Hanuman Chalisa

महाशिवरात्रि 2020 : 4 प्रहर के 4 मंत्र और 13 काम की बातें

WD
maha shivratri 2020


पं. दयानंद शास्त्री
 
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर भक्त दिनभर भगवान की पूजा-अर्चना कर सकेंगे। भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होंगी। इस बार महाशिवरात्रि के दिन शुक्रवार होने तथा श्रवण नक्षत्र होने के कारण भक्तों के लिए विशेष फलदायी योग बन रहे हैं।
 
ज्योतिष के अनुसार इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार होता है कि मनुष्य अपने अंदर की ऊर्जा को कई गुना मजबूत महसूस करता है। सोमवार का दिन भगवान को विशेष प्रिय होता है। इस दिन सालभर शिव की पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है।
 
सोमवार का स्वामी चंद्रमा है। चंद्रमा भगवान शिव की जटा व मस्तिष्क में विराजमान है इसलिए भगवान शिव को 'सोमनाथ' भी कहा जाता है। इसके अलावा चतुर्दशी का स्वामी भी चंद्रमा ही है। चंद्रमा मन का भी कारक है इसलिए मन से शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा श्रवण नक्षत्र में की जाने वाली पूजा भगवान शिव को ही अर्पित होती है।
 
शिवपुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन प्रात:काल उठकर स्नान व नित्यकर्म से निवृत्त होकर भस्म का त्रिपुंड तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण कर शिवालय में जाएं और शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें। महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प करें और साथ ही इस दिन 4 प्रहर के 4 मंत्र का जाप करके महाशिवरात्रि व्रत का विशेष लाभ उठाएं।
 
भगवान शिव के भोलेपन के बारे में सभी को पता है इसलिए भक्त इन्हें 'भोला' भी कहते हैं। मान्यता है कि शिवजी को प्रसन्न करने के लिए आपको बहुत सारी चीजों की जरूरत नहीं होती, बल्कि सच्चे मन और भाव से दिया गया एक फूल भी भगवान आशुतोष को प्रसन्न कर सकता है।
 
विधिवत शिवलिंग पूजन के लिए स्वच्छ जल, गंगा जल से स्नान कराने के बाद देशी घी, दूध, दही, शहद, शकर, भस्म, भांग, गन्ने का रस, गुलाब जल, दूध व चंदन चढ़ाकर शिवलिंग पर लेप करना चाहिए। उसके बाद जनेऊ, कलावा, पुष्प, गुलाब की माला, धतूरा, भांग, जौ, केसर, चंदन, धुप, दीप, कलाकंद मिठाई (दूध की बर्फी) स्वेच्छानुसार चढ़ाने के बाद बेलपत्र (राम-राम लिखे हुए चंदन से) चढ़ाएं।
 
महाशिवरात्रि पर शिव अराधना से प्रत्येक क्षेत्र में विजय, रोग मुक्ति, अकाल मृत्यु से मुक्ति, गृहस्थ जीवन सुखमय, धन की प्राप्ति, विवाह बाधा निवारण, संतान सुख, शत्रु नाश, मोक्ष प्राप्ति और सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। महाशिवरात्रि कालसर्प दोष, पितृदोष शांति का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। जिन व्यक्तियों को कालसर्प दोष है, उन्हें इस दोष की शांति इस दिन करनी चाहिए। 
 
4 प्रहर के 4 मंत्र-
 
महाशिवरात्रि के प्रथम प्रहर में संकल्प करके शिवलिंग को दूध से स्नान करवाकर 'ॐ हीं ईशानाय नम:' का जाप करना चाहिए।
 
द्वितीय प्रहर में शिवलिंग को दधि (दही) से स्नान करवाकर 'ॐ हीं अधोराय नम:' का जाप करें।
 
तृतीय प्रहर में शिवलिंग को घृत से स्नान करवाकर 'ॐ हीं वामदेवाय नम:' का जाप करें।
 
चतुर्थ प्रहर में शिवलिंग को मधु (शहद) से स्नान करवाकर 'ॐ हीं सद्योजाताय नम:' मंत्र का जाप करना करें।
 
किस तरह से करें पूजा एवं मंत्र जाप-
 
मंत्र जाप में शुद्ध शब्दों के बोलने का विशेष ध्यान रखें कि जिन अक्षरों से शब्द बनते हैं, उनके उच्चारण स्थान 5 हैं, जो पंच तत्व से संबंधित हैं।
 
