हिंदू मंदिर को बनाओ प्रार्थना का स्थान

Webdunia
WD
क्या हिंदू मंदिरों में पूजा-पाठ बंद कर देना चाहिए? प्राचीन मंदिर ध्यान या प्रार्थना के लिए होते थे। उन मंदिर के स्तंभों या दीवारों पर ही मूर्तियां आवेष्टित की जाती थी। मंदिरों में पूजा-पाठ नहीं होता था। यदि आप खजुराहो, कोणार्क या दक्षिण के प्राचीन मंदिरों की रचना देखेंगे तो जान जाएंगे कि मंदिर किस तरह के होते हैं।

ध्यान या प्रार्थना करने वाली पूरी जमात जब खतम हो गई है तो मंदिरों पर पूजा-पाठ का प्रचलन बड़ा। पूजा-पाठ के प्रचलन से मध्यकाल के अंत में मनमाने मंदिर बने। मनमाने मंदिर से मनमानी पूजा-आरती आदि कर्मकांडों का जन्म हुआ जो वेदसम्मत नहीं माने जा सकते।

जानकार कहते हैं कि उसी मंदिर का महत्व है जिसमें सामूहिक रूप से दो संधिकाल (प्रात: और संध्या) में ठीक और एक ही वक्त पर ध्यान या प्रार्थना की जाती है।

मंदिरों में यदि मूर्तियों की पूजा होती है तो कोई बात नहीं, लेकिन एक हाल भी होना चाहिए जहां पांच सौ से हजार लोग प्रार्थना कर सके। परमेश्वर की प्रार्थना के लिए वेदों में कुछ ऋचाएं दी गई है, प्रार्थना के लिए उन्हें याद किया जाना चाहिए।-( c)wd
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

मकर संक्रांति उत्तरायण पर पतंग उड़ाने का कारण और महत्व

Makar Sankranti : कैसा रहेगा वर्ष 2025 में मकर संक्रांति का पर्व

प्रयागराज कुंभ मेला 1989: इतिहास और विशेषताएं

29 मार्च को मीन राशि में शनि और सूर्य की युति, इसी दिन सूर्य पर ग्रहण लगेगा, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ के पहले दिन बन रहा शुभ संयोग, जानिए कुंभ स्नान के नियम

सभी देखें

धर्म संसार

08 जनवरी 2025 : आपका जन्मदिन

प्रयागराज कुंभ मेला 1977: इतिहास और विशेषताएं

08 जनवरी 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

पोंगल में क्या क्या बनता है?

मकर संक्रांति 2025: पतंग उड़ाने से पहले जान लें ये 18 सावधानियां