सर्वपितृ अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहते हैं। आज के दिन पितरों के लिए 16 दीपक लगाने की परंपरा है। आओ जानते हैं कि क्यों पितरों के लिए दीपक जलाते हैं।
1. इस दिन कुतुप काल में और संध्या के समय दीपक जलाएं। दीपक की रोशनी में पितरों को आने-जाने का रास्ता दिखाएं। इसे पितृ प्रसन्न होते हैं।
2. दीप जलाकर पूड़ी व अन्य मिष्ठान उचित स्थान पर रखें। ऐसा इसलिए करना चाहिए ताकि पितृगण भूखे न जाएं। पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
2. इस दिन खासकर दक्षिण दिशा में दीपक जलाना चाहिए। दीप दान के लिए सूर्यास्त के बाद घर की दक्षिण दिशा में तिल के तेल के 16 दीपक जलाएं।
4. मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या पर सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं। इसके बाद वे सभी पितृ लोक लौट जाते हैं।
5. इस तरह पितरों को सम्मानपूर्वक भेजने पर वे संतुष्ट होकर जाते हैं और अपने बच्चों को आशीर्वाद देते हैं। जिससे परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां आती हैं।
6. पितरों के निमित्त दीपदान करने से उन्हें सद्भगति मिलती है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए भी करते हैं दीपदान।
7. इस दिन कर्पूर जलाने से देवदोष और पितृदोष समाप्त हो जाता है। गुड़ और घी के मिश्रण को कंडे (उपले) पर चलाने से भी देव और पितृदोष दूर होते हैं।
8. परिवार के सभी सदस्यों से बराबर मात्रा में सिक्के इकट्ठे करके उन्हें मंदिर में दान करें। मतलब यह कि यदि आप अपनी जेब से 10 का सिक्का ले रहे हैं तो घर के अन्य सभी सदस्यों से भी 10-10 के सिक्के एकत्रित करने उसे मंदिर में दान कर दें। यदि आपके दादाजी हैं तो उनके साथ जाकर दान करें। यह दान गुरुवार को करें।
9. पीपल या बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाते रहना चाहिए। केसर का तिलक लगाते रहना चाहिए। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से पितृदोष चला जाता है।
10. इस दिन पिंडदान, तर्पण, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज, घृत मिश्रित खीर का दान और सीधा दान देने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देने हैं और घर में सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती है।