हिंदुओं के धर्मगुरु कौन?

अनिरुद्ध जोशी
सनातन या आर्य धर्म को वर्तमान में हिंदू धर्म कहा जाता है। आचार्यों को गुरु भी कहा जाता है। आओ जानते हैं कि प्राचीन काल से लेकर अब तक कौन कौन से धर्मगुरु हो चले हैं।
 
 
ज्ञात इतिहास के अनुसार प्रारंभ में दो तरह की विचारधारा के अनुसार गुरुपद पर दो ऋषि प्रमुख थे। पहले अंगिरा और दूसरे भृगु। इसके अलावा अत्रि और अगस्त्य ऋषि भी महानगुरु थे। वामदेव, शौनक, पुलह, पुलस्त्य आदि ऋषि भी हुए है जिन्होंने भिन्न काल या क्षेत्र में गुरुपद संभाला था। हालांकि भगवान शंकर के सात शिष्यों ने भी धर्म का प्रचार प्रसार कर सनातन परंपरा को स्थापित किया था।
 
ऋषि अंगिरा और भृगु के बाद उनके पुत्रों ने इस पद को संभाला। अंगिरा के पुत्र बृहस्पति और भृगु के पुत्र शुक्राचार्य ने गुरुपद पर आसीन होकर सनातन धर्म को मार्ग दिया। बृहस्पति के बाद उनके पुत्र भरद्वाज और शुक्राचार्य के बाद उनके पुत्र आर्वि और वेन ने यह पद संभाला था।
 
 
उपरोक्त ऋषियों के बाद महर्षि वशिष्ठ, मार्कंडेय, मतंग, वाल्‍मीकि, विश्वामित्र, परशुराम और दत्तात्रेय ने सनातन धर्म की परंपरा को आगे बढ़ाया। उक्त के बाद ऋषि पराशर, कृपाचार्य, सांदीपनि और वेद व्यास ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया। इसके बाद आद्य शंकराचार्य के काल तक अन्य गुरु हुए जिन्होंने सनातन धर्म और संस्कृति का मार्गदर्शन किया। 
 
ईसा पूर्व आद्य शंकराचार्य ने हिंदू धर्म को व्यवस्थित करने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने हिंदुओं की सभी जातियों को इकट्ठा करके 'दशनामी संप्रदाय' बनाया और साधु समाज की अनादिकाल से चली आ रही धारा को पुनर्जीवित कर चार धाम की चार पीठ का गठन किया जिस पर चार शंकराचार्यों की परम्परा की शुरुआत हुई। शंकराचार्य के बाद गुरु गोरखनाथ का नाम सबसे बड़ा है। 
 
वर्तमान में आद्य गुरु शंकराचार्य, गुरु गोरखनाथ, वल्लभाचार्य, रामानंद, माधव, निम्बार्क, गौड़ीय, बासवन्ना, जम्भेश्वरजी पंवार, कबीरदास, रविदास और ज्ञानेश्वर की परंपरा के गुरुओं को ही सनातन हिंदू धर्म का धर्मगुरु माना जाता है। हालांकि सभी संप्रदाय, मत, पंथ और समाज के मूलत: धर्मगुरु चार मठों के चार शंकराचार्य ही है।
 
सभी को मठों और अखाड़ों की परंपरा का निर्वहन करना चाहिए और उन्हीं के निर्देश एवं उपदेश को मान्य मानना चाहिए। कालांतर में और वर्तमान में कई स्वयंभु संत हो गए हैं जिनका हिंदू सनातन धर्म नाता तभी जुड़ता है जबकि वह वेद और उपनिषद की गुरु परंपरा का अनुसरण करता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

परीक्षा में सफलता के लिए स्टडी का चयन करते समय इन टिप्स का रखें ध्यान

Shani Gochar 2025: शनि ग्रह मीन राशि में जाकर करेंगे चांदी का पाया धारण, ये 3 राशियां होंगी मालामाल

2025 predictions: वर्ष 2025 में आएगी सबसे बड़ी सुनामी या बड़ा भूकंप?

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Budh vakri 2024: बुध वृश्चिक में वक्री, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

सभी देखें

धर्म संसार

Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत आज, जानें कथा, महत्व, पूजा विधि और समय

Aaj Ka Rashifal: आज किन राशियों को मिलेगी हर क्षेत्र में सफलता, पढ़ें 28 नवंबर का राशिफल

प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर, इन देशों में भी होंगे विशेष कार्यक्रम

प्रयागराज में डिजिटल होगा महाकुंभ मेला, Google ने MOU पर किए हस्‍ताक्षर

Yearly rashifal Upay 2025: वर्ष 2025 में सभी 12 राशि वाले करें ये खास उपाय, पूरा वर्ष रहेगा शुभ

अगला लेख