गिरावट के पीछे एफआईआई!

हाजर और वायदा में खरीद-बिक्री कर बना रहे हैं पूँजी

Webdunia
रविवार, 26 अक्टूबर 2008 (18:59 IST)
पिछले कुछ महीनों में कई प्रमुख कंपनियों के शेयरों में हर दिन तेज गिरावट आने की वजह से अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि इसकी वजह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय बाजारों की कमजोरी और कंपनियों की आमदनी घटने की चिंता ही नहीं हो सकती। जानकारों का कहना है कि इस गिरावट के पीछे एफआईआई का बड़ा हाथ है।

दलाल स्ट्रीट के कई पुराने ब्रोकर्स का मानना है कि कई विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) हाजर और वायदा बाजार में अपना स्वार्थ सीधा करने के लिए दिलचस्पी ले रहे हैं। इन एफआईआई की वजह से हाजर बाजार में शेयरों की कीमतें घट रही हैं और इसके बाद उन्हीं सस्ते शेयरों के फ्यूचर में लाँग पोजिशन लेकर यह एफआईआई मुनाफा हासिल कर लेते हैं।

कारगर होती रणनीति : फिलहल तो एफआईआई की यह रणनीति काफी कारगर रही है, क्योंकि बाजार लगातार नीचे की ओर जा रहा है और उसमें खरीद-फरोख्त बहुत कम है। ब्रोकर्स का कहना है कि मंदी के बाजार में ऊँचा मुनाफा हासिल करने के लिए बड़ी संख्या में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पीएन) जारी करने वाले एफआईआई इस रास्ते को अपना रहे हैं।

नजर रखना भी कठिन : एक कारोबारी के मुताबिक इस जुगत में शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है और एफआईआई द्वारा विदेश में शेयरों को उधार लेने या देने (इसके बारे में सेबी जानकारी माँग सकता है) जैसे कार्यों की तुलना में इस पर नजर रख पाना भी कठिन है।

कैसे कमा रहे हैं मुनाफा : एफआईआई इस खेल में कैसे कमा रहे हैं। इसे एक उदाहरण से समझना होगा। मान लीजिए किसी एफआईआई के एक पीएन एकाउंट्स में विप्रो के 5 लाख शेयर हैं। इस साल की शुरुआत तक जब बाजार में तरलता थी तो विप्रो के इन 5 लाख शेयरों को आसानी से बिना घाटे के बेचा जा सकता है। आज हालात यह है कि बाजार में तरलता बिलकुल नहीं है, इसलिए विप्रो के इन शेयरों के लिए एक सत्र में खरीददार मिलना मुश्किल है। बहुत हुआ तो एफआईआई करीब 2.5 लाख शेयर बेच सकते हैं।

बेचते ही स्टॉक लाँग पोजिशन : मान लीजिए जब एफआईआई ने विप्रो के शेयरों की बिकवाली शुरू की तो उसकी औसत बिक्री से शेयरों की कीमत में 25 से 30 रु. की कमी आ जाएगी। मान लिया कि विप्रो के शेयरों की कीमत घटकर 320 रुपए हो गई, जो इसके एक माह के वायदा बाजार कीमत से 1-2 रुपए ज्यादा या कम होगी। इसके बाद एफआईआई ने हाजर बाजार में विप्रो के जितने शेयर बेचे हैं, उतने ही शेयरों की स्टॉक फ्यूचर में लाँग पोजिशन ले लेता है। इसके बाद अगले दिन से एफआईआई हाजर बाजार में फिर से धीरे-धीरे शेयरों की खरीद कर अपनी पुरानी स्थिति में वापस जाना शुरू करता है।

2 रु. कमाने का खेल : इस खरीद से विप्रो के शेयरों को मजबूती मिलना शुरू हो जाती है। आमतौर पर ऐसा होता है कि यदि किसी शेयर का वायदा रेट 102 रु. हो और बाजार में उसकी कीमत 100 रु. तो एफआईआई वायदा में बिकवाली कर और बाजार में खरीद कर हर शेयर पर 2 रुपए बना लेता है। (नईदुनिया)

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