वार अनुसार करें कार्य, तभी होगा बेड़ा पार

अनिरुद्ध जोशी
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हिन्दू पंचांग अनुसार किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को देखना जरूरी है। इसी से शुभ लग्न और मुहूर्त पता चलता है। वार, तिथि, माह, लग्न और मुहूर्त का एक संपूर्ण विज्ञान है। जो लोग इस हिन्दू विज्ञान अनुसार अपनी जीवनशैली ढाल लेते हैं वे सभी संकटों से बचे रहते हैं।

कौन-सा समय सर्वश्रेष्ठ होता है, जानिए
दिशा शूल से बचाव के उपाय

 

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रविवार : रविवार की प्रकृति ध्रुव है। रविवार सूर्य का दिन होता है। यह भगवान विष्णु का दिन भी है। हिन्दू धर्म में इसे सर्वश्रेष्ठ वार माना गया है। अच्छा स्वास्थ्य व तेजस्विता पाने के लिए रविवार के दिन उपवास रखना चाहिए।

ये कार्य करें :
* इस दिन भृकुटी पर लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं।
* रविवार अच्छे-अच्छे पकवान खाने के लिए उत्तम दिन है।
* इस दिन पूर्व, उत्तर और अग्निकोण में यात्रा कर सकते हैं।
* यह दिन गृहप्रवेश की दृष्टि से भी उचित है।
* इस दिन सोना, तांबा खरीद सकते हैं या धारण कर सकते हैं।
* इस दिन अग्नि या बिजली के सामान भी खरीद सकते हैं।

ये कार्य न करें :
* रविवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है।
* इस दिन पश्‍चिम और वायव्य दिशा में यात्रा न करें।

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* सोमवार : इसकी प्रकृति सम है। सोमवार का दिन शिवजी का दिन है। सोमवार के दिन उन लोगों को उपवास रखना चाहिए जिनका स्वभाव ज्यादा उग्र है। इससे उनकी उग्रता में कमी होगी।

ये कार्य करें :
* सिर पर भस्म का तिलक लगाएं।
* सोमवार को निवेश करना अच्छा माना गया है।
* यदि आप सोना, चांदी या शेयर में निवेश करने की सोच रहे हैं तो सोमवार को चुनें।
* दक्षिण, पश्‍चिम और वायव्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
* इस दिन गृह निर्माण का शुभारंभ कर सकते हैं।
* शपथ ग्रहण, राज्याभिषेक या नौकरी ज्वॉइन करने के लिए शुभ दिन।
* कृषि कार्य या लेखन कार्य का शुभारंभ करना उचित है।
* दूध और घी का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।
* सोमवार के दिन किसी साधना की शुरुआत करना चाहिए।

ये कार्य न करें :
* इस दिन उत्तर, पूर्व और आग्नेय में यात्रा नहीं कर सकते।
* किसी को सफेद वस्त्र या दूध दान में न दें।

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* मंगलवार : इसकी प्रकृति उग्र है। मंगलवार का दिन हनुमानजी है। हर कार्य में मंगलकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए मंगलवार का उपवास रखना चाहिए।

ये कार्य करें :
* इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में मिश्रित सिन्दूर लगाएं।
* मंगलवार ब्रह्मचर्य का दिन है। यह दिन शक्ति एकत्रित करने का दिन है।
* दक्षिण, पूर्व, आ‍ग्नेय दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
* शस्त्र अभ्यास, शौर्य के कार्य, विवाह कार्य या मुकदमे का आरंभ करने के लिए यह उचित दिन है।
* बिजली, अग्नि या धातुओं से संबंधित वस्तुओं का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।

* मंगलवार को ऋण चुकता करने का अच्छा दिन माना गया है। इस दिन ऋण चुकता करने से फिर कभी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।

ये कार्य न करें :
* मंगलवार सेक्स के लिए खराब है। इस दिन सेक्स करने से बचना चाहिए।
* मंगलवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है।
* पश्‍चिम, वायव्य और उत्तर दिशा में इस दिन यात्रा वर्जित।
* मंगलवार को मांस खाना सबसे खराब होता है, इससे अच्छे-भले जीवन में तूफान आ सकता है।
* मंगलवार को किसी को ऋण नहीं देना चाहिए वर्ना दिया गया ऋण आसानी से मिलने वाला नहीं है।

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* बुधवार : इसकी प्रकृति चर और सौम्य मानी गई है। यह भगवान गणेश और दुर्गा का दिन है। कमजोर मस्तिष्क वालों को बुधवार के दिन उपवास रखना चाहिए, क्योंकि बुधवार का दिन बुद्धि प्राप्ति का दिन होता है।

