Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा की पूजा विधि, मंत्र और महत्व

WD Feature Desk
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024 (14:30 IST)
sharad purnima: वर्ष 2024 में शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर, दिन बुधवार को मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा वर्षभर की सभी पूर्णिमा तिथियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि मानी जाती है। धन-वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। आश्विन मास की इसी पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा तथा कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी कहते हैं। आइए यहां जानते हैं शरद पूर्णिमा पर पूजन की विधि, मंत्र और महत्व के बारे में....

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शरद पूर्णिमा की पूजा विधि : 
 
• शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। 
• फिर ध्यानपूर्वक माता लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा करें। 
• पूजन हेतु गाय के दूध में चावल की खीर बनाकर तैयार रख लें।
• देवी लक्ष्मी और श्री विष्णु की पूजा करने के लिए चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। 
• यदि उपलब्ध हो तो तांबे अथवा मिट्टी के कलश पर वस्त्र से ढंकी हुई लक्ष्मी जी की स्वर्णमयी मूर्ति की स्थापना भी कर सकते हैं।
• अब भगवान की प्रतिमा के सामने घी का दीया जलाएं, धूप, अगरबत्ती करें। 
• इसके बाद प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराकर अक्षत और रोली से तिलक लगाएं।
• लाल या पीले पुष्प अर्पित करें। 
• इस दिन माता लक्ष्मी को गुलाब का फूल अर्पित करना विशेष फलदायक होता है।
• तिलक करने के बाद सफेद या पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं। 
• शाम के समय चंद्रमा निकलने पर अपने सामर्थ्य के अनुसार गाय के शुद्ध घी के दीये जलाएं। 
• इसके बाद खीर को कई छोटे बर्तनों में भरकर छलनी से ढंक कर चंद्रमा की रोशनी में रख दें। 
• फिर ब्रह्म मुहूर्त जागते हुए विष्णु सहस्त्रनाम, श्री सूक्त, कृष्ण महिमा, श्री कृष्ण मधुराष्टकम् और कनकधारा स्तोत्र आदि का पाठ करें।
• पुन: पूजा की शुरुआत में भगवान गणपति की आरती अवश्य करें।
• अगली सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके उस खीर को मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
• तत्पश्चात वह खीर प्रसाद रूप में घर-परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें।
 
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शरद पूर्णिमा पर इस मंत्र से पूजन करें : भागवत महापुराण में वर्णन किया गया है कि यदि आप चाहते हैं आपका भाग्य, सौभाग्य बन जाए तो शरद पूर्णिमा पर सुंदर, श्वेत और चमकीले चंद्र देव को निम्न मंत्र से पूजें तथा चांदी के बर्तन में दूध और मिश्री का भोग लगाकर इस मंत्र का रात भर जाप करें। 
 
* मंत्र : 'पुत्र पौत्रं धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम् प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे।'
 
इस तरह शरद पूर्णिमा की रात इस मंत्र से आप सौभाग्य का आशीर्वाद पा सकते हैं। 
 
* शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी को मनाने का मंत्र : 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः'
 
शरद पूर्णिमा का महत्व क्या है : पौराणिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी का अवतरण हुआ था। अत: शरद पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी पूजन का भी बहुत महत्व माना गया है। शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन होता है इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के प्रयास इस तिथि पर विशेष तौर पर किए जाते हैं। साथ ही इस दिन रास पूर्णिमा होने के कारण भी राधा-कृष्ण के पूजन का तथा भोलेनाथ-पार्वती माता के साथ ही कार्तिकेय और गणेश पूजन का भी विशेष महत्व है। 
 
शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। इस तिथि के पौराणिक महत्व के अनुसार इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बूंदें झरती हैं। पूर्णिमा की रात में जिस भी चीज पर चंद्रमा की किरणें गिरती हैं उसमें अमृत का संचार होता है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है और सुबह उठकर यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है। चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर खाने से शरीर से कई रोग समाप्त होते हैं। साथ ही जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा शुभ फल नहीं देते हैं, उन्हें तो इस खीर का सेवन जरूर करना चाहिए। 

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