क्या जरूरी है पितरों का श्राद्ध करना?

अनिरुद्ध जोशी
।।ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।...ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।। 
 
भावार्थ : पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।
 
।।श्रद्धया दीयते यस्मात् तच्छादम्।। भावार्थ : श्राद्ध से श्रेष्ठ संतान, आयु, आरोग्य, अतुल ऐश्वर्य और इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
 
पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं तथा तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं। तर्पण करना ही पिंडदान करना है। श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है। तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र में इसे पितृ पंधरवडा नाम से जानते हैं।
 
ALSO READ: श्राद्ध में यह 16 बातें रखेंगे याद, तो पितृ देंगे भरपूर आशीर्वाद...
भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है। इस पक्ष में मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष में पितरों की मरण-तिथि को ही उनका श्राद्ध किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या को कुल के उन लोगों का श्राद्ध किया जाता हैं जिन्हें हम नहीं जानते हैं।

ALSO READ: किस तिथि को होता है किन पितरों का श्राद्ध, यह 6 बातें आपके काम की हैं...
जब कोई आपका अपना शरीर छोड़कर चला जाता है तब उसके सारे क्रियाकर्म करना जरूरी होता है, क्योंकि ये क्रियाकर्म ही उक्त आत्मा को आत्मिक बल देते हैं और वह इससे संतुष्ट होती है। प्रत्येक आत्मा को भोजन, पानी और मन की शांति की जरूरत होती है और उसकी यह पूर्ति सिर्फ उसके परिजन ही कर सकते हैं। परिजनों से ही वह आशा करती है।

ALSO READ: श्राद्ध पक्ष में कैसे पहुंचता है पितरों को भोजन
 
अन्न से शरीर तृप्त होता है। अग्नि को दान किए गए अन्न से सूक्ष्म शरीर (आत्मा का शरीर) और मन तृप्त होता है। इसी अग्निहोत्र से आकाश मंडल के समस्त पक्षी भी तृप्त होते हैं। तर्पण, पिंडदान और धूप देने से आत्मा की तृप्ति होती है। तृप्त आत्माएं ही प्रेत नहीं बनतीं।

ALSO READ: कहां करें श्राद्ध, आइए जानें जवाब...
 
ये क्रिया कर्म ही आत्मा को पितृलोक तक पहुंचने की ताकत देते हैं और वहां पहुंचकर आत्मा दूसरे जन्म की प्रक्रिया में शामिल हो पाती है। जो परिजन अपने मृतकों का श्राद्ध कर्म नहीं करते उनके प्रियजन भटकते रहते हैं। यह कर्म एक ऐसी विधि है जिसके माध्यम से आत्मा को सही मुकाम मिल जाता है और वह भटकाव से बचकर मुक्त हो जाता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

श्री बदरीनाथ अष्टकम स्तोत्र सर्वकार्य सिद्धि हेतु पढ़ें | Shri Badrinath Ashtakam

तिरुपति बालाजी मंदिर जा रहे हैं तो जानिए 5 खास बातें

Apara ekadashi 2024: अपरा एकादशी कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

Neem Puja vidhi: कैसे करें नीम के पेड़ की पूजा कि होगा मंगल दोष दूर

lakshmi puja for wealth : लक्ष्मी पूजा का है ये सही तरीका, तभी माता होंगी प्रसन्न

Astro prediction: 4 जून 2024 को किस पार्टी का भाग्य चमकेगा, क्या बंद है EVM में

Bada Mangal 2024 : जानें कब-कब रहेगा बड़ा मंगल, कर लिया इस दिन व्रत तो भाग्य बदल जाएगा

Tulsi : तुलसी के पास लगाएं ये तीन पौधे, जीवनभर घर में आएगा धन, मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

Jyeshtha month 2024: ज्येष्ठ माह के व्रत एवं त्योहारों की लिस्ट

Bhaiyaji sarkar: 4 साल से सिर्फ नर्मदा के जल पर कैसे जिंदा है ये संत, एमपी सरकार करवा रही जांच

अगला लेख