Pitru Paksha: पितृ पक्ष की 16 तिथियों में आप किस तिथि को करें श्राद्ध, जानिए

अनिरुद्ध जोशी
इस बार पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021 Start Date) 20 सितंबर 2021, सोमवार से प्रारंभ होकर 6 अक्टूबर 2021, बुधवार को समापन होगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक कुल 16 दिनों तक चलता है। उक्त 16 दिनों में हर दिन अलग-अलग लोगों के लिए श्राद्ध होता है। आओ जानते हैं कि किस तिथि में करते हैं किसका श्राद्ध।
 
 
श्राद्ध की 16 तिथियां- पूर्णिमा, प्रतिपदा, द्वि‍तीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या।
 
कब करते हैं मृतकों का श्राद्ध : उक्त किसी भी एक तिथि में आपके परिजन की मृत्यु होती है चाहे वह कृष्ण पक्ष की तिथि हो या शुक्ल पक्ष की। श्राद्ध में जब यह तिथि आती है तो जिस तिथि में जातक की मृत्यु हुई है उस तिथि में उसका श्राद्ध करने का विधान है। श्राद्ध दोपहर में ही करते हैं। लेकिन इसके अलावा भी यह ध्यान देना चाहिए कि नियम अनुसार किस दिन किसके लिए और कौन सा श्राद्ध करना चाहिए?

श्राद्ध करने की सबसे सरल विधि, यह 16 बातें जरूर जानिए... #ShradhPaksha #PitraPaksha pic.twitter.com/rgqaR3XFtq
< — Webdunia Hindi (@WebduniaHindi) September 24, 2021 >1. पूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त जातकों का श्राद्ध केवल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या को किया जाता है। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। यदि निधन पूर्णिमा तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या सर्वपितृ अमावस्या को किया जा सकता है।
 
2. सौभाग्यवती स्त्री की मृत्यु पर नियम है कि उनका श्राद्ध नवमी तिथि को करना चाहिए, क्योंकि इस तिथि को श्राद्ध पक्ष में अविधवा नवमी माना गया है।
 
3. यदि माता की मृत्यु हो गई हो तो उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को कर सकते हैं। जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि मालूम न हो, उनका भी श्राद्ध नवमी को किया जाता है। इस दिन माता एवं परिवार की सभी स्त्रियों का श्राद्ध किया जाता है। इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है।
 
4. इसी तरह एकादशी तिथि को संन्यास लेने वाले व्य‍‍‍क्तियों का श्राद्ध करने की परंपरा है, जबकि संन्यासियों के श्राद्ध की ति‍थि द्वादशी (बारहवीं) भी मानी जाती है।
 
5. श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।
 
6. जिनकी मृत्यु अकाल हुई हो या जल में डूबने, शस्त्रों के आघात या विषपान करने से हुई हो, उनका चतुर्दशी की तिथि में श्राद्ध किया जाना चाहिए।
 
7. सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन आदि नामों से जाना जाता है।
 
8. इसके अलावा बच गई तिथियों को उनका श्राद्ध करें जिनका उक्त तिथि (कृष्ण या शुक्ल) को निधन हुआ है। जैसे द्वि‍तीया, तृतीया (महाभरणी), चतुर्थी, षष्ठी, सप्तमी और दशमी।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

Bada Mangal 2024 : जानें कब-कब रहेगा बड़ा मंगल, कर लिया इस दिन व्रत तो भाग्य बदल जाएगा

Jyeshtha month 2024: ज्येष्ठ माह के व्रत एवं त्योहारों की लिस्ट

Narmada nadi : नर्मदा नदी के विपरीत दिशा में बहने का कारण जानकर आप रह जाएंगे हैरान

Shash malavya yog : 30 साल बाद शनि-शुक्र के कारण एक साथ शश और मालव्य राजयोग बना, 5 राशियों की खुल जाएगी लॉटरी

Astro prediction: 18 जून को होगी बड़ी घटना, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है भविष्यवाणी

26 मई 2024 : आपका जन्मदिन

26 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Graho ki parade : जून माह में 6 ग्रहों की होगी परेड, आकाश में दिखाई देगा अद्भुत नजारा

Kuber Puja : भगवान कुबेर को अर्पित करें ये फूल, फल और ये मिठाई, खजाना भर देंगे

Swapna shastra: सपने में यदि दिखाई दें ये 5 घटनाएं तो समझो भाग्य खुल गए

अगला लेख