कैलाश मानसरोवर : जहां कण-कण में हैं शिव

Webdunia
- आई. वेंकटेश्वर राव
 
आइए हम आपको दर्शन करा रहे हैं कैलाश मानसरोवर के। मानसरोवर वही पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर शिव-शंभु का धाम है। यही वह पावन जगह है, जहां शिव-शंभु आज भी सपरिवार विराजते हैं। 

कैलाश पर्वत, 22,028 फीट ऊंचा एक पत्थर का पिरामिड, जिस पर सालभर बर्फ की सफेद चादर लिपटी रहती है। हर साल कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने, शिव-शंभु की आराधना करने, हजारों साधु-संत, श्रद्धालु, दार्शनिक यहाँ एकत्रित होते हैं, जिससे इस स्थान की पवित्रता और महत्ता काफी बढ़ जाती है।
 
मान्यता है कि यह पर्वत स्वयंभू है। कैलाश-मानसरोवर उतना ही प्राचीन है, जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। इस पावन स्थल को भारतीय दर्शन के हृदय की उपमा दी जाती है, जिसमें भारतीय सभ्यता की झलक प्रतिबिंबित होती है। कैलाश पर्वत की तलछटी में कल्पवृक्ष लगा हुआ है। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूर्व भाग को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है। 
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह जगह कुबेर की नगरी है। यहीं से महाविष्णु के करकमलों से निकलकर गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहांं प्रभु शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं। 

यह स्थान बौद्ध धर्मावलंबियों के सभी तीर्थ स्थानों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। कैलाश पर स्थित बुद्ध भगवान के अलौकिक रूप ‘डेमचौक’ बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। वह बुद्ध के इस रूप को ‘धर्मपाल’ की संज्ञा भी देते हैं। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इस स्थान पर आकर उन्हें निर्वाण की प्राप्ति होती है। वहीं जैन धर्म के पहले तीर्थंकर ने भी यहीं निर्वाण लिया। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहाँ ध्यान किया था। 
मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है। प्राचीनकाल से विभिन्न धर्मों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान से जुड़े विभिन्न मत और लोककथाएँ केवल एक ही सत्य को प्रदर्शित करती हैं, जो है सभी धर्मों की एकता। 

मानसरोवर दर्शन : ऐसा माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।
इस स्थान तक पहुंचने के लिए कुछ विशेष तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे इसकी ऊंचाई 3500 मीटर से भी अधिक है। यहां पर ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है, जिससे सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ आदि परेशानियां प्रारंभ हो सकती हैं। इन परेशानियों की वजह शरीर को नए वातावरण का प्रभावित करना है। 
 
 
भारत से मानस कैलाश कैसे पहुंचें? 

1. भारत से सड़क मार्ग- भारत सरकार सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर यात्रा प्रबंधित करती है। यहां तक पहुंचने में करीब 28 से 30 दिनों तक का समय लगता है। यहाँ के लिए सीट की बुकिंग एडवांस भी हो सकती है और निर्धारित लोगों को ही ले जाया जाता है, जिसका चयन विदेश मंत्रालय द्वारा किया जाता है। 
 
2. वायु मार्ग-वायु मार्ग द्वारा काठमांडू तक पहुंचकर वहां से सड़क मार्ग द्वारा मानसरोवर झील तक जाया जा सकता है। 
3. कैलाश तक जाने के लिए हेलिकॉप्टर की सुविधा भी ली जा सकती है। काठमांडू से नेपालगंज और नेपालगंज से सिमिकोट तक पहुंचकर, वहां से हिलसा तक हेलिकॉप्टर द्वारा पहुंचा जा सकता है। मानसरोवर तक पहुँचने के लिए लैंडक्रूजर का भी प्रयोग कर सकते हैं। 
 
4. काठमांडू से लहासा के लिए ‘चाइना एयर’ वायुसेवा उपलब्ध है, जहां से तिब्बत के विभिन्न कस्बों - शिंगाटे, ग्यांतसे, लहात्से, प्रयाग पहुंचकर मानसरोवर जा सकते हैं।
Show comments

Astro prediction: 4 जून 2024 को किस पार्टी का भाग्य चमकेगा, क्या बंद है EVM में

Tulsi : तुलसी के पास लगाएं ये तीन पौधे, जीवनभर घर में आएगा धन, मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी

Bhaiyaji sarkar: 4 साल से सिर्फ नर्मदा के जल पर कैसे जिंदा है ये संत, एमपी सरकार करवा रही जांच

Astro prediction: 18 जून को होगी बड़ी घटना, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है भविष्यवाणी

Guru ketu gochar : गुरु और केतु के नवपंचम योग से 3 राशियों को मिलेगा बड़ा फायदा

नीम का पेड़ लगाने से मिलते हैं 14 फायदे, मिट जाता है संताप

Shani vakri : शनि हो रहे हैं वक्री, ये राशियां रहें संभलकर, साढ़ेसाती का भी होगा भयानक असर

Nautapa 2024: नौतपा में यदि ये 4 पेड़- पौधे लगा दिए तो जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहेगी, कुंडली के ग्रह भी होंगे मजबूत

Aalha Udal Ki Kahani: आल्हा उदल की क्या है कहानी?

Aaj Ka Rashifal: क्या लाया है 25 मई का दिन हम सभी के लिए, पढ़ें 12 राशियां

अगला लेख