ये कार्य करें :
* सूखे सिंदूर का तिलक लगाएं।
* बुधवार को दुर्गा के मंदिर जाना चाहिए।
* पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
* इस दिन जमा किए गए धन में बरकत रहती है।
* मंत्रणा, मंथन और लेखन कार्य के लिए भी यह दिन उचित है।
* ज्योतिष, शेयर, दलाली जैसे कार्यों के लिए भी यह दिन शुभ माना गया है।

ये कार्य न करें :
* उत्तर, पश्‍चिम और ईशान में यात्रा न करें।
* बुधवार को धन का लेन-देन नहीं करना चाहिए।
* बुधवार को लड़की की माता को सिर नहीं धोना चाहिए, ऐसा करने से लड़की का स्वास्थ्य बिगड़ता है या उसके समक्ष कोई कष्ट आता है।

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* गुरुवार : इसकी प्रकृति क्षिप्र है। यह दिन ब्रह्मा और बृहस्पति का दिन माना गया है। हिन्दू धर्म में गुरुवार को रविवार से भी श्रेष्ठ और पवित्र दिन माना गया है। यह धर्म का दिन होता है। उथली व छिछली मानसिकता वाले व्यक्तियों को बृहस्पतिवार का उपवास अवश्य रखना चाहिए।

ये कार्य करें :
* सफेद चंदन, हल्दी या गोरोचन का तिलक लगाएं।
* हर तरह की बुरी लत को छोड़ने के लिए अति उत्तम दिन, क्योंकि इस दिन संकल्प की अधिकता रहती है।
* गुरुवार को पापों का प्रायश्‍चित करने से पाप नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि यह दिन देवी-देवताओं और उनके गुरु बृहस्पति का दिन होता है।
* उत्तर, पूर्व, ईशान दिशा में यात्रा करना शुभ।
* धार्मिक, मांगलिक, प्रशासनिक, शिक्षण और पुत्र के रचनात्मक कार्यों के लिए यह दिन शुभ है।
* सोने और तांबे का क्रय-विक्रय कर सकते हैं।

ये कार्य न करें :
* इस दिन शेविंग न बनाएं और शरीर का कोई भी बाल न काटें अन्यथा संतान सुख में बाधा उत्पन्न होगी।
* दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा करना वर्जित है।
* गुरुवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है।

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* शुक्रवार : इसकी प्रकृति मृ‍दु है। यह दिन एक और जहां लक्ष्मी का दिन है वहीं दूसरी ओर काली का भी। यह दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य का दिन है। शीघ्रपतन, प्रमेह रोग के रोगियों को शुक्रवार के दिन उपवास रखना चाहिए, क्योंकि यह दिन ओज, तेजस्विता, शौर्य, सौन्दर्यवर्धक और शुक्रवर्धक होता है।

ये कार्य करें :
* लाल चंदन लगाएं।
* पूर्व, उत्तर और ईशान में यात्रा कर सकते हैं।
* नृत्य, कला, गायन, संगीत आदि रचनात्मक कार्य की शुरुआत ‍की जा सकती है।
* आभूषण, श्रृंगार, सुगंधित पदार्थ, वस्त्र, वाहन, चांदी आदि के क्रय‍-विक्रय के लिए उचित दिन।
* सुखोपभोग के लिए भी यह दिन शुभ होता है।

ये कार्य न करें :
* इस दिन खट्टा न खाएं तो आपके साथ अच्‍छा ही होगा।
* किसी भी प्रकार से शरीर पर गंदगी न रखें अन्यथा आकस्मिक घटना-दुर्घटना हो सकती है।
* पिशाची या निशाचरों के कर्म से दूर रहें।
* नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण में यात्रा न करें।

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* शनिवार : इसकी प्रकृति दारुण है। यह भगवान भैरव और शनि का दिन है। समस्त दुःखों एवं परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन उपवास रखना चाहिए।

ये कार्य करें :
* विभूति, भस्म या लाल चंदन।
* गुरुवरु के बाद शनिवार को भी क्षमा मांगने का दिन माना जाता है।
* नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
* भवन निर्माण प्रारंभ, तकनीकी कार्य, शल्यक्रिया या जांच कार्य के लिए उचित दिन।
* प्लास्टिक, तेल, पेट्रोल, लकड़ी, सीमेंट आदि क्रय और विक्रय का दिन।

ये कार्य न करें :
* शनिवार को शराब पीना सबसे घातक माना गया है। इससे आपके अच्छे-भले जीवन में तूफान आ सकता है।
* पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में यात्रा करना मना है।
* लड़के को शनिवार के दिन ससुराल नहीं भेजना चाहिए।
* शनिवार के दिन तेल, लकड़ी, कोयला, नमक, लोहा या लोहे की वस्तु क्रय करके नहीं लानी चाहिए वर्ना बिना बात की बाधा उत्पन्न होगी और अचानक कष्ट झेलना पड़ेगा।

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