महालक्ष्मी व्रत 2020 : लक्ष्मी और महालक्ष्मी में क्या है फर्क, जानिए माता के स्वरूप

अनिरुद्ध जोशी
पुराणों के देवी लक्ष्मी के बारे में भिन्न-भिन्न मत मिलते हैं सभी को अच्छे से पढ़ने से ही स्पष्ट होगा कि आखिर सत्य क्या है। जैसे सती पहले हुई और पार्वती बाद में परंतु सभी उन्हें दुर्गा कहते हैं जबकि दुर्गा देवी का एक अलग ही रूप है। इसी तरह यह भी जानना जरूरी है कि देवी लक्ष्मी और महालक्ष्मी कौन हैं, तो आओ जानते हैं।
 
 
।माता लक्ष्मी के दो रूप सदा से प्रचलित हैं।
 
उत्तर भारत में : कहते हैं कि देवी के विभिन्न रूप को उनके वाहन, पहनावे, हाथ और शस्त्रों के अनुसार पहचाना जाता है। देवी का वाहन उलूक, गरुड़ और गज है। बहुतसी जगह वह कमल पर विराजमान है। हर देवी का अलग ही रूप है। पुराणों में एक लक्ष्मी वह है जो समुद्र मंथन से जन्मीं थीं और दूसरी वह है जो भृगु की पुत्रीं थी। भृगु की पुत्री को श्रीदेवी भी कहते थे। उनका विवाह भगवान विष्णु से हुआ था। 
 
दक्षिण भारत में : लक्ष्मीजी की अभिव्यक्ति को दो रूपों में देखा जाता है- 1. श्रीरूप और 2. लक्ष्मी रूप। श्रीरूप में वे कमल पर विराजमान हैं और लक्ष्मी रूप में वे भगवान विष्णु के साथ हैं। महाभारत में लक्ष्मी के 'विष्णुपत्नी लक्ष्मी' एवं 'राज्यलक्ष्मी' दो प्रकार बताए गए हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार लक्ष्मी के दो रूप हैं- भूदेवी और श्रीदेवी। भूदेवी धरती की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी। पहली उर्वरा से जुड़ी हैं, दूसरी महिमा और शक्ति से। भूदेवी सरल और सहयोगी पत्नी हैं जबकि श्रीदेवी चंचल हैं। विष्णु को हमेशा उन्हें खुश रखने के लिए प्रयास करना पड़ता है।
 
 
1.समुद्र मंथन की महालक्ष्मी : समुद्र मंथन की लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। उनके हाथ में स्वर्ण से भरा कलश है। इस कलश द्वारा लक्ष्मीजी धन की वर्षा करती रहती हैं। उनके वाहन को सफेद हाथी माना गया है। दरअसल, महालक्ष्मीजी के 4 हाथ बताए गए हैं। वे 1 लक्ष्य और 4 प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं और मां महालक्ष्मीजी सभी हाथों से अपने भक्तों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं।
 
 
2.विष्णुप्रिया लक्ष्मी : ऋषि भृगु की पुत्री माता लक्ष्मी थीं। उनकी माता का नाम ख्याति था। म‍हर्षि भृगु विष्णु के श्वसुर और शिव के साढू थे। महर्षि भृगु को भी सप्तर्षियों में स्थान मिला है। राजा दक्ष के भाई भृगु ऋषि थे। इसका मतलब वे राजा द‍क्ष की भतीजी थीं। माता लक्ष्मी के दो भाई दाता और विधाता थे। भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती उनकी (लक्ष्मीजी की) सौतेली बहन थीं। सती राजा दक्ष की पुत्री थी।
 
 
3.धन की देवी : देवी लक्ष्मी का घनिष्ठ संबंध देवराज इन्द्र तथा कुबेर से है। इन्द्र देवताओं तथा स्वर्ग के राजा हैं तथा कुबेर देवताओं के खजाने के रक्षक के पद पर आसीन हैं। देवी लक्ष्मी ही इन्द्र तथा कुबेर को इस प्रकार का वैभव, राजसी सत्ता प्रदान करती हैं। देवी लक्ष्मी कमलवन में निवास करती हैं, कमल पर बैठती हैं और हाथ में कमल ही धारण करती हैं।
 
इसके अलावा 8 अवतार बताए गए हैं:- महालक्ष्मी, जो वैकुंठ में निवास करती हैं। स्वर्गलक्ष्मी, जो स्वर्ग में निवास करती हैं। राधाजी, जो गोलोक में निवास करती हैं। दक्षिणा, जो यज्ञ में निवास करती हैं। गृहलक्ष्मी, जो गृह में निवास करती हैं। शोभा, जो हर वस्तु में निवास करती हैं। सुरभि (रुक्मणी), जो गोलोक में निवास करती हैं और राजलक्ष्मी (सीता) जी, जो पाताल और भूलोक में निवास करती हैं।
 
 
अष्टलक्ष्मी : आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी या जायालक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी। ये सभी माता लक्ष्मी के विभिन्न रूप हैं। 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Chardham Yatra: कुप्रबंधन को लेकर उत्तरकाशी में व्यवसायी नाराज, किया विरोध प्रदर्शन

Aaj Ka Rashifal: शुभ समाचारों वाला रहेगा आज का दिन, पढ़ें 16 मई का राशिफल

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

16 मई 2024 : आपका जन्मदिन

अगला लेख