महाशिवरात्रि पर रात्रि के 4 प्रहर की पूजा का सही समय और पूजन विधि

WD Feature Desk
सोमवार, 17 फ़रवरी 2025 (17:32 IST)
Mahashivratri puja ki vidhi: फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार 26 फरवरी 2025 बुधवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि की पूजा प्रदोषकाल और निशीथ काल सहित रात्रि के 4 प्रहर में होती है। शिवरात्रि में रात्रि का महत्व होता है। आओ जानते हैं कि क्या है 4 प्रहर पूजा का शुभ मुहूर्त।ALSO READ: महाशिवरात्रि पर जानिए शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग के 12 रहस्य
 
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 27 फरवरी 2025 को सुबह 08:54 बजे।
 
चार प्रहर की पूजा का समय:-
1. रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय- शाम 06:19 से रात्रि 09:26 बजे के बीच।
2. रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय- रात्रि 09:26 से मध्यरात्रि 12:34 के बीच। (27 फरवरी)
3. रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय- मध्यरात्रि 12:34 से मध्यरात्रि 03:41 के बीच। (27 फरवरी)
4. रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- तड़के 03:41 से सुबह 06:48 के बीच। (27 फरवरी)ALSO READ: Mahashivratri 2025: कैसे करें महाशिवरात्रि का व्रत?
 
महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त:-
दिन में शुभ मुहूर्त:- अमृत काल सुबह 07:28 से 09:00 के बीच।
शाम में शुभ मुहूर्त:- गोधूलि मुहूर्त शाम 06:17 से 06:42 के बीच। 
रात में शुभ मुहूर्त:- निशीथ काल समय- मध्यरात्रि 12:09 से 12:59 के बीच।
दिन में अमृत चौघड़िया: अमृत सुबह 08:15 से 09:42 के बीच।
रात में शुभ और अमृत चौघड़िया: रात्रि 07:53 से 11:00 बजे तक।
महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा विधि:- 
- प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो शिवजी का स्मरण करते हुए व्रत एवं पूजा का संपल्प लें।
- घर पर पूजा कर रहे हैं तो एक पाट पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर घट एवं कलश की स्थापना करें।
- इसके बाद एक बड़ी सी थाली में शिवलिंग या शिवमूर्ति को स्थापित करके उस थाल को पाट पर स्थापित करें।
- अब धूप दीप को प्रज्वलित करें। इसके बाद कलश की पूजा करें।
- कलश पूजा के बाद शिवमूर्ति या शिवलिंग को जल से स्नान कराएं। 
- फिर पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत के बाद पुन: जलाभिषेक करें।
- फिर शिवजी के मस्तक पर चंदन, भस्म और लगाएं और फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाकर माला पहनाएं।
- पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से इत्र, गंध, चंदन आदि लगाना चाहिए।
- इसके बाद 16 प्रकार की संपूर्ण सामग्री एक एक करके अर्पित करें।
- पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करें।
- ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है।
- नैवेद्य अर्पित करने के बाद अंत में शिवजी की आरती करें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें।ALSO READ: महाकुंभ में महाशिवरात्रि के अंतिम अमृत स्नान में बन रहे हैं 5 शुभ योग, करें 5 कार्य, स्नान का मिलेगा दोगुना पुण्य

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