सहनशीलता: भगवान शिव, नीलकंठ हैं तथा कंठ में ही सदैव नाग को धारण करते हैं। उन्होंने समुद्र मंथन से प्राप्त विष को अपने कंठ में धारण किया है, जो यह संदेश देता है कि संसार में अनेक प्रकार की विषमताएं एवं विसंगतियां विद्यमान हैं। व्यक्ति में राग, द्वेष, ईर्ष्या, वैमनस्य, अपमान तथा हिंसा जैसी अनेक पाशविक वृत्तियां रहती हैं। नीलकंठ स्वरूप हमें विपरीत परिस्थितियों में एवं विपरीत व्यवहार में भी अविचल रहने की प्रेरणा देते हैं।
शीतलता एवं संवेदनशीलता: चन्द्र शीतलता, निर्मलता एवं प्रकाश का प्रतीक है। भस्मीभूत भगवान शिव ने इसे अपने मस्तक पर धारण करके सांसारिक जीवों को यह संदेश दिया है कि हम मस्तिष्क में सदैव शीतलता धारण करें, उग्रता को त्यागें, धैर्य से सभी के कथन को सुनें तथा आंतरिक निर्मलता के साथ ज्ञान प्रकाश से अन्य जीवों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें।