एक साधे सब सधे, सब साधे कोई न सधे-2

परमेश्वर ही सभी का मालिक है...

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
वेदों के अनुसार ब्रह्म (ईश्‍वर) ही सत्य है। परमेश्वर से इस ब्रह्मांड की रचना हुई। इस ब्रह्मांड में सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियां रहती हैं। वैदिक ऋषि उस परमेश्वर सहित सकारात्मक शक्तियों की प्रार्थना गाते थे और उनसे ही सब कुछ मांगते थे। उनकी प्रार्थना की शुरुआत ही इस धन्यवाद से होती थी कि आपने हमें अब तक जो दिया है उसके लिए धन्यवाद। मांग से महत्वपूर्ण है- धन्यवाद।
 
वैदिक काल में लोग सिर्फ एक परमेश्वर की ही प्रार्थना करते थे। इसके अलावा समय-समय पर वे प्राकृतिक शक्तियों में पंचत्व (धरती, अग्नि, जल, वायु, आकाश), उमा, उषा, पूषा,पर्जन्य, रुद्र, आदित्य आदि की स्तुति करते थे।
 
बाद में धीरे-धीरे लोग ब्रह्मा, विष्णु और शिव की प्रार्थना करने लगे। राम के दौर तक लोग वेद से जुड़े थे। कृष्ण के दौर में पुराणों की रचना हुई और उसके बाद वेदों के परमेश्वर और प्राकृतिक शक्तियों को छोड़कर लोग राम, कृष्ण के साथ ही दुर्गा, दत्तात्रेय, गणेश, कार्तिकेय, भैरव, बजरंग आदि की प्रार्थना करने लगे।
 
बुद्ध के काल में प्रार्थना और स्तुति ने पूर्णत: पूजा और आरती का रूप ले लिया और राम, कृष्ण, विष्णु, बुद्ध, शिव और दुर्गा के मंदिर प्रमुखता से बनने लगे। मुस्लिम शासन और अंग्रेज काल में हिंदू धर्म की बहुत हानी हुई और लोगों में ज्यादा भ्रम फैलने लगा। जनता मुस्लिम और ईसाई धर्म अपनाने लगी।
 
लोगों में अपने धर्म, संकृति, इतिहास और समाज को लेकर भ्रम, विरोधाभाष और गलत जानकारियां फैलाइ जाने लगी। लोग भय, चिंता और भ्रम में जीने लगे। इस दौर में कई संत हुए जिन्होंने लोगों को इस भ्रम और भय से निकालने का प्रयास किया। आजकल लोग शनि, बजरंगबली, साई, शिव और दुर्गा के साथ ही तरह-तरह के नए बाबाओं और देवी देवताओं को ज्यादा पूजने लगे हैं।
 
कुछ लोगों को निराकार परमेश्वर की भक्ति करने में अड़चन होती है, इसलिए वे देवी और देवताओं को ज्यादा मानते हैं और मूर्ति पूजा में विश्‍वास रखते हैं। उनके लिए यही है कि वे किसी एक को साधे। देवी और देवताओं के रूप में जो सकारात्मक शक्तियां हैं उसमें से किसी एक पर कायम रहने से शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। लेकिन जो व्यक्ति समय अनुसार, ज्योतिष की सलाह पर या गुरुओं के चक्कर में अपने देवता बदलते रहते हैं एक दिन सभी देवता उसका साथ छोड़ कर चले जाते हैं।
 
कुछ लोग भगवानों या देवी-देवताओं में भी बड़े और छोटे का फर्क कर छांटते हैं। अर्थात जो सबसे शक्तिशाली होगा हम उसे ही पूजेंगे। ऐसे मूढ़जन वह लोग हैं जिन्होंने वेद, ‍उपनिषद्, गीता या महाभारत नहीं पढ़ी। जो व्यक्ति ब्रह्म की ओर कदम बढ़ाकर ब्रह्म में लीन हो जाता है वह ब्रह्म स्वरूप हो जाता है। सभी देवी-देवता और भगवान ब्रह्म स्वरूप हैं।
 
सागर से निकलने वाली नदियां बहुत सारे नाम की होती है, लेकिन सभी सागर में मिलकर-खोकर सागर ही हो जाती है।
 
बचपन से जिसे मानते हैं, बस उसे ही मानते-पूजते रहें या जिसके प्रति दिल्लगी हो जाए- बस उसी को अपना जीवन समर्पित कर दें। एक साधे सब सधे और सब साधे तो कोई नहीं सधे। इसके लिए एक कहानी है- 
 
भगवान कृष्ण अपनी पत्नी रुक्मणी के साथ भोजन कर रहे थे, तभी अचानक उठकर वह दौड़े और द्वार तक पहुंचे भी नहीं थे कि रूक कर वापस लौट आए और पुन: भोजन करने लगे। यह देख रुक्मणी ने पूछा- प्रभु आप अचानक उठकर दौड़े और द्वार तक पहुंचकर पुन: तुरंत ही लौट आए आखिर इसका कारण क्या है।
 
श्रीकृष्ण ने कहा- प्रिये! एक मानव मुझे पुकार रहा था, तो मैं उसकी मदद के लिए दौड़ा, लेकिन उसने जरा भी सब्र नहीं रखा और वह किसी और को पुकारने लगा। उसे शायद मुझ पर विश्वास नहीं है, इसलिए तुम्हीं बताओ मैं क्या कर सकता हूं। उसमें थोड़ी तो श्रद्धा और सबूरी होनी चाहिए थी।
 
आखिर सत्य क्या है- ईश्वर ही सत्य है, सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है। सत्यम् शिवम सुंदरम। अब इसका अर्थ भी समझ लें...परमेश्वर ही सत्य है। शिव का अर्थ शुभ होता है और सुंदरम प्रकृति को कहते हैं।
 
जो व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करता है वही सत्य बोलने की ताकत रखता है और जो सत्य बोलता है उसके जीवन में ‍शिव अर्थात शुभ होने लगता है। शुभ का अर्थ सब कुछ अच्छा होने लगता है और जब सब कुछ अच्‍छा होने लगता है तो जीवन एक सुंदर सफर बन जाता है।
 
-सत्यम् शिवम सुंदरम्
Show comments

Bhagwat katha benefits: भागवत कथा सुनने से मिलते हैं 10 लाभ

Vaishakha amavasya : वैशाख अमावस्या पर स्नान और पूजा के शुभ मुहूर्त

Dhan yog in Kundali : धन योग क्या है, करोड़पति से कम नहीं होता जातक, किस्मत देती है हर जगह साथ

Akshaya tritiya 2024 : 23 साल बाद अक्षय तृतीया पर इस बार क्यों नहीं होंगे विवाह?

Varuthini ekadashi: वरुथिनी एकादशी का व्रत तोड़ने का समय क्या है?

Guru asta 2024 : गुरु हो रहा है अस्त, 4 राशियों के पर्स में नहीं रहेगा पैसा, कर्ज की आ सकती है नौबत

Nautapa 2024 date: कब से लगने वाला है नौतपा, बारिश अच्‍छी होगी या नहीं?

Akshaya tritiya 2024: अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा

कालाष्टमी 2024: कैसे करें वैशाख अष्टमी पर कालभैरव का पूजन, जानें विधि और शुभ समय

Aaj Ka Rashifal: राशिफल 01 मई: 12 राशियों के लिए क्या लेकर आया है माह का पहला दिन

अगला लेख