जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर स्थित नीलचक्र और ध्वज का रहस्य जानकर चौंक जाएंगे

WD Feature Desk
शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025 (13:13 IST)
Neelachakra and Dhwaja : ओडिशा राज्य के पुरी में स्थिथ विशालकाय जगन्नाथ मंदिर के गुंबद पर स्थापित नीलचक्र और उसके ऊपर लहराता भगवान जगन्नाथ का ध्वज किसी आश्‍चर्य से कम नहीं है। इन दोनों के बारे में जानकर आप भी आश्चर्य करेंगे। मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुंबद देख पाना असंभव है। मुख्य गुंबद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती है। ध्वज के पास नीलचक्र लगा है ध्वज विशालकाय नीलचक्र के ऊपर तक लहराता है। इसे सुदर्शन चक्र भी कहते हैं। आओ जानते हैं इसके रहस्य को।ALSO READ: जगन्नाथ मंदिर से मिले हैं 10 ऐसे संकेत जो बता रहे हैं कि कैसा होगा भारत का भविष्य
 
जगन्नाथ पुरी मंदिर के ध्वज की 10 खास बातें:
1. श्री जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित त्रिकोणीय आकार का ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
2. यह ध्वज लाल, पीला, सफेद और केसरिया रंग का होता है।
3. इस ध्वज पर शिवजी का अर्ध चंद्र बना हुआ है, चंद्र के सूर्य का चिन्ह है।
4. प्रतिदिन सायंकाल मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा बदला जाता है जिन्हें चुनरा नियोग और गरूढ़ सेवक कहते हैं। 
5. शिखर पर कई ध्वज लगाए जाते हैं जिसमें मुख्‍य ध्वज को 'पतित पावन बाना' कहा जाता है।
6. श्री मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर ध्वज हर दिन शाम 4 से 5 बजे के बीच बदला जाता है।
7. ऐसी मान्यता है कि यदि ध्वज एक दिन भी नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।
8. इस 20 मीटर लंबे ध्वज को 800 साल से चोला परिवार ही बदलता आ रहा है।
9. ऐसा भी कहते हैं कि पहले यह ध्वज इतना लंबा होता था कि यह समुद्र के उपर तक लहराता था और लोग इसे पकड़कर स्नान करते थे।
10. मुख्य ध्वज के नीचे की और लहराने वाली पताका को 'मानसिक बाना' कहते हैं। इस ध्वज को श्रद्धालु द्वारा भेंट किया जाता है। 
11. इसके अलावा पादु खाकिया नामक 250 फीट एक लंबा बाना सुदर्शन चक्र से बाधते हैं जिसका अंतिम सिर श्रीमंदिर के उत्तरी भाग में स्थित पादुका कुंड या अमृत कुंड में डूबा रहता है। भक्तगण इस सिरे को निचोड़कर उस पानी को पीते हैं।
जगन्नाथ पुरी मंदिर के नीलचक्र की खास बातें:
1. पुरी में किसी भी स्थान से आप मंदिर के शीर्ष पर लगे नील चक्र को देखेंगे तो वह आपको सदैव आपके सामने ही लगा दिखेगा।
2. नीलचक्र को सूदर्शन चक्र और इसे नीला पहिया भी कहा जाता है।
3. यह अष्टधातु से निर्मित है और अति पावन और पवित्र माना जाता है।
4. यह भगवान जगन्नाथ का सबसे शक्तिशाली हथियार है। 
5. यह करीब 36 फुट परीधी यानि गोलाई और 15 फुट ऊंचा है और इसमें 8 आरियां हैं। 
6. पुराने समय में जो चक्र था वह समय के साथ नष्ट हो गया था। 
7. भोई वंश के राजा प्रथम रामचंद्र देव ने ईस्वी सन 1594 में इस चक्र को बनवाकर मंदिर के शिखर पर स्थापित करवाया था। मादल पंचांग में इस बात की पुष्टि मिलती है।
8. जिन लोगों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, वे बाहर से इस चक्र का दर्शन करके खुद को धन्य मानते हैं।
9. मान्या अनुसार यह नीलचक्र बुरी शक्तियों से मंदिर और संपूर्ण शहर को बचाता है।
10. एक ऐतिहासिक विवरण के अनुसार, विशालकाय नीला चक्र को केवल मानव बल का उपयोग करके 214 फुट ऊंचे मंदिर के ऊपर रखा गया था। नीला चक्र के बारे में एक किंवदंती बताती है कि एक बार यह चक्र घमंडी हो गया था और भगवान जगन्नाथ ने उसका घमंडचूकर करके उसे नम्र किया, फिर उसे मंदिर के शिखर पर रख दिया।ALSO READ: बड़ी खबर: जगन्नाथ मंदिर के ध्वज को ले उड़ा गरुड़, अनहोनी की आशंका

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mangal Gochar 2025: तुला राशि में मंगल का प्रवेश, इन 4 राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण समय

Shraddha Paksha 2025: नवजात की मृत्यु के बाद शास्त्र के अनुसार कैसे करना चाहिए श्राद्ध

Solar eclipse 2025: सूर्य ग्रहण 2025: क्या 21 सितंबर का ग्रहण भारत में दिखेगा?

Navratri Story 2025: नवरात्रि पर्व की कहानी

Sharadiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में प्रारंभ हो गई है गरबा प्रैक्टिस, जानिए गरबा उत्सव के नियम

सभी देखें

धर्म संसार

18 September Birthday: आपको 18 सितंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 18 सितंबर, 2025: गुरुवार का पंचांग और शुभ समय

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के चमत्कारिक फायदे और नियम

Thursday Remedies: गुरुवार को करें तुलसी की मंजरी के अचूक उपाय, आर्थिक तंगी होगी दूर, मनोकामना होगी पूर्ण

Navratri food recipe: इस नवरात्रि बनाएं उत्तर भारत की लोकप्रिय कुट्टू की पूड़ी और आलू की सब्जी

अगला लेख