Shradh paksh 2025: श्राद्ध विधि: पिंडदान और तर्पण करने का सही तरीका और नियम

WD Feature Desk
शनिवार, 6 सितम्बर 2025 (10:17 IST)
Shradh Paksha 2025: साल 2025 में श्राद्ध पक्ष (पितृ पक्ष) 7 सितंबर, रविवार से शुरू होकर 21 सितंबर, रविवार तक रहेंगे। 21 सिंतरब को सर्व पितृ अमावस्या रहेगी। श्राद्ध की सही विधि, पिंडदान और तर्पण करने का संपूर्ण तरीका, सामग्री की सूची और महत्वपूर्ण मंत्र। जानें कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए सही विधि से श्राद्ध कैसे करें।
 
श्राद्ध कर्म करने का समय: सुबह 9 बजे से 01 बजे के बीच।
श्राद्ध कर्म में क्या करते हैं: श्राद्ध पक्ष में पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, पंचबलि कर्म और ब्राह्मण भोज का कार्य करते हैं।
श्राद्ध करने का महत्व: श्राद्ध करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। पितृदोष समाप्त होता है और जीवन में आ रही सभी बाधाओं का समाधान होता है।
 
श्राद्ध में उपयोग होने वाली आवश्यक सामग्री की सूची:
1. भोजन सामग्री: चावल (कच्चा), दाल, सब्जियां (कद्दू, लौकी, अरबी आदि), दूध, दही, घी, शहद और गुड़ तिल (काले तिल का विशेष महत्व है) जौ (यव) कुछ लोग खीर भी बनाते हैं।
 
2. पूजा सामग्री: कुश घास (दर्भ), रोली, चंदन, अक्षत, गंगाजल, फूल, माला, धूप, अगरबत्ती, दीपक और तेल/घी, कपूर, यज्ञोपवीत (जनेऊ) आदि।
 
3. अन्य सामग्री: मिट्टी का कलश, नए कपड़े (ब्राह्मण को दान देने के लिए), दक्षिण दिशा की ओर बैठने के लिए चटाई या आसन, दान के लिए फल, मिठाई और दक्षिणा (पैसे)। पवित्र जल के लिए पात्र (जैसे तांबे का लोटा)। पत्तल या केले के पत्ते (भोजन परोसने के लिए), तरभाणा जिसमें तिल अर्पित करते हैं।
 
तर्पण करने का सही तरीका:
तर्पण का मंत्र:-
ॐ तर्पयामि पितृन्, पितृन् तर्पयामि।.....इसका अर्थ है, "मैं अपने पितरों को तर्पण करता हूँ, मैं अपने पितरों को संतुष्ट करता हूँ।" अगर आप अपने पितरों का नाम और गोत्र जानते हैं, तो आप इस मंत्र का उपयोग कर सकते हैं: 
 
गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) शर्मणः वसो स्वरूपं, अमुक गोत्रस्य अस्मत्पितृ (पिता का नाम) शर्मणः रुद्रा स्वरूपं, अमुक गोत्रस्य अस्मन्मातामह (मातामह का नाम) शर्मणः आदित्य स्वरूपं, पितृ तर्पयामि।

तर्पण का मंत्र: ।।ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।...ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।।
पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।...'हे अग्नि! हमारे श्रेष्ठ सनातन यज्ञ को संपन्न करने वाले पितरों ने जैसे देहांत होने पर श्रेष्ठ ऐश्वर्य वाले स्वर्ग को प्राप्त किया है वैसे ही यज्ञों में इन ऋचाओं का पाठ करते हुए और समस्त साधनों से यज्ञ करते हुए हम भी उसी ऐश्वर्यवान स्वर्ग को प्राप्त करें।'- यजुर्वेद 
 
पिंडदान करने की विधि:-
 
पिंडदान का मंत्र: पिंडदान का मुख्य मंत्र भी पितरों को ही समर्पित होता है। आप इसे पिंडदान करते समय बोल सकते हैं:- इदं पिण्डं तेभ्यः स्वधा......इसका अर्थ है, "यह पिंड उन (पितरों) के लिए है, वे इसे स्वीकार करें।"
तर्पण का मंत्र: ।।ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।...ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।।
पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।...'हे अग्नि! हमारे श्रेष्ठ सनातन यज्ञ को संपन्न करने वाले पितरों ने जैसे देहांत होने पर श्रेष्ठ ऐश्वर्य वाले स्वर्ग को प्राप्त किया है वैसे ही यज्ञों में इन ऋचाओं का पाठ करते हुए और समस्त साधनों से यज्ञ करते हुए हम भी उसी ऐश्वर्यवान स्वर्ग को प्राप्त करें।'- यजुर्वेद 

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