84 लाख योनियों के प्रकार और गतियों को जानकर आप चौंक जाएंगे

अनिरुद्ध जोशी
84 लाख योनियां अलग-अलग पुराणों में अलग-अलग बताई गई हैं, लेकिन हैं सभी एक ही। अनेक आचार्यों ने इन 84 लाख योनियों को 2 भागों में बांटा है। पहला योनिज तथा दूसरा आयोनिज अर्थात 2 जीवों के संयोग से उत्पन्न प्राणी योनिज कहे गए और जो अपने आप ही अमीबा की तरह विकसित होते हैं उन्हें आयोनिज कहा गया। इसके अतिरिक्त स्थूल रूप से प्राणियों को 3 भागों में बांटा गया है-
 
 
1. जलचर : जल में रहने वाले सभी प्राणी।
2. थलचर : पृथ्वी पर विचरण करने वाले सभी प्राणी।
3. नभचर : आकाश में विहार करने वाले सभी प्राणी।
 
उक्त 3 प्रमुख प्रकारों के अंतर्गत मुख्य प्रकार होते हैं अर्थात 84 लाख योनियों में प्रारंभ में निम्न 4 वर्गों में बांटा जा सकता है।
1. जरायुज : माता के गर्भ से जन्म लेने वाले मनुष्य, पशु जरायुज कहलाते हैं।
2. अंडज : अंडों से उत्पन्न होने वाले प्राणी अंडज कहलाते हैं।
3. स्वदेज : मल-मूत्र, पसीने आदि से उत्पन्न क्षुद्र जंतु स्वेदज कहलाते हैं।
4. उदि्भज : पृथ्वी से उत्पन्न प्राणी उदि्भज कहलाते हैं।
 
 
पदम् पुराण के एक श्लोकानुसार...
जलज नव लक्षाणी, स्थावर लक्ष विम्शति, कृमयो रूद्र संख्यक:।
पक्षिणाम दश लक्षणं, त्रिन्शल लक्षानी पशव:, चतुर लक्षाणी मानव:।। -(78:5 पद्मपुराण)
अर्थात जलचर 9 लाख, स्थावर अर्थात पेड़-पौधे 20 लाख, सरीसृप, कृमि अर्थात कीड़े-मकौड़े 11 लाख, पक्षी/नभचर 10 लाख, स्थलीय/थलचर 30 लाख और शेष 4 लाख मानवीय नस्ल के। कुल 84 लाख।
 
 
आप इसे इस तरह समझें
1.पानी के जीव-जंतु- 9 लाख
2.पेड़-पौधे- 20 लाख
3.कीड़े-मकौड़े- 11 लाख
4.पक्षी- 10 लाख
5.पशु- 30 लाख
6.देवता-दैत्य-दानव-मनुष्य आदि- 4 लाख
कुल योनियां- 84 लाख।
 
'प्राचीन भारत में विज्ञान और शिल्प' ग्रंथ में शरीर रचना के आधार पर प्राणियों का वर्गीकरण किया गया है जिसके अनुसार-
1. एक शफ (एक खुर वाले पशु)- खर (गधा), अश्व (घोड़ा), अश्वतर (खच्चर), गौर (एक प्रकार की भैंस), हिरण इत्यादि। 
2. द्विशफ (दो खुर वाले पशु)- गाय, बकरी, भैंस, कृष्ण मृग आदि।
3. पंच अंगुल (पांच अंगुली) नखों (पंजों) वाले पशु- सिंह, व्याघ्र, गज, भालू, श्वान (कुत्ता), श्रृंगाल आदि। (प्राचीन भारत में विज्ञान और शिल्प- पेज 107-110)
 
मनुष्य जन्म कब मिलता है : एक प्रचलित मान्यता के अनुसार एक आत्मा को कर्मगति अनुसार 30 लाख बार वृक्ष योनि में जन्म होता है। उसके बाद जलचर प्राणियों के रूप में 9 लाख बार जन्म होता है। उसके बाद कृमि योनि में 10 लाख बार जन्म होता है। और फिर 11 लाख बार पक्षी योनि में जन्म होता है।
 
 
उसके बाद 20 लाख बार पशु योनि में जन्म लेना होता है अंत में कर्मानुसार गौ का शरीर प्राप्त करके आत्मा मनुष्य योनि प्राप्त करता है और तब 4 लाख बार मानव योनि में जन्म लेने के बाद पितृ या देव योनि प्राप्त होती है। यह सभी कर्मानुसार चलता है। मनुष्य योनि में आकर नीच कर्म करने वाला पुन: नीचे की योनियों में सफर करने लग जाता है अर्थात उल्टेक्रम में गति करता है जिसे ही दुर्गति कहा गया है।
 
 
मनुष्य का पतन कैसे होता है: कठोपनिषद अध्याय 2 वल्ली 2 के 7वें मंत्र में यमराजजी कहते हैं कि अपने-अपने शुभ-अशुभ कर्मों के अनुसार शास्त्र, गुरु, संग, शिक्षा, व्यवसाय आदि के द्वारा सुने हुए भावों के अनुसार मरने के पश्चात कितने ही जीवात्मा दूसरा शरीर धारण करने के लिए वीर्य के साथ माता की योनि में प्रवेश कर जाते हैं। जिनके पुण्य-पाप समान होते हैं, वे मनुष्य का और जिनके पुण्य कम तथा पाप अधिक होते हैं, वे पशु-पक्षी का शरीर धारण कर उत्पन्न होते हैं और कितने ही जिनके पाप अत्यधिक होते हैं, स्थावर भाव को प्राप्त होते हैं अर्थात वृक्ष, लता, तृण आदि जड़ शरीर में उत्पन्न होते हैं। 
 
 
अंतिम इच्छाओं के अनुसार परिवर्तित जीन्स जिस जीव के जीन्स से मिल जाते हैं, उसी ओर ये आकर्षित होकर वही योनि धारण कर लेते हैं। 84 लाख योनियों में भटकने के बाद वह फिर मनुष्य शरीर में आता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

April Birthday : अप्रैल माह में जन्मे हैं तो जान लीजिए अपनी खूबियां

sheetala saptami 2024 : शीतला सप्तमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Sheetala ashtami vrat katha: शीतला सप्तमी-अष्टमी की कथा कहानी

Basoda puja 2024 : शीतला अष्टमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Gudi padwa 2024 date : हिंदू नववर्ष पर 4 राशियों को मिलेगा मंगल और शनि का खास तोहफा

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 03 अप्रैल का दैनिक राशिफल

03 अप्रैल 2024 : आपका जन्मदिन

03 अप्रैल 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Vastu Tips : टी-प्वाइंट पर बने मकान से होंगे 5 नुकसान

बुध का मेष राशि में वक्री गोचर, 3 राशियों के लिए गोल्डन टाइम, 3 राशियों को रहना होगा संभलकर

अगला लेख