वेदों के आराध्य देवी और देवता

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वैदिक ऋषि देवी और देवताओं से कहीं अधिक 'ब्रह्म' को सर्वोच्च सत्ता मानते थे। ब्रह्म अर्थात ईश्‍वर ही उनकी दृष्टि में सर्वोच्च है। वेद एकेश्‍वरवाद के समर्थक है लेकिन वे देवी और देवताओं सहित प्रकृति के प्रति सम्मान और प्रेम को भी सिखाते हैं। ऋषियों अनुसार हम सभी का जीवन सभी से जुड़ा हुआ है। सभी उस ब्रह्म की ही शक्तियां हैं।

ऋग्वेद में : अग्नि, वायु, मित्रावरुण, अश्‍विनी कुमार, इंद्र, विश्‍वदेवा, सरस्वती, मरुत, प्रजापति, वरुण, उषा, पूषा, सूर्य, वैश्वानर, ऋभुगण, नद्य: रुद्र और सविता।
 
यजुर्वेद में : सविता, यज्ञ, विष्णु, अग्नि, प्रजापति, इंद्र, वायु, विद्युत, धौ, द्यावा, ब्रह्मस्पति, मित्रावरुण, पितर, पृथ्वी।
 
सामवेद में : अग्नि, वायु, पूषा, विश्‍वदेवा, सविता, पवमान, अदिति, उषा, मरुत, अश्विनी, इंद्राग्नि, द्यावापृथिवी, सोम, वरुण, सूर्य, गौ:, मित्रावरुण।
 
अथर्ववेद : वाचस्पति, पर्जन्य, आप:, इंद्र, ब्रहस्पति, पूषा, विद्युत, यम, वरुण, सोम, सूर्य, आशपाल, पृथ्‍वी, विश्‍वेदेवा, हरिण्यम:, ब्रह्म, गंधर्व, अग्नि, प्राण, वायु, चंद्र, मरुत, मित्रावरुण, आदित्य।
 
कुल देवी और देवता : प्राकृतिक शक्तियों सहित कुल देवी-देवता 40 हैं। कुछ देवी और देवताओं के नाम चारों वेदों में मिलते हैं।
 
संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
 
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