिसिटर जनरल ने 14 सिंतबर 1994 को लिखित जवाब दाखिल कर कोर्ट में अयोध्या मसले पर सरकार का नजरिया रखा था। जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि 'सरकार धर्मनिरपेक्ष और सभी धर्मावलंबियों के साथ समान व्यवहार की नीति पर कायम है। अयोध्या में जमीन अधिग्रहण कानून 1993 और राष्ट्रपति की ओर सुप्रीम कोर्ट को भेजा गया रेफरेंस भारत के लोगों में भाईचारा और पब्लिक आर्डर बनाए रखने के लिए है।'
 
 
- इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने करीब 20 महीने सुनवाई की और 24 अक्टूबर, 1994 को अपने निर्णय में कहा- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ विवादित स्थल के स्वामित्व का निर्णय करेगी और राष्ट्रपति द्वारा दिए गए विशेष 'रेफरेंस' का जवाब देगी।
 
- तीन न्यायमूर्तियों (दो हिन्दू और एक मुस्लिम) की लखनऊ खंडपीठ की पूर्ण पीठ ने 1995 में मामले की सुनवाई शुरू की। मुद्दों का पुनर्नियोजन किया गया। मौखिक साक्ष्यों को रिकार्ड करना शुरू किया गया।
 
- 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई। 
 
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सन 2000 से 2010 के बीच क्या हुआ? 
 
- 2001 में बाबरी विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने का अपना संकल्प दोहराया।
 
- राष्ट्रपति के 'रेफरेंस' के संदर्भ में 2002 में अयोध्या में विवाद की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सच्चाई का पता लगाने के लिए एएसआई को वहां की खुदाई करने का निर्देश दिया। उस वक्त एएसआई को निर्देश देने वाले न्यायाधीश सुधीर नारायण अग्रवाल थे। एएसआई की खुदाई में पारदर्शिता और दोनों समुदाय के मौजूदगी का पूरा ध्यान रखे जाने के आदेश भी दिए गए।
 
 
- जनवरी 2002 : प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग शुरू किया, जिसका काम विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था। अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिन्दू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया।
 
 
- फरवरी 2002: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया।
 
- कहते हैं कि 27 फरवरी की सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची तो कुछ स्थानीय कट्टरपंथियों ने साबरमती ट्रेन के S-6 कोच के अंदर आग लगा दी। 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में 59 लोगों को आग में जलाकर मार दिया गया। ये सभी 'कारसेवक' थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। इसके परिणाम स्वरूप पूरे गुजरात में दंगे हुए। जिस वक्त ये हादसा हुआ, नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस घटना को एक साजिश के तौर पर देखा गया। ट्रेन में भीड़ द्वारा पेट्रोल डालकर आग लगाने की बात गोधरा कांड की जांच कर रहे नानवती आयोग ने भी मानी।
 
 
- 28 फरवरी : गोधरा कांड के अगले ही दिन मामला अशांत हो गया' 28 फरवरी को गोधरा से कारसेवकों के शव खुले ट्रक में अहमदाबाद लाए गए। इन शवों को परिजनों के बजाय विश्व हिंदू परिषद को सौंपा गया। जल्दी ही गोधरा ट्रेन की इस घटना ने गुजरात में दंगों का रूप ले लिया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दंगों में कुल 1044 लोग मारे गए, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे।
 
 
- 13 मार्च, 2002 : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी और किसी को भी सरकार द्वारा अधग्रिहीत जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फ़ैसले का पालन किया जाएगा। विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिन्दू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। 
 
 
- 15 मार्च, 2002 : विश्व हिन्दू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग आठ सौ कार्यकर्त्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।
 
- अप्रैल 2002 : अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।
 
 
- मार्च-अगस्त 2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का दावा था कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं।
 
- अगस्त, 2002 में राष्ट्रपति के विशेष 'रेफरेंस' का सीधा जवाब तलाशने के लिए उक्त पीठ ने उक्त स्थल पर 'ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वे' का आदेश दिया जिसे कनाडा से आए विशेषज्ञों के साथ तोजो विकास इंटरनेशनल द्वारा किया गया। अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने ध्वस्त ढांचे के नीचे बड़े क्षेत्र तक फैले एक विशाल ढांचे के मौजूद होने का उल्लेख किया जो वैज्ञानिक तौर पर साबित करता था कि बाबरी ढांचा किसी खाली जगह पर नहीं बनाया गया था, जैसा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दिसंबर, 1961 में फैजाबाद के दीवानी दंडाधिकारी के सामने दायर अपने मुकदमे में दावा किया था। विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक उत्खनन के जरिए जीपीआरएस रिपोर्ट की सत्यता हेतु अपना मंतव्य भी दिया।
 
 
- 22 जून, 2002: विश्व हिन्दू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की मांग उठाई।
 
- जनवरी 2003 : रेडियो तरंगों के जरिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं, कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला।
 
- मार्च 2003 : केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजा-पाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।
 
 
- अप्रैल 2003 : इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष मिले हैं। ध्वस्त ढांचे की दीवारों से 5 फुट लंबी और 2.25 फुट चौड़ी पत्थर की एक शिला मिली। विशेषज्ञों ने बताया कि इस पर बारहवीं सदी में संस्कृत में लिखीं 20 पंक्तियां उत्कीर्ण थीं। पहली पंक्ति की शुरुआत 'ओम नम: शिवाय' से होती है। 15वीं, 17वीं और 19वीं पंक्तियां स्पष्ट तौर पर बताती हैं कि यह मंदिर 'दशानन (रावण) के संहारक विष्णु हरि' को समर्पित है। मलबे से करीब ढाई सौ हिन्दू कलाकृतियां भी पाई गईं जो फिलहाल न्यायालय के नियंत्रण में हैं।
 
 
- मई 2003: सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के मामले में उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।
 
- जून 2003: कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और उम्मीद जताई कि जुलाई तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
 
- अगस्त 2003: भाजपा नेता और उप-प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।
 
 
- अगस्त 2003 : पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं। भूमि के अंदर दबे खंबे और अन्य अवशेषों पर अंकित चिन्ह और मिली पॉटरी से मंदिर होने के सबूत मिले हैं।
 
- सितंबर 2003: एक अदालत ने फैसला दिया कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।

- 2003 में उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को वैज्ञानिक तौर पर उस स्थल की खुदाई करने और जीपीआरएस रिपोर्ट को सत्यापित करने का आदेश दिया। अदालत द्वारा नियुक्त दो पर्यवेक्षकों (फैजाबाद के दो अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी) की उपस्थिति में खुदाई की गई। संबंधित पक्षों, उनके वकीलों, उनके विशेषज्ञों या प्रतिनिधियों को खुदाई के दौरान वहां बराबर उपस्थित रहने की अनुमति दी गई। निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आदेश दिया गया कि श्रमिकों में 40 प्रतिशत मुस्लिम होंगे।
 
 
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा हर मिनट की वीडियोग्राफी और स्थिर चित्रण किया गया। इस खुदाई में कितनी ही दीवारें, फर्श और बराबर दूरी पर स्थित 50 जगहों से खंभों के आधारों की दो कतारें पाई गई थीं। एक शिव मंदिर भी दिखाई दिया। जीपीआरएस रिपोर्ट और भारतीय सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट अब उच्च न्यायालय के रिकार्ड में दर्ज हैं।
 
- अप्रैल 2004: आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राम मंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण जरूर किया जाएगा।
 
 
- जुलाई 2004: शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए।
 
- अक्टूबर 2004 : आडवाणी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण की बीजेपी की प्रतिबद्धता दोहराई।
 
- जनवरी 2005 : लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।
 
 
- जुलाई 2005 : पांच संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों ने विस्फोटकों से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों की कार्रवाई में पांच हथियारबंद आतंकियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नजदीक ही मार डाले गए।
 
- 06 जुलाई 2005 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान 'भड़काऊ भाषण' देने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी को भी शामिल करने का आदेश दिया। इससे पहले उन्हें बरी कर दिया गया था।
 
 
- 28 जुलाई 2005 : लालकृष्ण आडवाणी 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में गुरुवार को रायबरेली की एक अदालत में पेश हुए। अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ आरोप तय किए।
 
- 04 अगस्त 2005 : फैजाबाद की अदालत ने अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा।
 
 
- 20 अप्रैल 2006 : कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत थी।
 
- जुलाई 2006 : सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि यह अदालत के उस आदेश के खिलाफ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे।
 
 
- 19 मार्च 2007 : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी दौरे के बीच कहा कि अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई।
 
- 30 जून 2009 : बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।
 
- 07 जुलाई, 2009: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफनामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 महत्वपूर्ण फाइलें सचिवालय से गायब हो गई हैं।
 
 
- 24 नवम्बर, 2009 : लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश। आयोग ने अटलबिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी।
 
- राम मंदिर के निर्माण में हो रही देरी को देखते हुए पुन: जनजागरण हेतु 5 अप्रैल 2010 को हरिद्वार कुंभ मेले में संत और धर्माचार्यों ने अपनी बैठक में श्रीहनुमत शक्ति जागरण समिति के तत्वावधान में तुलसी जयंती (16 अगस्त, 2010) से अक्षय नवमी (16 नवम्बर, 2010) तक देश भर में हनुमान चालीसा पाठ करने की घोषणा की। प्रत्येक प्रखंड में देवोत्थान एकादशी (17 नवम्बर, 2010) से गीता जयंती (16 दिसंबर, 2010) तक श्री हनुमत शक्ति जागरण महायज्ञ संपन्न होंगे। ये सभी यज्ञ भारत में लगभग आठ हजार स्थानों पर आयोजित किए गए।
 
 
- 20 मई, 2010 : बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा चलाने को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में खारिज।
 
- 26 जुलाई, 2010 : राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी।
 
- 8 सितंबर, 2010 : अदालत ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की
 
- 17 सितंबर, 2010 : हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की।
शर्त 1- उसी 2.7 एकड़ जमीन पर बने राम मंदिर-मस्जिद।
शर्त 2- पहल आगे बढ़ाने के लिए केंद्र नुमाइंदे भेजे।
शर्त 3- सुब्रमण्यम स्वामी और हाजी महबूब जैसे विवाद बढ़ाने वाले लोग दूर रहें।
शर्त 4- अयोध्या में दोनों पक्षकार एक साथ बैठें।
वहीं बाबरी विध्वंस के मामले पर सुनवाई अभी तक जारी है और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी है। अब इस मामले पर सुनवाई 6 अप्रैल को होगी।
 
 
- 24 सितम्बर 2010 को हाईकोर्ट लखनऊ के तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया जिसमें मंदिर बनाने के लिए हिन्दुओं को जमीन देने के साथ ही विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दिए जाने की बात कही गयी। मगर यह निर्णय दोनों को स्वीकार नहीं हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्थगनादेश दे दिया। अब इस विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है।
 
 
- 28 सितंबर 2010 : सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।
 
- ऐतिहासिक निर्णय : 30 सितम्बर, 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने विवादित ढांचे के संबंध में ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति एसयू खान ने एकमत से माना कि जहां रामलला विराजमान हैं, वही श्रीराम की जन्मभूमि है।
 
 
- उक्त तीनों माननीय न्यायधीशों ने अपने निर्णय में यह भी कहा कि जो विवादित ढांचा था वह एक बड़े भग्नावशेष पर खड़ा था। न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा ने कहा कि वह 12वीं शताब्दी के राम मंदिर को तोड़कर बनाया गया था, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि वह किसी बड़े हिन्दू धर्मस्थान को तोड़कर बनाया गया और न्यायमूर्ति खान ने कहा कि वह किसी पुराने ढांचे पर बना। पर किसी भी न्यायमूर्ति ने उस ढांचे को मस्जिद नहीं माना। सभी ने उस स्थान को रामजन्मभूमि ही माना।
 
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2010 से 2018 के बीच क्या हुआ?
 
- 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगा दिया।
 
- 21 मार्च 2017: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।
 
- 29 अक्टूबर 2018 : अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई एक बार फिर जनवरी 2019 तक के लिए टल गई है। अयोध्या मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मसले पर अगली सुनवाई जनवरी 2019 में एक उचित पीठ के समक्ष होगी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 में अयोध्या की विवादित जमीन के तीन भाग करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह पर सुनवाई अगले साल करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों रामलला, निर्मोही अखाड़ा व मुस्लिम वादियों में बांटा था।
 
 
- 12 नवंबर 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सोमवार को याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई से इनकार कर दिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने कहा कि उसने पहले ही अपीलों को जनवरी में उचित पीठ के पास सूचीबद्ध कर दिया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से उपस्थित अधिवक्ता बरूण कुमार के मामले पर शीघ्र सुनवाई करने के अनुरोध को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, 'हमने आदेश पहले ही दे दिया है। अपील पर जनवरी में सुनवाई होगी।'
 
 
- 25 नवंबर 2018 : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) धर्मसभा का आयोजन करने जा रही है। 25 नवंबर को होने वाली इस धर्मसभा में एक लाख कार्यकर्ताओं के जुटने की संभावना है।

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