19 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा, खीर को आसमान के नीचे रखने के 10 कारण

Webdunia
मंगलवार, 19 अक्टूबर 2021 (06:07 IST)
19 अक्टूबर 2021 मंगलवार को शरद पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। शरद पूर्णिमा के दिन छत या गैलरी पर चंद्रमा के प्रकाश में चांदी के बर्तन में दूध को रखा जाता है। फिर उस दूध को भगवान को अर्पित करने के बाद पिया जाता है। आओ जानते हैं कि इसके 10 कारण।
 
1. ज्योतिष विद्वानों के अनुसार पूरे वर्ष में सिर्फ इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं का होता है और इससे निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती है। मान्यता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में पड़ने से यह कई गुना गुणकारी और लाभकारी हो जाती है। इसलिए इस दिन लोग दूध या खीर को चंद्रमा के प्रकाश में रखते हैं।
 
2. मान्यता है कि इस दूध या खीर का सेवन करने के चंद्रदोष दूर हो जाता है, इसीलिए आसमान के नीचे खीर रखी जाती है।
 
3. यह भी माना जाता है कि इस खीर का सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इस खीर को खाने से सेहत अच्‍छी रहती है।
 
4. शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता। इस रात को चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। धार्मिक मान्यता है कि औषधीय गुणों से भरपूर चंद्रमा की ये किरणें मनुष्य को कई बीमारियों से छुटकारा दिला सकती है। अत: इन गुणों को खीर में ग्रहण करके उसका सेवन किया जाता है।
5. यह भी माना जाता है कि इस आसमान के नीचे इस चंद्र प्रकाश में कुछ देर रहने और इसी चंद्र प्रकाश से युक्त दूध या खीर का सेवन करने से यदि कुंडल में कोई चंद्र गहण है तो वह दूर हो जाता है।
 
6. यह भी कहते हैं कि दूध में भरपूर मात्रा में लैक्टिक एसिड और अमृत तत्व होता है चांद की किरणों से ये तत्व अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करते हैं। वहीं, खीर में पड़े चावल इस काम को और आसान बना देते हैं। चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च इसमें मदद करता है।
 
7. कहते हैं कि चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी सबसे अधिक होती है। इस काण से शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में चांदी के बर्तन में रखी खीर शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है।
 
8. यह भी माना जाता है कि किसी दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर उसे शरद पूर्णिमा की किरणों में रखने से उसके औषधिय गुण कई गुना बढ़ जाते हैं।
 
9. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है। चंद्रदेव अपनी अमृत किरणों से पृथ्वी पर अपनी शीतलता और पोशक शक्ति की अमृत वर्षा करते हैं। ऐसे में लोग चांदनी रात में विशेष रूप से खीर का प्रसाद बनाते हैं और उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं ताकि वह अमृत के समना बन जाए।
 
10. खीर आसमान के नीचे रखने का कारण यह भी है कि इसमें मिलाया गया दूध, चीनी और चावल का संबंध भी चंद्रदेव से ही जुड़ा हुआ है। ऐसे में यह पूरी तरह से चंद्रमा की रोशनी से निकलने वाले अमृत तत्व से परिपूर्ण होकर दिव्य प्रसाद में परिवर्तित हो जाता है और उसे ग्रहण करके व्यक्ति सालभर सुखी, समृद्ध और निरोगी बना रहता है।
 
नोट : उपरोक्त बातें मान्यता पर आधारित हैं। इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं की जा सकती है।

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