पितृ पक्ष 2022 कब हो रहा है आरंभ, इस बार कैसे करें पितरों को प्रसन्न

Webdunia
शनिवार, 3 सितम्बर 2022 (11:39 IST)
Shradh paksha 2022 : पितृपक्ष को श्राद्धपक्ष भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृपक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से प्रारंभ होता है और आश्विन मास की अमावस्या को समाप्त होता है।
 
कब से शुरु हो रहे हैं श्राद्ध : पितृ पक्ष 2022 प्रारंभ तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार पितृपक्ष का प्रारंभ 10 सितंबर 2022 शनिवार से हो रहा है जो 25 सितंबर तक रहेगा। 25 सितंबर पितृ विसर्जन तिथि है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को ही पितृपक्ष कहा जाता है।
 
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को ही पितृपक्ष कहा जाता है। जानिए पितृपक्ष की तिथियां:- 
 
1. 10 सितंबर, शनिवार : पूर्णिमा का श्राद्ध
 
2. 11 सितंबर, रविवार : प्रतिपदा का श्राद्ध
 
3. 12 सितंबर, सोमवार : द्वितीया का श्राद्ध/तृतीया का श्राद्ध
 
4. 13 सितंबर, मंगलवार : चतुर्थी का श्राद्ध
 
5. 14 सितंबर, बुधवार : पंचमी का श्राद्ध
 
6. 15 सितंबर, गुरुवार : षष्ठी का श्राद्ध
 
7. 16 सितंबर, शुक्रवार : कुछ के अनुसार सप्तमी का श्राद्ध 
 
8. 17 सितंबर, शनिवार : सप्तमी-अष्टमी का श्राद्ध
 
9. 18 सितंबर, रविवार : अष्टमी का श्राद्ध
 
10. 19 सितंबर, सोमवार : नवमी श्राद्ध/ इसे मातृ नवमी श्राद्ध भी कहा जाता है।
 
11. 20 सितंबर, मंगलवार : दशमी का श्राद्ध
 
13. 21 सितंबर, बुधवार :  एकादशी का श्राद्ध
 
14. 22 सितंबर, गुरुवार : द्वादशी/सन्यासियों का श्राद्ध
 
15. 23 सितंबर, शुक्रवार : त्रयोदशी का श्राद्ध
 
16. 24 सितंबर, शनिवार : चतुर्दशी का श्राद्ध 
 
17. 25 सितंबर, रविवार : अमावस्या का श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध, महालय श्राद्ध
इस बार कैसे करें पितरों को प्रसन्न : पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में पंचबलि कर्म किया जाता है:- 1.गोबलि, 2.श्वानबलि, 3.काकबलि, 4.देवादिबलि और 5.पांचवां पिपीलिकादिबलि।
 
पंचबलि संकल्प : भोजन तैयार होने पर एक थाली में 5 जगह थोड़े-थोड़े सभी प्रकार के भोजन परोसकर हाथ में जल, अक्षत, पुष्प, चन्दन लेकर निम्नलिखित संकल्प करें। इसमें अमुक की जगह अपने गोत्र और नाम का उच्चारण करें- अद्यामुक गोत्र अमुक वर्मा (गुप्ता, कुमार, सूर्यवंशी आदि) अहममुकगोत्रस्य मम पितुः (मातुः भ्रातुः पितामहस्य वा) वार्षिक श्राद्धे (महालय श्राद्धे) कृतस्य पाकस्य शुद्ध्यर्थं पंचसूनाजनित दोष परिहारार्थं च पंचबलिदानं करिश्ये।.. अब जल छोड़ दीजिये। 
 
पिंडदान और तर्पण करें : इसके साथ ही नदी के तट पर पंडितों के सानिध्य में तर्पण और पिंडदान करें।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Weekly Horoscope: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा सप्ताह, पढ़ें साप्ताहिक राशिफल (18 से 24 नवंबर)

Mokshada ekadashi 2024: मोक्षदा एकादशी कब है, क्या है श्रीकृष्‍ण पूजा का शुभ मुहूर्त?

Shani Margi: शनि का कुंभ राशि में मार्गी भ्रमण, 3 राशियां हो जाएं सतर्क

विवाह पंचमी कब है? क्या है इस दिन का महत्व और कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा?

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: आज क्‍या कहते हैं आपके तारे? जानें 22 नवंबर का दैनिक राशिफल

22 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

22 नवंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

Prayagraj Mahakumbh : 485 डिजाइनर स्ट्रीट लाइटों से संवारा जा रहा महाकुंभ क्षेत्र

Kanya Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: कन्या राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख