NRC को अंग्रेजी में National Register of Citizens कहते हैं जबकि हिंदी में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है। इसी तरह CAA को अंग्रेजी में Citizenship Amendment Act (CAA) कहते हैं जबकि हिंदी में नागरिकता संशोधन अधिनियम है। इसी तरह NPR को अंग्रेजी में National population Register कहते हैं जबकि हिन्दी में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर कहते हैं। NPR अर्थात जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष में होती रही है। आओ जानते हैं कि क्या प्राचीन भारत या विश्व में भी यह सभी होता रहा है।
प्राचीनकाल में यूनान, रोम और भारत संसार की राजनीति और संस्कृति के केंद्र में था। सर्वप्रथम जनगणना का प्रचलन संसार के किस क्षेत्र या देश में हुआ, इसका ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। लेकिन पूर्ववैदिक काल में भारत में आर्य लोग अपनी जातियों, कुरु, यदु आदि में बंटे थे और राजा को पूरी जाति का पता रहता था। साथ ही राज्य किसके पास कितना पशु धन है और कितने हाथी घोड़े है इस सभी का ब्योरा रखता था।
800-600 ईसा पूर्व लिखे गए दुनिया का सबसे पहला साहित्य ऋगवेद बताता है कि भारत में जनसंख्या की गणना की गई थी। इसके बाद महाभारत काल में कौरवों और पांडवों ने अपने अपने सैन्यदल की गणना द्वारा अपनी अपनी शक्ति का आकलन और युद्धायोजन किया था। साथ ही वे अपने राज्यों की सीमाओं और जनता का ब्योरा रखते थे।
321-296 ईसा पूर्व मौर्य साम्राज्य में तो प्रत्येक व्यक्ति का ब्योरा रजिस्टर में दर्ज होता था। उसमें प्रत्येक मकानों की गणना की जाती थी। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी इसका जिक्र मिलता है। अर्थशास्त्र के अनुसार प्रत्येक सक्षम व्यक्ति से कर वसुलने हेतु जनसंख्या का ब्योरा रखा जाता था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जनसंख्या, आर्थिक और कृषि जनगणना के संचालन के तरीकों का विस्तृत विवरण है।
महान सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में राज्य के प्रत्येक परिवार के सदस्यों की संख्या और उनके कार्यों का लेखा जोखा रखा जाता था। इसमें फसल, पशुधन और अन्य संपत्तियों का ब्योरा भी होता था। समय समय पर इसमें संसोशन किया जाता था। विक्रमादित्य से ही रोमनों ने बहुत कुछ सीखा था।
रोमनों के शासन में भी जनगणना होती थी और अलग से एक नागरिक रजिस्टर भी होता था। वे अपने क्षेत्र में किसी दूसरे देश के नागरिकों को कुछ समय के लिए ही रहने देते थे। सेंसस (Census जनगणना) शब्द रोम के प्राचीन शब्द सेंसर (Censor) से बना है, जबकि रोमन राज्यसेवक, जिन्हें सेंसर (Censor) कहते थे, सरकारी निर्देशानुसार प्रति पांचवे वर्ष राज्य के परिवारों तथा प्रत्येक परिवार के सदस्यों की संख्या तथा आर्थिक और सामाजिक तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करते थे। इसका प्रारंभ सर्वियत टालियस नामक रोम के छठे राजा (578-534 ई.पू.) ने किया था। ऑगस्टस ने ईसा से पांच वर्ष पूर्व इस रीति को संपूर्ण रोम साम्राज्य में प्रचलित कर दिया।
उल्लेखनी यह कि ईसा मसीह के माता पिता उस वक्त नाजरथ से बैथलहम इसलिए जा रहे थे क्योंकि उन्हें अपना नाम दर्ज कराना था। यीशु के जन्म के कुछ ही समय पहले सम्राट ऑगस्टस ने यह आदेश जारी किया था कि उसके राज्य के सभी लोग अपना अपना नाम दर्ज कराएं। यीशु के माता पिता नाम दर्ज कराने ही जा रहे थे कि रास्ते में यीशु का का जन्म हुआ।-। (लूका 2:1-3)।