1- होंठ पृथ्वी तत्व
2- जीभ जल तत्व
3- दांत अग्नि तत्व
4- तालू वायु तत्व
5- कंठ आकाश तत्व
 
मंत्र जाप से पंच तत्वों से बना यह शरीर प्रभावित होता है। शरीर का प्रधान अंग सिर है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार सिर में 2 शक्तियां कार्य करती हैं- पहली विचार शक्ति व दूसरी कार्य शक्ति। इन दोनों का मूल स्थान मस्तिष्क है। इसे मस्तुलिंग भी कहते हैं। मस्तुलिंग का स्थान चोटी के नीचे गोखुर के बराबर होता है। यह गोखुर वाला मस्तिष्क का भाग जितना गर्म रहेगा, उतनी ही कर्मेन्द्रियों की शक्ति बढ़ती है। मस्तिष्क के तालू के ऊपर का भाग ठंडक चाहता है। यह भाग जितना ठंडा होगा उतनी ही ज्ञानेन्द्रिय सामर्थ्यवान होगी।
 
1- मानसिक जाप अधिक श्रेष्ठ होता है।
 
2- जाप, होम, दान, स्वाध्याय व पितृ कार्य के लिए स्वर्ण व कुशा की अंगूठी हाथ में धारण करें।
 
3- दूसरे के आसन पर बैठकर जाप न करें।
 
4- बिना आसन के जाप न करें।
 
5- भूमि पर बैठकर जाप करने से दुख, बांस के आसन पर जाप करने से दरिद्रता, पत्तों पर जाप करने से धन व यश का नाश व कपड़े के आसन पर बैठ जाप करने से रोग होता है। कुशा या लाल कंबल पर जाप करने से शीघ्र मनोकामना पूर्ण होती है।
 
6- जाप काल में आलस्य, जंभाई, निद्रा, थूकना, छींकना, भय, वार्तालाप करना, क्रोध करना आदि सब मना है।
 
7- लोभयुक्त आसन पर बैठते ही सारा अनुष्ठान नष्ट हो जाता है।
 
8- जाप के बाद आसन के नीचे जल छिड़ककर जल को मस्तक पर लगाएं, वरना जप फल को इंद्र स्वयं ले लेते हैं।
 
9- स्नान कर माथे पर तिलक लगाकर जाप करें।
 
10- पितृऋण, देवऋण की मुक्ति के लिए 5 यज्ञों को किया जाता है।
 
11- घंटे और शंखनाद का प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक अनुसंधानों से सिद्ध हो गया है कि शंखनाद व घंटानाद से तपेदिक के रोगी, कान का बहना व बहरेपन का इलाज होता है। मास्को सैनिटोरियम में केवल घंटा बजाकर टीबी रोगी ठीक किए गए थे।
 
12- 1928 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में शंख ध्वनि से बैक्टीरिया नामक हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट किया गया था। शंखनाद से मिर्गी, मूर्छा, गर्दनतोड़ बुखार, हैजा, प्लेग व हकलापन दूर होता है।
 
13- पूर्व व उत्तर दिशा में ही देखकर जाप करें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

यदि आपका घर या दुकान है दक्षिण दिशा में तो करें ये 5 अचूक उपाय, दोष होगा दूर

Dev Uthani Ekadashi 2025: देव उठनी एकादशी की पूजा और तुलसी विवाह की संपूर्ण विधि

काशी के मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख पर '94' लिखने का रहस्य: आस्था या अंधविश्‍वास?

Vishnu Trirat Vrat: विष्णु त्रिरात्री व्रत क्या होता है, इस दिन किस देवता का पूजन किया जाता है?

सभी देखें

धर्म संसार

02 November Birthday: आपको 2 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 02 नवंबर, 2025: रविवार का पंचांग और शुभ समय

Kartik Purnima 2025: कार्तिक पूर्णिमा पर कौनसा दान रहेगा सबसे अधिक शुभ, जानें अपनी राशिनुसार

November Weekly Rashifal: नवंबर का महीना किन राशियों के लिए लाएगा धन और सफलता, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (3 से 9 नवंबर 2025)

Essay on Nanak Dev: सिख धमे के संस्थापक गुरु नानक देव पर रोचक निबंध हिन्दी में

अगला लेख