सबसे आश्चर्य की बात है कि इसके अंदर भरा हुआ पानी सदियां बीत जाने पर भी नहीं सूखा है। जावा द्वीप के लोगों की मान्यता है कि यह पानी नहीं बल्कि अमृत है। पुरातत्वविद कहते हैं कि इस बर्तन में न सूखने वाले पानी के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी हो सकता है, लेकिन
स्थानीय लोगों का कहना है कि ये अमृत ही है, कई विद्वान इसे समुद्र में किए अमृत मंथन से निकला अमृत बता रहे हैं।
वाकई आश्चर्य वाली बात है कि सैकड़ों सालों से पीतल के बर्तन में रखा हुआ पानी अब भी नहीं सूखा है।दरअसल जिस बर्तन में ये शिवलिंग पाया गया है, वो उन कई जारों में से एक है, जो मंदिर के अंदर बने एक स्मारक के नीचे छुपाकर रखे गए थे। पुरातत्वविदों के अनुसार, ये कलाकृतियां 15वीं सदी की हैं, जब जावा में इस्लाम का प्रभुत्व था और शायद इसीलिए इन्हें इतना छुपाकर रखा गया था।