ऋषि भारद्वाज और उनके वंश को जानिए

अनिरुद्ध जोशी
भारद्वाज गोत्र आपको सभी जाति, वर्ण और समाज में मिल जाएगा। प्राचीन काल में भारद्वाज नाम से कई ऋषि हो गए हैं। लेकिन हम बात कर रहे हैं ऋग्वेद के छठे मंडल के दृष्टा जिन्होंने 765 मंत्र लिखे हैं। वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का अति उच्च स्थान है। अंगिरावंशी भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थीं। बृहस्पति ऋषि का अंगिरा के पुत्र होने के कारण ये वंश भी अंगिरा का वंश कहलाएगा। ऋषि भारद्वाज ने अनेक ग्रंथों की रचना की उनमें से यंत्र सर्वस्व और विमानशास्त्र की आज भी चर्चा होती है।
 
 
चरक ऋषि ने भारद्वाज को 'अपरिमित' आयु वाला कहा है। भारद्वाज ऋषि काशीराज दिवोदास के पुरोहित थे। वे दिवोदास के पुत्र प्रतर्दन के भी पुरोहित थे और फिर प्रतर्दन के पुत्र क्षत्र का भी उन्हीं ने यज्ञ संपन्न कराया था। वनवास के समय प्रभु श्रीराम इनके आश्रम में गए थे, जो ऐतिहासिक दृष्टि से त्रेता-द्वापर का संधिकाल था। उक्त प्रमाणों से भारद्वाज ऋषि को अपरिमित वाला कहा गया है।
 
भारद्वाज के पिता बृहस्पति और माता ममता थीं। ऋषि भारद्वाज के प्रमुख पुत्रों के नाम हैं- ऋजिष्वा, गर्ग, नर, पायु, वसु, शास, शिराम्बिठ, शुनहोत्र, सप्रथ और सुहोत्र। उनकी 2 पुत्रियां थीं रात्रि और कशिपा। इस प्रकार ऋषि भारद्वाज की 12 संतानें थीं। बहुत से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं दलित समाज के लोग भारद्वाज गोत्र लगाते हैं। वे सभी भारद्वाज कुल के हैं।
 
अंगिरा के पुत्रों को आंगिरस कहा गया। आंगिरस ये अंगिरावंशी देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। महर्षि अंगिरा के सबसे ज्ञानी पुत्र ऋषि बृहस्पति थे। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। बृहस्पति के पुत्र कच थे जिन्होंने शुक्राचार्य से संजीवनी विद्या सीखी। देवगुरु बृहस्पति की एक पत्नी का नाम शुभा और दूसरी का तारा है। शुभा से 7 कन्याएं उत्पन्न हुईं- भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। तारा से 7 पुत्र तथा 1 कन्या उत्पन्न हुई। उनकी तीसरी पत्नी ममता से भारद्वाज और कच नामक 2 पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इन्द्र और प्रत्यधिदेवता ब्रह्मा हैं।
 
राइट बंधुओं से 2500 वर्ष पूर्व वायुयान की खोज भारद्वाज ऋषि ने कर ली थी। हालांकि वायुयान बनाने के सिद्धांत पहले से ही मौजूद थे। पुष्पक विमान का उल्लेख इस बात का प्रमाण हैं लेकिन ऋषि भारद्वाज ने 600 ईसा पूर्व इस पर एक विस्तृत शास्त्र लिखा जिसे विमान शास्त्र के नाम से जाना जाता है।
 
भारद्वाज के विमानशास्त्र में यात्री विमानों के अलावा, लड़ाकू विमान और स्पेस शटल यान का भी उल्लेख मिलता है। उन्होंने एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर उड़ान भरने वाले विमानों के संबंध में भी लिखा है, साथ ही उन्होंने वायुयान को अदृश्य कर देने की तकनीक का उल्लेख भी किया।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Vasumati Yog: कुंडली में है यदि वसुमति योग तो धनवान बनने से कोई नहीं रोक सकता

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम जयंती पर कैसे करें उनकी पूजा?

मांगलिक लड़की या लड़के का विवाह गैर मांगलिक से कैसे करें?

Parshuram jayanti 2024 : भगवान परशुराम का श्रीकृष्ण से क्या है कनेक्शन?

Akshaya-tritiya 2024: अक्षय तृतीया के दिन क्या करते हैं?

Aaj Ka Rashifal: पारिवारिक सहयोग और सुख-शांति भरा रहेगा 08 मई का दिन, पढ़ें 12 राशियां

vaishkh amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर कर लें मात्र 3 उपाय, मां लक्ष्मी हो जाएंगी प्रसन्न

08 मई 2024 : आपका जन्मदिन

08 मई 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Akshaya tritiya : अक्षय तृतीया का है खास महत्व, जानें 6 महत्वपूर्ण बातें

अगला लेख